महाराज रुद्र सिंहक शासनकालमे कतेक सम्पत्ति छल आ राज दरभंगाक वार्षिक आमद कतेक छल तकर विवरण एतए भेटत। सूनिके आश्चर्य लागत जे अंगरेज सेहो ई मानैत छल जे राज दरभंगा प्रायः भारतक सभसँ धनिक राजा छथि।

जॉन लैंग नामक एकटा अंगरेज दरभंगाक महाराज रुद्रसिंहक शासनकालक दरभंगाक सम्बन्धमे लिखैत अछि जे दरभंगा क महाराज रुद्रसिंह क काल मे तिरहुत भारत क सभसँ धनी राज्य अछि। ओ घटना क वर्णन करैत लिखैत अछि- तिरहुत सँ घुरबाकाल हम महाराज रुद्रसिंहक भेंट करबा लेल गेलहुँ। ओ प्रायः सम्पूर्ण भारतमे सभसँ बेसी धनीक स्थानीय राजा छथि। हुनक आमदनी प्रति वर्ष 200 हजार पौंड अर्थात् दू लाख पौंड अछि। संगहि हुनक राजमहलक खजानामे सोना आ चाँदी सभटा मिलाकए डेढ लाख स्टर्लिंग सँ अधिक सम्पत्ति अछि। दरभंगा क राजा क पिता छत्रसिंह नेपाल युद्धक समयमे ब्रिटिश शासनक परम मित्र रहथि। ओ ओहि युद्धमे घुडसवारक एकटा रेडिमेंट गठित कए उपलब्ध करैने रहथि।

जखनि हुनक अधिकारी लोकनिकें हमर रहबाक व्ययक भुगतानक सम्बन्धमे पुछल गेल तँ ओ लोकनि उत्तर देलनि जे सरकार पर कोनो बकाया नै अछि।

Before leaving Tirhoot (तिरहुत) however I paid a visit to Rooder Singh (रुद्रसिंह) the Rajah of Durbungah (दरभंगा) the richest native perhaps in all India. He has two hundred thousand pounds a year net revenue and in a tank in his palace there is lying in gold and silver upwards of a million and a half sterling. Chutter Singh (छत्रसिंह) the father of the Rajah of Durbungah was a firm friend of the British Government during the Nepal war. He raised a regiment of horse and provisioned it. When asked by the authorities for his bill he replied that the Government owed him nothing. (देवनागरीमे नाम जोडल गेल अछि।)

Wanderings in India: and other sketches of life in Hindostan by John Lang

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