Rama ka Rajyabhishek
पुनर्वसु नक्षत्र में रामनवमी के दिन ही श्रीराम का वनगमन हुआ था तथा उसी दिन उनका चौदह वर्ष पूर्ण हुआ। उसके अगले दिन पुष्य नक्षत्र के योग में उनका राज्याभिषेक हुआ। Continue Reading
देवोत्थान एकादशीक दृश्यमिथिला सहित बंगाल आ आसामक कर्मकाण्डक परम्परा भारतक अन्य क्षेत्रसँ पृथक् अछि। एतए वैदिक पद्धति आ आगम-पद्धति दूनूकें फराक-फराक राखल गेल अछि। पूजा-पाठक लेल आगम पद्धति अपनेबाक कारणें वैदिक मन्त्र नै पौराणिक मन्त्र आ इष्टदेवताक बीजमन्त्रक प्रयोग होइत अछि आ तें मिथिलाक परम्परामे जातिवाद नै अछि। सभ केओ मन्त्रक उच्चारण कए आगम-पद्धतिसँ पूजा कए सकैत छी। दुर्गा-पूजा आदि वार्षिक उत्सवमे सेहो शबर-नृत्यक विधान भेल अछि। सभ जातिकें अपन अपन विधान अनुरूप पूजा करबाक छैक। ई मिथिलाक उदात्त परम्परा थीक। वर्णरत्नाकर मे राजदरबार में उपस्थित जातिसभक सूची देखला पर सेहो उदारवाद सिद्ध होइत अछि।
मुदा खेदक विषय थीक जे आधुनिक कालमे प्रवासी मैथिललोकनि अपन परम्पराकें त्यागि आन ठामक परम्परा अपनाए रहल छथि। हुुनकालोकनिक समस्या छनि जे मिथिलाक परम्परासँ सम्बन्धित पुस्तक उपलब्ध नै रहैत छनि। तें एहि अन्तर्जालक द्वारा एही समस्याकें दूर करबाक प्रयास कएल गेल अछि जाहिसँ मिथिलाक ई उदार परम्परा सुरक्षित रहि सकए।
विशेष रूपसँ प्रवासी मैथिल जे अपन परम्पराक सम्बन्धमे आरो किछु जानए चाहैत छथि अथवा हुनका कोनो प्रकारक असुविधा होइत छनि ओ सोझे हमरासँ सम्पर्क कए सकैत छथि- bhavanathjha@gmail.com
पुनर्वसु नक्षत्र में रामनवमी के दिन ही श्रीराम का वनगमन हुआ था तथा उसी दिन उनका चौदह वर्ष पूर्ण हुआ। उसके अगले दिन पुष्य नक्षत्र के योग में उनका राज्याभिषेक हुआ। Continue Reading
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन महाशिवरात्रि मनायी जाती है। नारद-संहिता के अनुसार दिस दिन आधी रात में चतुर्दशी तिथि रहे, उसी दिन शिवरात्रि का व्रत होना चाहिए। लेकिन हेमाद्रि (1260 ई. के आसपास) ने अपने ग्रन्थ चतुर्वर्गचिन्तामणि में माना है कि सूर्यास्त के समय जिसContinue Reading
कलियुगमे नाम-संकीर्तन महत्त्वपूर्ण अछि। एतय सरस्वतीक सहस्रनाम पाठ करबाक लेल देल जा रहल अछि।Continue Reading
मिथिलामे शकारादि- शारदा-शतनामस्तोत्रक परम्परा रहलैक अछि। पाण्डुलिपि अन्वेषणक क्रममे एहि पंक्तिक लेखक कें एकर अनेक प्रति विभिन्न ठामसँ भेटल छनि । हमरा गाम हटाढ रुपौलीमे हमर उपरक पीढीक कमसँ कम दू व्यक्ति छलाह जे प्रतिदिन स्नान कएलाक बाद एकर पाठ करैत रहथि।Continue Reading
सरस्वती वाणी की देवी के रूप में वैदिक साहित्य में भी वर्णित हैं और वहाँ उनकी उपासना करने का विधान किया गया हैContinue Reading
सरस्वतीरहस्योपनिषत् तन्त्रात्मक उपनिषद् थीक। एकर ऋषि आश्वलायन छथि जे मानैत छथि जे वेदमे 10 टा मन्त्रमे देवी सरस्वतीक स्तुति कएल गेल अछि। एहि दसो मन्त्रक विनियोग, ध्यान आ बीज मन्त्रक निर्देश एहि सरस्वतीरहस्योपनिषत् मे कएल गेल अछि।Continue Reading
मिथिलाक प्रसिद्ध पाबनि-तिहार एवं व्रत आदि स्रोत- ई सूची कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालयक पंचागक आधार पर बनाओल गेल अछि। श्रावण- साओन मासक व्रत-पर्व अशून्यशयन मौनापञ्चमी- कृष्णपक्ष, पंचमी तिथि, मनसा-देवी जागरण एवं पूजा मधुश्रावणी-पूजारम्भ- श्रावण कृष्ण पञ्चमी मधुश्रावणी व्रत एवं पूजा- श्रावण शुक्ल तृतीया नागपञ्चमी- श्रावण शुक्ल पञ्चमी शीतलापूजा- श्रावण शुक्लContinue Reading
छठ पर्व में भगवान् सूर्य की उपासना के साथ स्कन्द की माता षष्ठिका देवी एवं स्कन्द की पत्नी देवसेना इन तीनों की पूजा का महत्त्वपूर्ण योग है। इसी दिन कुमार कार्तिकेय देवताओं के सेनापति के रूप में प्रतिष्ठित हुए थे अतः भगवान् सूर्य के साथ-साथContinue Reading
सोमवारी अमावस्याक ई कथा स्पष्ट रूपसँ कहैत अछि जे ईश्वरक उपासना आ ओकर प्रभावक सन्दर्भमे जातिक कोनो विचार नै रहबाक चाही। ई कथा भारतीय परम्परामे जाति-निरपेक्षताक स्थिति स्पष्ट करैत अछि।Continue Reading
शक्ति शब्द किसी कार्य को करने के सामर्थ्य भाव दर्शाता है। शक्ति चूँकि स्त्रीलिंग शब्द है, इसमें क्तिन् प्रत्यय लगा हुआ है अतः प्राचीन काल से शक्ति की उपासना देवी के रूप में की जाती रही है।Continue Reading
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