जानकीपूजाविधि, (जानकीसहस्रनाम सहित), ले.- पं. श्री शशिनाथ झा
कुलपति, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा
गाम- दीप
श्री जानकीक गहि चरण कमल।मन-भ्रमर हमर ई मुदित अमल।। सेवा तनिके पूजा विधान।करइत अछि कए कए तनिक ध्यान।।
जानकीक प्रादुर्भाव मिथिलाक भूमिसँ भेल छल। ताहि लागिसँ एतएक लोककेँ हुनका प्रति विशेष समादर भाव उचिते। खासकए जानकीनवमी दिन अनेक ठाम हिनकर पूजनोत्सव कएल जाइत अछि जे पुरान परम्परा थिक। पन्द्रहम शताब्दीमे म.म. रुद्रधर उपाध्याय वर्षकृत्यमे जानकीपूजाक विधान देने छथि। 1938 ई.मे पं. जीवानन्द ठाकुर ‘जानकीपूजापद्धति’ लिखलनि आ 1939 ई.मे अद्भुत रामायणक जानकी सहस्रनाम छपओलनि। सहस्रनाम त भेटल, मुदा पूजापद्धति नहि भेटि सकल। तेँ हम सरल रीतिसँ अपना भाषामे ‘जानकीपूजाविधि’ बनाए देल। उक्त सहस्रनाम अर्थ सहित सेहो एहिमे दए देल। दोसर तान्त्रिक जानकीसहस्रनाम 1953 ई.क छपल सेहो भेटल जे पं. सिद्धिनाथ त्रिपाठीक द्वारा कानपुरसँ मुद्रित भेल छल। एकरो संशोधित कए प्रस्तुत कए देल अछि।
नरुआर गाममे प्राचीन जानकीभवन अछि जतए जानकीनवमीमे जानकीक मूर्ति बनाए पूजा होइत छल। आब त ओतए दुर्गापूजा होइत अछि आ ओहि सँ कनेक हटि कए जानकीक पूजा होइत अछि। एम्हर मिथिलाक शहर सभमे जानकीपूजाक आयोजन होइत अछि। ताहि ठाम पूजक लोकनिकेँ एहि पोथीसँ उपकार होएतनि।
आशा अछि जे हमर एहि प्रयास सँ मिथिलाक लोक लाभान्वित होएत। एहिमे विधि मैथिलीभाषामे आ मन्त्र यथावत् संस्कृतेमे अछि। दुइ गोट सहस्रनाम स्तोत्रसँ एकर महत्त्व आओरो बढ़ि गेल अछि। इत्यलम्।
पं. श्री शशिनाथ झा, कुलपति, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभङ्गा, (दीप- गाम)
पूजा-सामग्री
कुश – 1 मूठ | दूध- 1 पाकेट | गंगौट – |
तिल – 1 पाव | मधु, चीनी | पंचरत्न – |
अरबा चाउर – 4 कि. | सुपारी – 10 | नारिकेर – 1 |
गाइक घी – 100 ग्रा- | पान -5 पात | लालवस्त्र – 1 मी. |
फूल, तुलसी पत्र, दूबि, बेलपत्र | घट – 2 | धोती पीयर – 1 जोड़ |
फूलक माला – 1 | सरबा – 4 | साड़ी ब्जाउज – 1 |
श्रीखण्डचानन – 1 | गोबर | धोती लाल पूजकक |
चन्दनौटा – 1 | बालु – 5 कि- | धोती लाल पुरहितक |
सिन्दूर – 2 गद्दी | धान – 50 ग्राम | गमछा – 2 (पूजक, पुरहित) |
रोली – 1 | जौ – 50 ग्राम | आसन चानीक – 2 |
मौली – 1 | गंगाजल | आसन कम्बलक – 2 |
पिठार | आमक पल्लव – 1 | जनौ – 2 |
कर्पूर – 1 डिब्बा | केराक पात – 2 | आभषूण – 2 |
सलाइ – 1 | अर्घी पंचापात – | स्रुव – 1 |
धूप, दीप | तामक सराइ | काँसाक थारी – 1 |
फल – | घंटी – | काँसाक वाटी – 1 |
मेवा – | घड़िघंट – | आमक ठहुड़ी – 1 बोझ |
पकमान – | शंख जलवला | गुड़ – 100 ग्राम |
मिठाइ – | शंख बजबैवला | ब्रह्माक दक्षिणा- |
चूड़ा-दही- | सर्वौषधि – | कर्मदक्षिणा- |