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Home›लोक-वेद›मैथिल साम्प्रदायिक संक्षिप्त तर्पण विधि

मैथिल साम्प्रदायिक संक्षिप्त तर्पण विधि

By Bhavanath Jha
September 15, 2019
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पूर्वाभिमुख भए कुश सहित-

ओम् तर्पणीयाः देवा आगच्छन्तु

ओम् ब्रह्मादयस्तृप्यन्ताम्

उत्तराभिमुख भए-

ओम् सनकादय आगच्छन्तु।

ओम् सनकादयस्तृप्यन्ताम्

पश्चिमाभिमुख भए–

ओम् मरीच्यादय आगच्छन्तु।

ओम् मरीच्यादयस्तृप्यन्ताम्।

अपसव्य भए दक्षिणाभिमुख-

ओम् अग्निष्वात्तादय आगच्छन्तु। ओम् अग्निष्वात्तादयस्तृप्यन्ताम्।

ओम् यमादय आगच्छन्तु। ओम् यमादयस्तृप्यन्ताम्।

ओम् चतुर्दशैते यमाः स्वस्ति कुर्वन्तु तर्पिताः।

आगच्छन्तु मे पितर इमं गृह्णन्त्वपोऽञ्जलिम्।।

ओम् अद्य अमुक (गोत्रक नाम) गोत्र पिता (नाम) शर्मा तृप्यतामिदं सतिलं जलं तस्मै स्वधा। तीन बेरि अञ्जलि दी।

एही प्रकारें-

पितामह, प्रपितामह, तृप्यध्वम्। तीन बेरि अञ्जलि दी।

पुनः मातामह, प्रमातामह, वृद्धप्रमातामहास्तृप्यध्वम्। तीन बेरि अञ्जलि दी।

पुनः माता, पितामही, प्रपितामही तृप्यध्वम्। तीन बेरि अञ्जलि दी।

पुनः मातामही, प्रमाताही वृद्धप्रमातामही तृप्यध्वम्। तीन बेरि अञ्जलि दी।

ॐ आब्रह्मस्तम्बपर्यन्तम् देवर्षिपितृमानवाः।

तृप्यन्तु पितरः सर्वे मातृमातामहादयः।।

अतीतकुलकोटीनां सप्तद्वीपनिवासिनाम्।

तेषामाप्यायनायैतत् दीयते सतिलं मया।।

ये बान्धवाबान्धवा वा येऽन्यजन्मनि बान्धवाः।

ते तृप्तिमखिला यान्तु ये चास्मत्तोऽभिवाञ्छति।।

कपड़ा गाड़ैत

ॐ ये चास्माकं कुले जाता अपुत्रा गोत्रिणो मृताः।

ते पिबन्तु मया दत्तं वस्त्रनिष्पीडनोदकम्।।

सव्य भए

प़ूर्वाभिमुख भए सूर्यार्घ्य-

ॐ नमो विवस्वते ब्रह्मन् भास्वते विष्णुतेजसे।

जगत् सवित्रे शुचये सवित्रे कर्मदायिने एषोर्घ्यः भगवते श्री सूर्याय नमः। तीन बेरि जल दी।

सूर्य प्रणाम-

ओम् जपाकुसुमसंकाशम् काश्यपेयम् महाद्युतिम्।

ध्वान्तारिम् सर्वपापघ्नम् प्रणतोस्मि दिवाकरम्।।

Tagsनित्यकर्मपितर कें जलपितृकर्मपितृपक्ष
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