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bipra-dhenu--

लाला बैजनाथ ने Modern Hindu Religion And Philosophy यानी आधुनिक भारतीय धर्म एवं दर्शन पर व्याख्यान दिया था। इस व्याख्यान के अंतर्गत उन्होंने तुलसीदास के रामचरितमानस के विषय में जो कुछ लिखा है, वह इस विषय में कहा गया सबसे महत्त्वपूर्ण व्याख्यान प्रतीत होता है। वे लिखते हैं- ‘आधुनिक राम वाल्मीकि के राम नहीं है, जो कि उनके समकालीन थे, वे आज तुलसीदास के राम हैं, जो 1600ई. के आसपास हुए थे औऱ उनका प्रभाव उनके जीवनकाल से अधिक आज के समाज पर है।”Continue Reading

Vritta Muktavali of Maithil Durgadatta

एतए हमरा एहि ग्रन्थक एक पाण्डुलिपि उपलब्ध अछि जे संवत् 1866मे भराम गाम मे रामवत्स नामक व्यक्ति द्वारा लिपिबद्ध कएल छल। तदनुसार एकर लेखनकाल 1810ई. थीक। एकर पुष्पिकामे एहि प्रकारें अछि-
इतिश्रीमैथिलदुर्गादत्तविरचितायां वृत्तमुक्तावल्यां वृत्तबोधको नाम तृतीयः प्रयासः। शुभमस्तु संवत्सरः 1866 मिथिलादेशे भरामग्रामे लिखितोऽयं ग्रन्थो रामवत्सेन। Continue Reading

mithila map

भाषा, लिपि, चौहद्दीक प्राचीन उल्लेख एहि तीनू कारकक संग आरो बहुत रास एहन तत्त्व सभ विवचनीय अछि जे मिथिलाक अस्मिताक निर्धारक तत्त्व थीक, जेकर विवेचन एतए अपेक्षित अछि।Continue Reading

the terrible mistake of the renaissance

बहुत दिन पहले की बात है। एक व्यक्ति को तीर्थयात्रा करने की इच्छा हुई। वह रास्ते में खर्च के लिए बहुत सारा धन जुटाकर तीर्थाटन के लिए मन बनाने लगा। सबसे पहले वह अपने गुरु के पास गया और उनसे पूछा कि गुरुजी, मुझे काशी जाने की इच्छा हो रहीContinue Reading

Hindi-urdu controversy in Darbhanga

दरभंगा का मुंसिफ कोर्ट। अंगरेजों के जमाने में भारतीय जजों के कोर्ट को मुंसिफ कहा जाता था। 1873-74 का समय था। मुंसिफ कोर्ट में एक मुसलमान जज बैठे हुए थे। इसी समय मिस उर्दू रोती-बिलखती छाती पीटती हुई आयी। उसने अपील की- ‘हुजूर, श्रीमती हिन्दी मुझे बिहार से निकालना चाह रही है। मेरी फरियाद सुन ली जाये।ʼContinue Reading

Maharaj Lakshmishwar Singh

कहा जाता है कि वे जज साहब खुद इनके पास आये। हो सकता है कि इस बात में कुछ बढ़ा-चढाकर कहा जा रहा हो! बिट्ठो गांव के स्रोत से मेरे पास तक यह कहानी आयी है तो कुछ तो काव्यात्मकता होगी ही। आजकल जिसे ‘नमक-मिर्च लगानाʼ कहते हैं, उसे शिष्ट शब्दों में काव्यात्मकता कहते हैं, अतिशयोक्ति कहते हैं जो एक अलंकार है।Continue Reading

लिंग पुराण के इसी अंश को त्रिस्थलीसेतु में नारायण भट्ट ने ज्ञानवापी माहात्म्य में उद्धृत किया है। इसका अर्थ है कि 12वीं शती से पहले से वह कूप अविमुक्तेश्वर महादेव के दक्षिण भाग में अवस्थित था जो बाद में ज्ञानवापी के नाम से विख्यात हुआ और अविमुक्त महादेव विश्वेश्वर शिव के रूप में विख्यात हुए जो बाद में विश्वनाथ कहलाये।Continue Reading

gyanvapi

भगवान् शिव ने स्वयं त्रिशूल से खोदकर ज्ञानवापी का निर्माण किया था। विश्वेश्वर शिवलिंग का अभिषेक के लिए स्वयं ईशान शिव ने अपने त्रिशूल से ज्ञानवापी का निर्माण किया था। स्कन्द पुराण में यह प्रसंग आया है कि एकबार ऋषियों ने स्कन्द से ज्ञानवापी की महिमा बतलाने के लिए कहा।Continue Reading

Civil disobedience movement in Madhubani and Rajnagar

मधुबनी सदर आ राजनगरमें कांग्रेसक मजबूतीक संकेत भेटैत अछि। 1932ई. में मधुबनीक कांग्रेसी कार्यकर्ता बर्माक किराशन तेलक बहिष्कार सेहो कएने रहथि। बर्मा-शेल वाइल स्टोरेज एंड डिस्ट्रीब्यूटिंग कम्पनी ऑफ इंडिया लिमिटेड किरासनक बिक्री करैत छल। मधुबनीमे एकर बहिष्कार भेल छल। Continue Reading