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Home›इतिहास›धूर्तराज गोनू कर्णाट शासनक कालक ऐतिहासिक पुरुष छलाह

धूर्तराज गोनू कर्णाट शासनक कालक ऐतिहासिक पुरुष छलाह

By Bhavanath Jha
August 4, 2023
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धूर्तराज गोनू कर्णाट शासनक कालक ऐतिहासिक पुरुष छलाह

म.म. परमेश्वर झा हिनक काल देवसिंहक समयमे मानैत छथि। मिथिलातत्त्वविमर्शमे ओ लिखैत छथि जे महाराज भवसिंह जखनि छत्तीस वर्ष राज्य कए वाग्वतीक कातमे अपन शरीर त्याग कएल ओही आसन्नकालमे धूर्त गोनू रहथि। (पृ. पूर्वार्द्ध 150-51, प्रथम संस्करण, दरभंगा, 1949ई.)

म.म. परमेश्वर झाक अनुसार गोनूझाक काल 14म शतीक मध्यकाल मानल जएबाक चाही। ओ हिनका ओइनिवार शासनक कालमे मानैत छथि। मुदा गोनूक वंशावलीक आधार पर जँ सूक्ष्म विवेचन कएल जाए तँ ई कर्णाटकालक सिद्ध होइत छथि।

मुदा जँ सूक्ष्मदृष्टि सँ गोनूझाक काल निर्धारणक लेल हमरालोकनिकें दोसर साक्ष्य सेहो देखबाक चाही। परमेश्वर झा स्वयं हुनक वंशावली लिखैत छथि जकरा अनुसार गोनू झा सोनकरियाम करमहा वंशक बीजीपुरुष वंशधरक पुत्र छलाह। हिनक मातामह सकराढ़ी वंशक चांदेयी रहथि। एहि सोन करियाम वंशक संग सम्बन्ध स्थापित कएनिहार आन वंशक ज्ञात लोकक अनुसन्धान कए हमरालोकनि सूक्ष्म रूपसँ कालनिर्धारण कए सकैत छी।

म.म. परमेश्वर झा सेहो मानैत छथि जे गोनू आ म.म. हरिकेश सोदर भाई रहथि। हिनक छठम पीढीक संतान दिवाकर प्रसिद्ध बाछे घोसौतमूलक रविकरक दुहितृदौहित्र छलाह। एहि प्रकारें दिवाकर आ रविकरक पौत्र म.म. गोविन्द ठाकुर समकालिक सिद्ध होइत छथि। ई गोविन्द ठाकुर इतिहास प्रसिद्ध छथि। हिनक रचना काव्यप्रकाशप्रदीप, श्लोकदीपिका, मन्त्रदीपिका आ पूजाप्रदीप ज्ञात रचना थीक। हिनक पुत्र म.म. देवनाथ सेहो ऐतिहासिक रूपसँ ज्ञात छथि जे लक्ष्मण संवत् 400मे मन्त्रकौमुदी नामक ग्रन्थक रचना कएलनि।

म.म. परमेश्वर झा हिनक काल देवसिंहक समयमे मानैत छथि। मिथिलातत्त्वविमर्शमे ओ लिखैत छथि जे महाराज भवसिंह जखनि छत्तीस वर्ष राज्य कए वाग्वतीक कातमे अपन शरीर त्याग कएल ओही आसन्नकालमे धूर्त गोनू रहथि। (पृ. पूर्वार्द्ध 150-51, प्रथम संस्करण, दरभंगा, 1949ई.)

म.म. परमेश्वर झाक अनुसार गोनूझाक काल 14म शतीक मध्यकाल मानल जएबाक चाही। ओ हिनका ओइनिवार शासनक कालमे मानैत छथि। मुदा गोनूक वंशावलीक आधार पर जँ सूक्ष्म विवेचन कएल जाए तँ ई कर्णाटकालक सिद्ध होइत छथि।

मुदा जँ सूक्ष्मदृष्टि सँ गोनूझाक काल निर्धारणक लेल हमरालोकनिकें दोसर साक्ष्य सेहो देखबाक चाही। परमेश्वर झा स्वयं हुनक वंशावली लिखैत छथि जकरा अनुसार गोनू झा सोनकरियाम करमहा वंशक बीजीपुरुष वंशधरक पुत्र छलाह। हिनक मातामह सकराढ़ी वंशक चांदेयी रहथि। एहि सोन करियाम वंशक संग सम्बन्ध स्थापित कएनिहार आन वंशक ज्ञात लोकक अनुसन्धान कए हमरालोकनि सूक्ष्म रूपसँ कालनिर्धारण कए सकैत छी।

म.म. परमेश्वर झा सेहो मानैत छथि जे गोनू आ म.म. हरिकेश सोदर भाई रहथि। हिनक छठम पीढीक संतान दिवाकर प्रसिद्ध बाछे घोसौतमूलक रविकरक दुहितृदौहित्र छलाह। एहि प्रकारें दिवाकर आ रविकरक पौत्र म.म. गोविन्द ठाकुर समकालिक सिद्ध होइत छथि। ई गोविन्द ठाकुर इतिहास प्रसिद्ध छथि। हिनक रचना काव्यप्रकाशप्रदीप, श्लोकदीपिका, मन्त्रदीपिका आ पूजाप्रदीप ज्ञात रचना थीक। हिनक पुत्र म.म. देवनाथ सेहो ऐतिहासिक रूपसँ ज्ञात छथि जे लक्ष्मण संवत् 400मे मन्त्रकौमुदी नामक ग्रन्थक रचना कएलनि।

अब्दे लक्ष्मणसेनस्य वियच्छून्याब्धिलक्षिते।

अकरोत् कौमुदीमेतां देवनाथो जगद्धिताम्।।

मन्त्रकौमुदी, आचार्य रमानाथ झा (सम्पादक), मिथिला शोध संस्थान, दरभंगा 1960ई. पृ. 190)  

करमहा मूलखण्डवलाकरमहा मूलघोसौत मूल
  म.म. हरिकेश, गोनू 
  लान्हि, रुचिकर 
  गिरीश्वर 
  गंगेश्वररविकर
श्रीधर श्रीवत्समहो बुद्धिकर
रतिधरसोरमा पति दूबे ठाकुर (श्रीधरक जमाए)दिवाकरम.म. गोविन्द
रमापति प्र. विष्णुपुरी (1450-1500ई.)चान ठाकुर म.म. देवनाथ (1475-1525ई.)
 महेश ठाकुर, दामोदर ठाकुर आदि (1520-1580)  

एतए एक रॉ मे जे छथि हुनका समकालिक मानल जाए।उपर्युक्त गंगेश्वरक एक पुत्र श्रीधर रहथि जे तरौनी अएलाह। हुनक सभसँ ज्येष्ठ पुत्र रतिधर छलाह। हिनक पुत्र रमापति छलाह जे संन्यास ग्रहण कएलाक बाद परमहंस विष्णुपुरीक नामसँ प्रसिद्ध भेलाह। एहि विष्णुपुरीक काल निर्धारण अन्य एतिहासिक स्रोतसँ भए चुकल अछि। ई भक्तिरत्नावली नामक ग्रन्थक रचना कएलनि जकर बंगला अनुवाद 1488ई.क लगपास सिलहटक राजा दिव्यसिंह कएने रहथि जे अद्वैताचार्यक द्वारा संन्यासक दीक्षा देला पर लउड़िया कृष्णदासक नामें विख्यात भए वृन्दावन वास कएलनि। एहि प्रकारें विष्णुपुरी 1450-1500ई. धरि सक्रिय छलाह। उपर्युक्त पंजीमे रमापतिक पीढ़ी जोड़ला पर ओ घुसौतक म.म. देवनाथक समकालिक सिद्ध होइत छथि, जे पंजी आ इतिहासक अन्य स्रोतसँ प्रामाणिक सिद्ध होइत अछि।

एतबे नहि, रतिधरक सोदर बहिन सोरमाक विवाह खण्डवला कुलक दूबे ठाकुर प्रसिद्ध श्रीपति भेल छल। हुनक पुत्र चान ठाकुर प्रसिद्ध चन्द्रपति भेलाह। हिनक पुत्र खण्डवला राजवंशक संस्थापक महेश ठाकुर रहथि-

“दूबे प्रसिद्ध श्रीपतिसुताः हरपति, नरपति, चन्द्रपति, प्र. चान्द (चान)काः सोनकरियाम करमहा सं. गंगेश्वर सुत श्रीधर दौ.। शक्तिरायपुर नरोन सं. मुरारि दु.दौ.। चन्द्रपति प्र. चान्द (चान) सुताः म.म. महादेव, प्र. थेघ, म.म भगीरथ प्र. मेघ, म.म. दामोदर, मिथिलाराज्योपार्जक म.म महेशाः, रेकोटा. सकराढ़ी सं. वीर सुत रूद दौ।”

एहि प्रकारें घोसौत वंशक देवनाथ ठाकुर, खण्डवलाक चान ठाकुर आ करमहा तरौनीक रमापति प्रसिद्ध परमहंस विष्णुपुरी समकालिक सिद्ध होइत छथि।

एकटा आरो पंजी भेटल अछि जकरा अनुसार करमहाक रतिधरक पत्नी मौराक सोदर बहिन गौराक विवाह हरिअम्म चान कटमा वंशमे उत्पन्न दीनू मिश्र सँ भेल छल, जे भैरव सिंहक पत्नीक मातामह छलाह। ई पुत्रीक विवाहक प्रसंग थीक आ कम वयस मे कन्याक विवाह होइत छल, बेसी बयसक पतिसँ सेहो कम बयसक कन्याक विवाह होइत छल तें रतिधर आ भैरव सिंहक बीच तीन पीढीक काल मानि मात्र दू पीढ़ीक अवधि मानब उचित होएत।      

उपर्युक्त वंशावलीक आलोकमे हमरालोकनि देखैत छी जे म.म. देवनाथसँ सात पीढ़ी पूर्व करमहामूलमे म.म. हरिकेश आ हुनक भाई गोनू रहथि। सात पीढ़ीक लेल सामान्यतः 175-225 वर्ष चाही। तें म. म. गोनूक समय 1275-1325ई. मानल जेबाक चाही। ई काल कर्णाटक शासनक काल थीक। अतएव हमर मतमे गोनू ओइनिवार शासन कालमे नहि कर्णाटकालमे छलाह।

डा. रामदेव झा सेहो गोनू केँ ओइनिवार शिवसिंहसँ दू सय वर्ष पुरान मानैत छथि। (द्रष्टव्य : “धूर्तराज गोनू झा :, मिथिलाक लोककथा नायक”, मैथिली लोक साहित्य : स्वरूप ओ सौन्दर्य, मिथिला रिसर्च सोसायटी, कबिलपुर दरभंगा, 2002ई. पृ. 159) एही ठाम ओ लिखैत छथि जे हरिसिंहदेवक समय जखनि पंजीक निर्माण भए रहल छल, तखनि गौनू झाक प्रपौत्र गंगेश्वर वर्तमान रहथि। आ तें डा. झा गोनू झाक समय 1200ई.क लगपास अर्थात् नरसिंहदेव ओ रामसिंहक समकालीन मानैत छथि।

हरिसिंहदेवक समय गंगेश्वर छलाह ई डा. झा अनुमान लगओने छथि। तें डा. रामदेवझाक समग्र मतसँ हम सहमत नहि छी। उपर्युक्त साक्ष्यमे म.म देवनाथ, परमहंस विष्णुपुरी आ म.म. महेश ठाकुरक काल निर्धारित अछि। तें धूर्तराज गोनू केँ 1275-1325ई.क बीच मानल जा सकैत अछि। ओ शक्रसिंह अथवा हुनक पुत्र हरिसिंहक कालमे अनुमानतः छल होएताह। एतावता हिनका ज्योतिरीश्वर ठाकुरक समकालिक मानब उचित होएत।

 इतिहासकार डा. शंकरदेव झा एकटा सूचना दैत छथि जे “खिस्सावला गोनूझाक उपाधि धूर्त्तराट् छलनि।हिनक एकटा भाय छलथिन हरिब्रह्म जनिकर लिखल एकटा चण्डेश्वरक प्रशस्तिमूलक पद प्राकृतपैंगलम् मे अछि। तें गोनूझाक काल तेरहम-चौदहम शताब्दीक संधिकाल छलनि।” शंकरदेव झाक ई मत पंजीक साक्ष्यसँ सेहो सिद्ध होइत अछि।

डा. उदयनाथ झा ‘अशोक’क मत छनि जे गोनू झाक एक पोथी सांख्य दर्शन पर सेहो अछि। ओकर अन्वेषण आ सुलभ प्रकाशन आवश्यक अछि।

मैथिलीमे गोनू झाक काल पर विभिन्न प्रकारक मत देल गेल अछि। डॉ उपेन्द्र ठाकुर हुनका ओइनवार राजा भव सिंह (भवेश/भवेश्वर)क समकालीन मानैत छथि (History of Mithila, p. 304)। भवसिंह 1410 ई.क आसपास राजा भेल छलाह। अतः डॉ. ठाकुरक एहि मतसँ सेहो सहमत नहिं भेल जा सकैत अछि।

विदेह-सदेह-11, वर्ष 2012ई. श्रुति प्रकाशन क सम्पादकीय मे गजेन्द्र ठाकुर मैथिलीक साहित्यकार लोकनिक द्वारा गोनू झाक विभिन्न प्रकारक काल-निर्धारणक चर्चा कएने छथि। मुदा ओ स्वयं पंजीक आधार पर हिनक काल 1050-1150क बीच मानैत छथि। ओ लिखैत छथि जे-

“ई ऐतिहासिक लिखित तथ्य अछि जे गोनू झा १०५०-११५० मे भेलाह मुदा उषा किरण खान संस्कृत आ अवहट्टबला विद्यापतिसँ हुनकर शास्त्रार्थ करबै छथि (हिन्दीक ऐतिहासिक उपन्यास सिरजनहार, भारतीय ज्ञानपीठमे)। वीरेन्द्र झा कहै छथि जे गोनू झा ५०० साल पहिने भेला आ तारानन्द वियोगी गोनू झा कें ३०० साल पहिने भेल मानै छथि (दुनू गोटेक हिन्दीमे प्रकाशित गोनू झापर पोथी, क्रमसँ राजकमल प्रकाशन आ नेशनल बुक ट्रस्टसँ प्रकाशित) तँ विभा रानीक गोनू झापर हिन्दी पोथी (वाणी प्रकाशन) मे कुणाल गोनू झाकें भव सिंहक राज्यमे (१४म शताब्दी) भेल मानैत छथि। जखन पंजीमे उपलब्ध लिखित अभिलेखन गोनू झाकें संस्कृत आ अवहट्टबला विद्यापतिसँ दस पीढ़ी पहिने अभिलेखित करैत अछि, तखन ई हाल अछि। मिथिला क्षेत्रक शब्दावली आ संस्कृति- जे हिन्दीक लोककें अबूझ आ तें रुचिगर लगै छै- तथ्यमे ई मैथिली-हिन्दी लेखक सभ अपन आज्ञानतासँ ढेर रास गलत तथ्य पडसि रहल छथि, साम्प्रदायिक लेखक लोकनि गोनू झाक कथामे मुस्लिम तहसीलदारक अत्याचार घोँसिया रहल छथि (मुस्लिम लोकनि मिथिलामे गोनूक समए मे रहबे नै करथि)!”

दोसर दिस पत्रकार आशीष झा जो स्वयं करमहा कुलक सन्तान छथि ओ मानैत छथि जे गोनू झा महेश ठाकुरक जमाय छलाह आ तें शुभंकर ठाकुर जखनि राजगद्दी पर बैसलाह तखनि हुनका सभाक नवरत्नमे सम्मिलित कएल गेल। वस्तुतः महेश ठाकुरक पुत्रीक विवाह हरिअम्मक शिखे मिश्रसँ भेल छल जाहिमे हरिनाथ, हृषीकेश आ मुरारी ई तीन भाइ भेलाह। तें आशीष झा अपन कोनो कथनक लेल पंजीकेँ उद्धृत कएने बिना मानि लेने छथि जे गोनू झा 1550सँ 1600 ई.क बीच रहथि। ओ एकटा आधारक चर्चा बेर बेर करैत छथि जे गोनू झासँ हुनका धरिक पंजीमे 20 पीढ़ीक उल्लेख भेटैत अछि। 20 पीढ़ीक लेल ओ एतबा वर्ष पर्याप्त बुझैत छथि।

हुनक भ्रमक एक कारण आर अछि। ओ लिखैत छथि जे दामोदर ठाकुरक पौत्रक विवाह करमहाक हरिकेशक बेटी सँ भेल छल माने गोनू झाक भतीजीसँ भेल छल। गजेन्द्र ठाकुर द्वारा सम्पादित मिथिलाक पंजी जीनोम मैपिंगक द्वितीय भागक पृ, 543 पर पंजीक उल्लेख एहि प्रकारें भेल अछि-

“महोपाध्याय ठ. दामोदर सुत महोदधि महोदधि सुतौ विश्वनाथ जोननो छतिमल मातृकौ। विश्वनाथ सुतौ सुपे गंगाधरौ दक्षिण कटाई सँ महो भीम दौ। सुपे प्र. देवनाथ सुता जाटू मतिसर बाटू लाखूकाः करमहासँ हरिकेश सुत लक्ष्मीपति दौ।”

एतए ई कहल गेल अछि जे करमहाक हरिकेशक पुत्र लक्ष्मीपतिक पुत्रीक विवाह सुपे प्रसिद्ध देवनाथ सँ भेल छल जे दामोदर ठाकुरक पौत्र रहथि। एतए करमहाक हरिकेश वंशधरक पुत्र थिकाह से कतहु स्पष्ट नहि अछि। तें इएह मानब उचित थीक जे सुपे प्रसिद्ध देवनाथक विवाह कोनो आन लक्ष्मीपतिक पुत्रीसँ भेल छल।

संगहि जखनि म.म. दामोदर ठाकुरक पितृमातामह (पिताक मातामह) श्रीधर हरिकेशक वृद्धप्रपौत्र (पाँचम पीढ़ीक संतान) रहथि आ एहि प्रकारें दामोदर ठाकुर सँ आठ पीढ़ी पूर्वक हरिकेश सिद्ध होइत छथि तखनि हरिकेशक पौत्रीक विवाह दामोदर ठाकुरक पौत्रसँ होएब कोनो प्रकारें सम्भव नहि अछि।

पंजी यद्यपि कालनिर्धारणक लेल बड़ उपयोगी अछि मुदा एकल पंजी पर विश्वास नहिं कएल जा सकैत अछि। काल निर्धारणक लेल एक वंशक संग दोसर आ तेसर वंशक वैवाहिक सम्बन्ध सभक परीक्षा कए कोनो एकह व्यक्तिकेँ ताकल जाइत अछि जनिक काल आन स्रोतसँ यथा ग्रन्थ रचनाक स्रोतसँ सिद्ध अछि। एहन व्यक्तिकें लैंडमार्क बूझि हुनकासँ पीढ़ी गनि कए पंजीक उपयोग काल निर्धारणक लेल होइत अछि जाहिमे 25-50 वर्षक अन्तर भए सकैत अछि।

एहि प्रकारें ई सिद्ध होइत अछि जे गोनू झा कर्णाट शासक शक्रसिंह अथवा हरिसिंहक शासन कालमे रहथि।

गोनू झाक गाम

गोनू झाक गामक सम्बन्धमे सेहो मतभेद अछि। एक मतसँ ई भड़बारा गामक छलाह। ओतए हिनक प्रतिमा सेहो स्थापित कए देल अछि। जकर नींचाँ में लिखल अछि- “स्व.– गोनू झा, स्थापित– NOV नवंबर 1989, द्वारा– नवयुवक संघ, मंचनिर्माण– JULY 2007, द्वारा– श्रीसतचंडी महायज्ञ समिति, भड़वारा।”

दोसर मत अछि जे ई अमरावतीक तट पर सरिसब पाही गामक कात मे रहथि। तेसर मत जे भरवाड़ा गाम वास्तवमे भउआड़ा>भौरा थीक जे वर्तमानमे मधुबनीक लग अछि। भौर गाम सेहो एतहि अछि जे वर्तमानमे राजग्राम कहबैत अछि।

वास्तवमे एकरा पाछाँ कोनो ऐतिहासिक साक्ष्य नहिं भेटैत अछि। गोनू झाक पिता वंशधर करमहा मूलक बीजीपुरुष छलाह से निर्विवाद अछि। ई करमहा गाम कतए छल ओकर खोज सभसँ पहिने आवश्यक। कर्णाट कालमे सत्ताक केन्द्र राजधानी सिमरौनगढ रहए। सिमरौन गढ़क समीप मे रहनिहार आ ओहि पर शोध कएनिहार सूचित करैत छथि जे बकैया नामक एकटा नदी सिमरौन गढ़क समीप बहैत अछि, जकर धारामे परिवर्तनक कारणें कर्महिया नामक गाम भाँसि गेल अछि। एहि क्षेत्रमे 18 टा पुरान डीह चिह्नित कएल गेल अछि आ अनेक इनारक अवशेष भेटल अछि। करमहाक वंश मे हमरालोकनि गंगेश्वरक बाद विभिन्न गाममे जाए बसबाक प्रवृत्ति पबैत छी तेँ ई स्पष्ट अछि जे गोनू झा सोन करियाम करमहा गाममे छलाह जे सिमरौन समीप बलाइन नदीक कातमे छल। सिमरौन गढ़क समीप एहि बकैया नदीक प्रवाह पर आरो बेसी अध्ययनक काज अछि।

परवर्ती कालमे गोनू झा एकटा उपाधि बनि गेल

मिथिलामे प्रत्युत्पन्न मति वला व्यक्तिक कमी नहिं। धूर्तराज उपाधि वला एकटा भाना झा सेहो ज्ञात पुरुष छथि। गोनू झा सेहो प्रत्युत्पन्नमतिक व्यक्ति छलाह। कोनो समस्याक समाधान अतिशीघ्र सोचि लैत छलाह। केओ हुनका ठकि लेत से सम्भव नै। तें प्रतीत होइत अछि जे परवर्तीकालमे मिथिलाक एहेन लोकक लेल गोनू झा एकटा उपाधि बनि गेल आ तें हमरालोकनि एकहि व्यक्तिक निवास स्थान आ कालक सम्बन्धमे विभिन्न प्रकारें सोचैत छी। गोनू झाक खिस्सामे कमलाक धार, मुगलकालक कर्मचारीक सभक उपस्थिति आदि पबैत छी। स्पष्ट अछि जे आइ गोनू झा एकटा व्यक्ति नहिं परम्परा बनि गेल छथि। मुदा मूल गोनू झाक इतिहास जे पबैत छी से ऊपर वर्णित कएल गेल अछि।

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Bhavanath Jha

मिथिला आ मैथिलीक लेल सतत प्रयासरत

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