इस पाठ को पढने से पूर्व पाठमाला 1 से चार तक कण्ठस्थ कर लें। तभी इस पाठ को पढने से कोई लाभ होगा।
इसके साथ ही निम्नलिखित तालिका को हमेशा ध्यान में रखें
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा- | 1. बालक ने | 2. दो बालकों ने | 3.अधिक बालकों ने |
द्वितीया- | बालक को | दो बालकों को | अधिक बालकों को |
तृतीया- | बालक से | दो बालकों से | अधिक बालकों से |
चतुर्थी- | एक बालक के लिए | दो बालकों के लिए | अधिक बालकों के लिए |
पञ्चमी- | 13. एक बालक से | 14. दो बालकों से | 15.अधिक बालकों से |
षष्ठी- | 16. एक बालक का | 17.दो बालकों का | 18. अधिक बालकों का |
सप्तमी- | 19 एक बालक में | 20. दो बालकों में | 21. अधिक बालकों में |
संबोधन- | 22. हे एक बालक! | 23. हे दो बालकों | 24 हे अनेक बालकों |
संस्कृत के जिन शब्दरूपों को अभ्यास के लिए दिया जा चुका है उनमें आपने 21 या 24 शब्द देखे होंगे। वे क्रमशः संख्या में इसी प्रकार हैं। जिन शब्दों के संबोधन नहीं होते हैं उनके 21 रूप ही होते हैं। उनके अर्थ इसी प्रकार जानना चाहिए।
अप यहाँ आप स्मरण कर कंठस्थ किए गये प्रत्येक शब्द का अर्थ समझने का प्रयत्न करें। जैसे- वृक्षात् = वृक्ष से, चन्द्रमसं= चन्द्रमा को, ग्रामाणाम्= गाँवों का, देशेषु=देशों में इत्यादि।
इस स्तर पर आप अपनी स्मृति पर जितना जोर देकर शब्द के साथ अर्थ तथा अर्थ के साथ शब्द का सम्बन्ध बैठायेंगे उतनी शीघ्रता से आप संस्कृत बोलने तथा लिखने और समझने के लिए सक्षम होंगें।
यहाँ तक संस्कृत पाठमाला का एक स्तर पूर्ण हुआ।