Sticky
bipra-dhenu--

लाला बैजनाथ ने Modern Hindu Religion And Philosophy यानी आधुनिक भारतीय धर्म एवं दर्शन पर व्याख्यान दिया था। इस व्याख्यान के अंतर्गत उन्होंने तुलसीदास के रामचरितमानस के विषय में जो कुछ लिखा है, वह इस विषय में कहा गया सबसे महत्त्वपूर्ण व्याख्यान प्रतीत होता है। वे लिखते हैं- ‘आधुनिक राम वाल्मीकि के राम नहीं है, जो कि उनके समकालीन थे, वे आज तुलसीदास के राम हैं, जो 1600ई. के आसपास हुए थे औऱ उनका प्रभाव उनके जीवनकाल से अधिक आज के समाज पर है।”Continue Reading

bipra-dhenu--

बिप्र धेनु सुर संत हित लीन मनुज अवतार भगवान् श्रीराम के अवतार लेने के बारे में गोस्वामीजी कहते हैं कि वे ब्राह्मण, गाय, देवता तथा संत की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं। स्पष्ट है कि जो लोग इस पृथ्वी पर कष्ट पाते हैं और कष्ट का अंत करने केContinue Reading

Sticky
sama-chakeba ki kahani

लेखिका – श्रीमती रंजू मिश्रा द्वारा, श्री बी.के. झा, प्लॉट सं. 270, महामना पुरी कालोनी, बी.एच. यू., वाराणसी धर्मायण, महावीर मन्दिर, पटना, 2022ई. अंक संख्या 125, पृ. 62-70 सम्पादक पं. भवनाथ झा की टिप्पणी : सामा-चकेबा मिथिला का लोकपर्व है। इसकी मूल-कथा कृष्ण, उनकी पुत्री साम्बा, पुत्र साम्ब, उनका एकContinue Reading

Sticky
Bhaiya dooj and godhana in Bhojpuri culture

भोजपुरी-संस्कृति फूहड़ नहीं, सनातन की कोमलता और मानवीयता से भरी-पूरी है- ‘धर्मायण’ पत्रिका, महावीर मन्दिर, पटना प्रकाशन
आज भले हम भोजपुरी गीतों में अश्लीलता और फूहड़पन पाते हैं, पर यहाँ की मूल धारा कहीं से भी फूहड़ नहीं। सनातन संस्कृति की वहीं धारा यहाँ भी आज विभिन्न पर्वों और त्योहारों के अवसर पर हम देखते हैं। भैया-दूज की ही परम्परा लें तो हमें भाव-विह्वल कर देने वाली संस्कृति यहाँ देखने को मिलती है।Continue Reading

Bharaditiya mithila men

दशपात पुरैन पर किसी पवित्र धातु या फिर मिट्टी का कोइ गहरा पात्र रखती हैं। उस पात्र में कुम्हरे का फूल, पान, सुपाड़ी, हर्रे, मखाना और साथ में चांदी का सिक्का रखती हैं। पीठार और सिंदूर की डिब्बी, जलपात्र, धूप-दीप भी रखा जाता है। भाई उस पीढे पर अपनी अंजलि को पात्र के उपर करके बैठता है। बहन उसे सिंदूर-पिठार से टीका लगाती हैं। अंजुरी के दोनों तलहथी में भी सिंदूर पिठार लगाती हैं, फिर जितना कुछ उस पात्र में सामग्री रखा रहता है, सब कुछ उठाकर पहले उसके अंजुरी में भर देती हैं फिर जल के द्वारा हाथ से उसे उसी पात्र में गिरा देती हैं। यह क्रम तीन बार किया जाता है। इस विधान को करते हुए बहने अपने भाई के आयुवृद्धि के लिए या तो संस्कृत का या फिर लोकमंत्र को पढते हुए निभाती हैं–Continue Reading

Vritta Muktavali of Maithil Durgadatta

एतए हमरा एहि ग्रन्थक एक पाण्डुलिपि उपलब्ध अछि जे संवत् 1866मे भराम गाम मे रामवत्स नामक व्यक्ति द्वारा लिपिबद्ध कएल छल। तदनुसार एकर लेखनकाल 1810ई. थीक। एकर पुष्पिकामे एहि प्रकारें अछि-
इतिश्रीमैथिलदुर्गादत्तविरचितायां वृत्तमुक्तावल्यां वृत्तबोधको नाम तृतीयः प्रयासः। शुभमस्तु संवत्सरः 1866 मिथिलादेशे भरामग्रामे लिखितोऽयं ग्रन्थो रामवत्सेन। Continue Reading

mithila map

भाषा, लिपि, चौहद्दीक प्राचीन उल्लेख एहि तीनू कारकक संग आरो बहुत रास एहन तत्त्व सभ विवचनीय अछि जे मिथिलाक अस्मिताक निर्धारक तत्त्व थीक, जेकर विवेचन एतए अपेक्षित अछि।Continue Reading

कुशोत्पाटिनी अमावस्या दि. 27 अगस्त, 2022 ई. को कुश कैसे उखाड़ें? कुश उखाड़ने का मन्त्र क्या है? कुश उखाड़ने की विधि :- जहाँ कुश उपलब्ध हो उसे वहाँ से उखाड़ने के लिए पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठना चाहिए। पहले खुरपी या खन्ती से कुश की जड़ कीContinue Reading

places of Hanumanji

हनुमानजी के जन्मस्थान के सम्बन्ध में वर्तमान झारखण्ड के गुमला जिला का दावा भी आधारहीन नहीं है। यहाँ आज भी सहस्र वर्षों से श्रीराम के अनुयायी बजरंग, हनुमान, पवन के गोत्र (टोटम) जाति वनवासीContinue Reading