Brahmi Publication

Top Menu

  • उद्देश्य
    • पुस्तक-प्रकाशन
    • पोथी, जे पढल
  • ई-प्रकाशन
  • लोक-वेद
    • पाबनि-तिहार
    • पूजा-पाठ
    • ज्योतिष-विचार
  • इतिहास
    • वाल्मीकि रामायण
    • धरोहर
  • मिथिलाक्षर
  • संस्कृत भाषा-शिक्षा
    • संस्कृत पाठमाला 7 – कारक, सामान्य परिचय
    • पाठ- 6. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति) संस्कृत भाषा में विशेष्य-विशेषण भाव सम्बन्ध
    • पाठ- 5. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति)
    • पाठ- 4. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति) सर्वनाम शब्दों के रूप
    • पाठ- 3. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति)
    • पाठ- 2. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति)
    • पाठ- 1. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति)
  • वैधानिक
    • बार-बार पूछे गये प्रश्न
    • गोपनीयता, नियम एवं शर्तें-
    • कूकी की स्थिति (Cookies)
  • पं. भवनाथ झा का परिचय
  • Contact
  • भुगतान एवं पुस्तक प्राप्ति

Main Menu

  • उद्देश्य
    • पुस्तक-प्रकाशन
    • पोथी, जे पढल
  • ई-प्रकाशन
  • लोक-वेद
    • पाबनि-तिहार
    • पूजा-पाठ
    • ज्योतिष-विचार
  • इतिहास
    • वाल्मीकि रामायण
    • धरोहर
  • मिथिलाक्षर
  • संस्कृत भाषा-शिक्षा
    • संस्कृत पाठमाला 7 – कारक, सामान्य परिचय
    • पाठ- 6. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति) संस्कृत भाषा में विशेष्य-विशेषण भाव सम्बन्ध
    • पाठ- 5. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति)
    • पाठ- 4. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति) सर्वनाम शब्दों के रूप
    • पाठ- 3. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति)
    • पाठ- 2. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति)
    • पाठ- 1. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति)
  • वैधानिक
    • बार-बार पूछे गये प्रश्न
    • गोपनीयता, नियम एवं शर्तें-
    • कूकी की स्थिति (Cookies)
  • पं. भवनाथ झा का परिचय
  • Contact
  • भुगतान एवं पुस्तक प्राप्ति
  • उद्देश्य
    • पुस्तक-प्रकाशन
    • पोथी, जे पढल
  • ई-प्रकाशन
  • लोक-वेद
    • पाबनि-तिहार
    • पूजा-पाठ
    • ज्योतिष-विचार
  • इतिहास
    • वाल्मीकि रामायण
    • धरोहर
  • मिथिलाक्षर
  • संस्कृत भाषा-शिक्षा
    • संस्कृत पाठमाला 7 – कारक, सामान्य परिचय
    • पाठ- 6. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति) संस्कृत भाषा में विशेष्य-विशेषण भाव सम्बन्ध
    • पाठ- 5. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति)
    • पाठ- 4. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति) सर्वनाम शब्दों के रूप
    • पाठ- 3. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति)
    • पाठ- 2. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति)
    • पाठ- 1. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति)
  • वैधानिक
    • बार-बार पूछे गये प्रश्न
    • गोपनीयता, नियम एवं शर्तें-
    • कूकी की स्थिति (Cookies)
  • पं. भवनाथ झा का परिचय
  • Contact
  • भुगतान एवं पुस्तक प्राप्ति

logo

Brahmi Publication

  • उद्देश्य
    • जानकीपूजाविधि, (जानकीसहस्रनाम सहित), लेखक- पण्डित श्री शशिनाथ झा

      May 3, 2022
      0
    • article by Radha kishore Jha

      वेद या वेदान्त प्रतिपाद्य धर्म क्या है?

      October 28, 2021
      0
    • धर्मायण के आश्विन अंक के डिजिटल संस्करण का हुआ लोकार्पण

      September 21, 2021
      1
    • Kadamon ke Nishan

      मानवीय संवेदनाओं को समेटती डा. धीरेन्द्र सिंह की मैथिली कविताएँ- "कदमों के ...

      September 6, 2021
      0
    • Krishna-janma cover

      मनबोधकवि कृत कृष्णजन्म (प्रबन्धकाव्य), डा. शशिनाथ झा द्वारा सम्पादित

      May 2, 2021
      0
    • Kirtilata cover

      विद्यापति कृत कीर्त्तिलता, डा. शशिनाथ झा द्वारा सम्पादित

      May 2, 2021
      1
    • विद्यापति कृत कीर्तिगाथा एवं कीर्तिपताका, डा. शशिनाथ झा द्वारा सम्पादित

      विद्यापति कृत कीर्तिगाथा एवं कीर्तिपताका, डा. शशिनाथ झा द्वारा सम्पादित

      May 2, 2021
      1
    • अपभ्रंश काव्य में सौन्दर्य वर्णन

      अपभ्रंशकाव्य में सौन्दर्य वर्णन -डॉ. शशिनाथ झा

      April 30, 2021
      1
    • डाकवचन-संहिता

      डाकवचन संहिता (टिप्पणी-व्याख्या सहित विशुद्ध पाठ, सम्पूर्ण)- डॉ. शशिनाथ झा

      April 30, 2021
      1
    • पुस्तक-प्रकाशन
    • पोथी, जे पढल
  • ई-प्रकाशन
  • लोक-वेद
    • Dayananda's merits

      ‘पितर’ के अर्थ में ‘अग्निष्वात्ताः’ शब्द का वास्तविक अर्थ क्या है?

      September 25, 2022
      0
    • Sanatana religion

      Hinduism versus Sanatana Dharma : Which of the two words is correct?

      May 10, 2022
      0
    • Krishnasthami

      ताही बीचै जनमल छोरा यानी उसी बीच छोरे श्रीकृष्ण का जन्म

      August 30, 2021
      0
    • सिरहर, सिरहड़

      मिथिलाक लोक-परम्परामे सिरहड़-सलामी

      August 7, 2021
      0
    • श्राद्ध-कर्म

      विपरीत परिस्थिति में श्राद्ध की शास्त्र-सम्मत विधि

      May 12, 2021
      0
    • डाकवचन-संहिता

      डाकवचन संहिता (टिप्पणी-व्याख्या सहित विशुद्ध पाठ, सम्पूर्ण)- डॉ. शशिनाथ झा

      April 30, 2021
      1
    • मिथिलाक प्राचीन सदाचार 01

      March 17, 2021
      0
    • Responsibilities of a Brahmana

      छठ का अर्घ्य- पण्डितजी की जरूरत क्यों नहीं?

      November 18, 2020
      1
    • Responsibilities of a Brahmana

      मैथिली लोकगीतों में नारी

      August 15, 2020
      0
    • पाबनि-तिहार
    • पूजा-पाठ
    • ज्योतिष-विचार
  • इतिहास
    • श्राद्ध और पितृकर्म पर एक खुली बहस- सनातन धर्म हमें जोड़कर रखता ...

      October 2, 2023
      0
    • manuscript from Mithila

      गोनू झा व्यक्तित्व आ इतिहासक स्रोतक रूपमे पंजी-विमर्श

      August 7, 2023
      0
    • धूर्तराज गोनू कर्णाट शासनक कालक ऐतिहासिक पुरुष छलाह

      August 4, 2023
      0
    • सतीप्रथा

      भारत में सती प्रथा पर हंगामे के इतिहास की सच्चाई

      June 3, 2023
      1
    • Arya Samaj

      जॉन मुइर की ‘मतपरीक्षा’ तथा दयानन्द के ‘सत्यार्थप्रकाश’ का ‘साइड इफैक्ट’

      May 21, 2023
      0
    • bipra-dhenu--

      भारतीयों का वेद 'रामचरितमानस'

      March 15, 2023
      0
    • Vritta Muktavali of Maithil Durgadatta

      मैथिल दुर्गादत्त ओ हुनक छन्दःशास्त्रीय ग्रन्थ 'वृत्तरत्नावली'

      September 23, 2022
      1
    • Lalkrishna Advani on Maithili language

      मैथिली आ अंगिका पर लालकृष्ण आडवानी की बाजल रहथि

      September 22, 2022
      0
    • mithila map

      मिथिला आ ओकर अस्मिताक निर्धारक तत्त्व

      August 31, 2022
      0
    • वाल्मीकि रामायण
    • धरोहर
  • मिथिलाक्षर
  • संस्कृत भाषा-शिक्षा
    • संस्कृत पाठमाला 7 – कारक, सामान्य परिचय
    • पाठ- 6. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति) संस्कृत भाषा में विशेष्य-विशेषण भाव सम्बन्ध
    • पाठ- 5. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति)
    • पाठ- 4. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति) सर्वनाम शब्दों के रूप
    • पाठ- 3. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति)
    • पाठ- 2. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति)
    • पाठ- 1. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति)
  • वैधानिक
    • बार-बार पूछे गये प्रश्न
    • गोपनीयता, नियम एवं शर्तें-
    • कूकी की स्थिति (Cookies)
  • पं. भवनाथ झा का परिचय
  • Contact
  • भुगतान एवं पुस्तक प्राप्ति
  • सनातन धर्म में बहुदेववाद बनाम धार्मिक स्वतंत्रता

  • क्या सनातन धर्म में बदलाव सम्भव नहीं है?

  • जॉन मुइर की ‘मतपरीक्षा’ तथा दयानन्द के ‘सत्यार्थप्रकाश’ का ‘साइड इफैक्ट’

  • छठ का अर्घ्य- पण्डितजी की जरूरत क्यों नहीं?

  • छठि परमेसरीक स्वरूप आ कथा

संस्कृत भाषा-शिक्षा
Home›संस्कृत भाषा-शिक्षा›संस्कृत पाठमाला 7 – कारक, सामान्य परिचय

संस्कृत पाठमाला 7 – कारक, सामान्य परिचय

By Bhavanath Jha
September 25, 2021
0
0
Share:
संस्कृत पाठमाला- भवनाथ झा

पिछले पाठ में हमलोगों ने संस्कृत वाक्यों में विशेष्य-विशेषण भाव सम्बन्ध को देखा। अब अर्थ समझने में सबसे पहले हमें कारक एवं विभक्ति का ज्ञान होना आवश्यक है।

प्रत्येक वाक्य में क्रियापद का होना अनिवार्य है। वाक्य में क्रियापद के साथ सभी नाम-पदों का अलग अलग संबन्ध बना रहता है।

अब यहाँ कुछ प्रश्नों को देखें–

  1. कार्य किसने किया
  2. इस कार्य से क्या फल मिला।
  3. इस कार्य में किस साधन का उपयोग किया गया।
  4. कार्य किसके लिए किया गया।
  5. कार्य क्यों किया गया अथवा अलग होने की क्रिया।
  6. कार्य किस जगह किया गया

इन छह प्रश्नों के उत्तर हमें कारक के द्वारा मिल जाते हैं।

जैसे, “स: लेखन्या लिखति”– इस वाक्य में लेखनी यानी कलम साधन है, और लिखति क्रिया है।

“स: विद्यालयं गच्छति” इस वाक्य में विद्यालय जाने का कार्य करनेवाला ‘स:’ है और इस कार्य करने से उसे यह फल मिला कि वह विद्यालय पहुँच गया।

इस प्रकार इन्हीं छह प्रश्नों के उत्तर हमें कारक के द्वारा मिलते हैं।

संस्कृत में कारक छह होते हैं

संस्कृत में क्रिया के साथ जिसका सीधा संबन्ध हो उसे कारक कहते हैं (क्रियान्वयित्वं कारकत्वम्।)

कर्ता कर्म च करणं च सम्प्रदानं तथैव च।

अपादानाधिकरणमित्याहुः कारकाणि षट्॥

  1. कर्ता– क्रिया के संपादक को कर्ता कहते हैं। (पा. सू.– स्वतन्त्र: कर्ता)
  2. कर्म– क्रिया के द्वारा सबसे अभीष्ट फल को कर्म कहते हैं। (पा. सू.– कर्तुरीप्सिततम कर्म)
  3. करण– क्रिया में सबसे अधिक सहायक साधन को करण कहते हैं। (पा. सू.– साधकतमं करणम्)
  4. सम्प्रदान– कर्म के द्वारा जो सबसे बड़ा उद्देश्य होता है, उसे सम्प्रदान कहते हैं। (पा. सू.– कर्मणा यमभिप्रेति स सम्प्रदानम्)
  5. अपादान– जहाँ अलग होने का अर्थ हो, वहाँ जो स्थिर रहे, उसे अपादान कहते हैं। (पा.सू.– धुवमपायेऽपादानम्)
  6. अधिकरण– क्रिया के आधार को अधिकरण कहते हैं। अर्थात् जिस स्थान पर क्रिया सम्पन्न हुई है (पा. सू.– आधारोऽधिकरणम्)

इन्हीं कारकों के अर्थ को प्रकट करने के लिए संस्कृत में विभक्तियाँ लगायी जाती है। जो हम पिछले पाठ में देख चुके हैं। किन्तु उनके विशेष महत्त्व है इसलिए यहाँ फिर दुहराये जा रहे है:

इसके साथ ही निम्नलिखित तालिका को हमेशा ध्यान में रखें

  1. प्रथमा– 1. बालक ने 2. दो बालकों ने 3. अधिक बालकों ने
  2. द्वितीया– 4. बालक को 5. दो बालकों को 6. अधिक बालकों को
  3. तृतीया–. 7. बालक से 8. दो बालकों से 9. अधिक बालकों से
  4. चतुर्थी– 10. एक बालक के लिए 11. दो बालकों के लिए 12. अधिक बालकों के लिए
  5. पञ्चमी– 13. एक बालक से 14. दो बालकों से 15.अधिक बालकों से
  6. षष्ठी– 16. एक बालक का 17.दो बालकों का 18. अधिक बालकों का
  7. सप्तमी– 19 एक बालक में 20. दो बालकों में 21. अधिक बालकों में
  8. संबोधन– 22. हे एक बालक! 23. हे दो बालकों 24. हे अधिक बालकों

यहाँ हमने देखा कि विभक्तियाँ तो सात हैं किन्तु कारक छह ही हैं। षष्ठी विभक्ति अतिरिक्त है। चूँकि सम्बन्ध में शब्दों का क्रिया के साथ सम्बन्ध नहीं रहता है, इसलिए सम्बन्ध को कारक नहीं माना गया है।

अलबत्ता, हिन्दी व्याकरण लिखनेवालों ने सम्बन्ध को भी एक कारक का दर्जा दे दिया है। लेकिन संस्कृत में सम्बन्ध कारक नहीं है।

एक उदाहरण के द्वारा हम इसे समझें– “दशरथस्य पुत्र: राम: रावणं हतवान्”। यहाँ रावण को मारने में दशरथ का कोई सम्बन्ध नहीं है, अपितु राम का सम्बन्ध है और दशरथ का सम्बन्ध राम के साथ है। अत: सीधा सम्बन्ध नहीं होने के कारण सम्बन्ध को कारक नहीं माना गया है।

अब हमलोग इस श्लोक को देखें। इस प्रकार के श्लोक शायद बच्चों को विभक्ति का ज्ञान कराने के लिए प्राचीन काल में लिखे गये थे। इन्हें कंठस्थ कर लें।

रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे

रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः।

रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहं

रामे चित्तलयः सदा भवतु मे हे राम मामुद्धर॥

श्रीराम की स्तुति में रचित इस श्लोक में सभी विभक्तियों का प्रयोग है–

1. रामो राज्यमणिः सदा विजयते– रामः– श्रीराम, राजमणिः– राजाओं के सिरमौर, सदा हमेशा, विजयते जय प्राप्त करते हैं। यहाँ राम कर्ता के रूप में हैं अत: प्रथमा विभक्ति लगी हुई है।

2. रामं रमेशं भजे– राम– श्रीराम को, रमेश– लक्ष्मी के पति को, भजे– भजन करें।

3. रामेणाभिहता निशाचरचमू– रामेण– श्रीराम के द्वारा, निशाचरचमू– राक्षसों की सेना, अभिहता– पराजित की गयी। यहाँ कर्मवाच्य होने के कारण कर्ता से तृतीया विभरि हुई है।

4. रामाय तस्मै नमः। यहाँ ‘नम:’ के योग में चतुर्थी विभक्ति हुई है। इसके अतिरिक्त स्वस्ति, स्वाहा, स्वधा, अलं और वषट् शब्द के रहने पर भी चतुर्थी विभक्ति हो जाती है।

5. रामान्नास्ति परायणं परतरं– रामात्– राम से, परतरं– बडा, परायणं– दूसरे में निवास करनेवाले

6. रामस्य दासोऽस्म्यहम्– अहं– मैं, रामस्य– श्रीराम का दास: – दास, अस्मि–हूँ।

7. रामे चित्तलयः सदा भवतु मे– रामे– श्रीराम में, मे (मम) मेरा, चित्तलय: – मन का विलीन होना, सदा– हमेशा, भवतु– होवे।

8. हे राम मामुद्धर– हे राम– हे श्रीराम, मां– मुझे (मुझको), उद्धर– उबारें।

इस प्रकार, हमें संस्कृत के पौराणिक श्लोकों का अर्थ लगाने का प्रयास करना चाहिए। संस्कृत सीखने वालों के लिए सबसे उत्तम उपाय है कि वे वाल्मीकीय–रामायण, महाभारत, पुराण आदि ग्रन्थ को विना अनुवाद की सहायता लिए पढ़ें। उन्हें ऐसी पुस्तक का क्रय करना चाहिए; जिसमें अनुवाद न हो, केवल मूल पाठ रहे। इस प्रकार जब बार–बार मूलग्रन्थ पढ़ेंगे, तो धीरे धीरे अर्थ भी सीखते जायेंगे। इन ग्रन्थों की भाषा अत्यन्त सुबोध है।

Tagssanskrit learningसंस्कृत पाठसंस्कृत सीखें
Previous Article

धर्मायण के आश्विन अंक के डिजिटल संस्करण ...

Next Article

राज दरभंगा के अधीन 1815ई. में होती ...

0
Shares
  • 0
  • +
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

Bhavanath Jha

मिथिला आ मैथिलीक लेल सतत प्रयासरत

Related articles More from author

  • संस्कृत पाठमाला- भवनाथ झा
    संस्कृत भाषा-शिक्षा

    पाठ- 2. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति)

    August 28, 2021
    By Bhavanath Jha
  • गणेश-पूजा-पद्धति
    पाबनि-तिहारपूजा-पाठ

    गणेश भगवान् की पूजा स्वयं कैसे करें? विस्तार से पूजा विधि एवं स्तोत्रों का संकलन- हवन विधि के साथ

    September 3, 2021
    By Bhavanath Jha
  • संस्कृत पाठमाला- भवनाथ झा
    संस्कृत भाषा-शिक्षा

    पाठ- 6. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति) संस्कृत भाषा में विशेष्य-विशेषण भाव सम्बन्ध

    September 12, 2021
    By Bhavanath Jha
  • संस्कृत पाठमाला- भवनाथ झा
    धरोहर

    पाठ- 5. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति)

    September 2, 2021
    By Bhavanath Jha
  • Vritta Muktavali of Maithil Durgadatta
    इतिहासधरोहर

    मैथिल दुर्गादत्त ओ हुनक छन्दःशास्त्रीय ग्रन्थ ‘वृत्तरत्नावली’

    September 23, 2022
    By Bhavanath Jha
  • पाबनि-तिहारपूजा-पाठ

    मिथिलाक परम्परामे देवोत्थान एकादशी- प्रबोधिनी एकादशी

    September 8, 2019
    By Bhavanath Jha

Leave a reply Cancel reply

अहाँकें इहो नीक लागत

  • a folia of palm leaf
    इतिहासधरोहरलोक-वेद

    History of Panji in Mithila and its relevancy

  • gold in patna Soil
    इतिहास

    पटना की मिट्टी में सोने की खदान, मिट्टी से सोना निकालने की घटना- रॉल्फ फिच की रिपोर्ट

  • सरस्वती
    इतिहासपूजा-पाठ

    सरस्वती का वर्णन वेदों में भी विद्या की देवी के रूप में

  • Maharaj Lakshmishvara Singh
    इतिहास

    दरभंगा महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह द्वारा अकाल राहत कोष

  • gyanvapi
    इतिहासपर्यटन

    ज्ञानवापी कूप का निर्माण किसने किया? इसके जल की क्या है महिमा?

कॉपीराइट की स्थिति

इस साइट का सर्वाधिकार पं. भवनाथ झा के पास सुरक्षित है। नियम एवं शर्तें लागू

सम्पर्क-

भवनाथ झा, Email: bhavanathjha@gmail.com whatsApp: 9430676240

शैक्षणिक उद्देश्य से कापीराइट की स्थिति

एहि वेबसाइटक सामग्रीक सर्वाधिकार पं. भवनाथ झा लग सुरक्षित अछि। शैक्षिक उद्देश्य सँ सन्दर्भ सहित उद्धरणक अतिरिक्त एकर कोनो सामग्रीक पुनरुत्पादन नहिं करी। जँ कतहु शैक्षिक उद्देश्यसँ सामग्री लेल जाइत अछि तँ ओहि वेबपृष्ठक URL सहित देल जा सकैत अछि।

  • उद्देश्य
  • ई-प्रकाशन
  • लोक-वेद
  • इतिहास
  • मिथिलाक्षर
  • संस्कृत भाषा-शिक्षा
  • वैधानिक
  • पं. भवनाथ झा का परिचय
  • Contact
  • भुगतान एवं पुस्तक प्राप्ति
Copyright: Bhavanath Jha- All rights Reserved, 2021