उद्देश्य
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जानकीपूजाविधि, (जानकीसहस्रनाम सहित), लेखक- पण्डित श्री शशिनाथ झा
जानकीक प्रादुर्भाव मिथिलाक भूमिसँ भेल छल। ताहि लागिसँ एतएक लोककेँ हुनका प्रति विशेष समादर भाव उचिते। खासकए जानकीनवमी दिन अनेक ठाम हिनकर पूजनोत्सव कएल ... -
वेद या वेदान्त प्रतिपाद्य धर्म क्या है?
वेद या वेदान्त प्रतिपाद्य धर्म क्या है? तैत्तिरीय श्रुति हमें आदेश एवं उपदेश देती है कि धर्म पथ पर चलो- धर्मं चर। वसिष्ठ ... -
धर्मायण के आश्विन अंक के डिजिटल संस्करण का हुआ लोकार्पण
यह अंक विषयों की विविधता से भरा हुआ है। इसमें भारत की शक्ति-उपासना, कृष्ण-उपासना, गणेश-उपासना, पितृ-उपासना, लक्ष्मी-उपासना तथा लोकदेवताओं की उपासना से सम्बन्धित प्रामाणिक ... -
मानवीय संवेदनाओं को समेटती डा. धीरेन्द्र सिंह की मैथिली कविताएँ- “कदमों के निशान” का हुआ लोकार्पण
मैथिली कविता में प्रतिष्ठित कवि डॉ. धीरेन्द्र सिंह ने साझा संकलन 'डेग' और स्वतंत्र संकलन 'पितामहक नाम' के माध्यम से मैथिली कविता में अपनी ... -
मनबोधकवि कृत कृष्णजन्म (प्रबन्धकाव्य), डा. शशिनाथ झा द्वारा सम्पादित
पाठोद्धार के लिए अर्थसंगति, छन्द का अनुरोध, तुकबन्दी की समता, त्रुटिपूर्त्ति, मिथिलाक्षर से देवनागरी में लिप्यन्तरण के दौरान स्वाभाविक भ्रम आदि का विवचेन करते ... -
विद्यापति कृत कीर्त्तिलता, डा. शशिनाथ झा द्वारा सम्पादित
प्रस्तुत संस्करण में कीर्त्तिलता के मूल हस्तलेख (काठमाण्डू में स्थित) की फोटो प्रति एवं प्रतिलिपि का उपयोग किया गया है, प्राचीन एवं नवीन मैथिली ... -
विद्यापति कृत कीर्तिगाथा एवं कीर्तिपताका, डा. शशिनाथ झा द्वारा सम्पादित
विद्यापतिकृत कीर्तिपताका का एकमात्र हस्तलेख मिथिलाक्षर में लिखित तालपत्र नेपाल राजकीय हस्तलेखागार, काठमाण्डू में है। इसमें ग्रन्थ पूर्ण नहीं है। परीक्षण करने पर इस ... -
अपभ्रंशकाव्य में सौन्दर्य वर्णन -डॉ. शशिनाथ झा
पुस्तक का नाम- अपभ्रंशकाव्य में सौन्दर्य वर्णन रचनाकार- डॉ. शशिनाथ झा, कुलपति, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा। प्रकाशन वर्ष- 2021ई. सर्वाधिकार- लेखक, डा. ... -
डाकवचन संहिता (टिप्पणी-व्याख्या सहित विशुद्ध पाठ, सम्पूर्ण)- डॉ. शशिनाथ झा
डाकक महत्ता सभ वर्गक लोकक लग समाने रहल अछि। हिनक नीति, कृषि ओ उद्योग सम्बन्धी वचन सभधर्मक लोक अपनबैत अछि। ई भ्रमणशील व्यक्ति छलाह, ...