• पुस्तकक नाम- मनबोधकवि कृत कृष्णजन्म (प्रबन्धकाव्य)
  • Manabodha’s Krishnajanma ed. by Dr. Shashinath Jha
  • (पाठपरिशोधन एवं हिन्दी व्याख्या सहित)
  • रचनाकार- महाकवि मनबोध
  • व्याख्याकार सम्पादक डॉ. शशिनाथ झा, कुलपति, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा।
  • प्रकाशन वर्ष- 2020ई.
  • सर्वाधिकार- सम्पादक, डा. शशिनाथ झा
  • सम्पादक के आदेश से तत्काल पाठकों के हित में अव्यावसायिक उपयोग हेतु ई-बुक के रूप में https://brahmipublication.com/ पर प्रकाशित।
  • प्रकाशक- ब्राह्मी प्रकाशन, द्वारा भवनाथ झा, ग्राम-पोस्ट हटाढ़ रुपौली, झंझारपुर, जिला मधुबनी। सम्पर्क
पं. शशिनाथ झा का व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व

मैथिली भाषा के 18वीं शती के कवि मनबोध इतने प्रसिद्ध हुए कि फ्रांसिस बुकानन (1809-10 ई-) ने पूर्णिया रिपोर्ट में उनकी रचनाओं का उल्लेख किया है।

बुकानन लिखते हैं कि मनबोध कृत एक मैथिली काव्य दानलीला (अप्राप्त) कृष्ण से सम्बन्धित है तथा दूसरा हरिवंश के नाम से विख्यात है, जिसमें कृष्ण की वंशावली मिलती है। ये दोनों रचनाएँ समाज में इतने प्रसिद्ध हैं कि हर स्तर के लोगों के द्वारा गाये जाते हैं।

प्रस्तुत ग्रन्थ ‘कृष्णजन्म’ बुकानन के द्वारा उल्लिखित ‘हरिवंश’ है, जिसके अभीतक छह संस्करण होने के बाद भी पाठ में अर्थ की दृष्टि से स्पष्टता नहीं आ पायी थी।

पाठोद्धार के लिए अनेक पद्धतियाँ अपनायीं गयीं है। अर्थसंगति, छन्द का अनुरोध, तुकबन्दी की समता, त्रुटिपूर्त्ति, मिथिलाक्षर से देवनागरी में लिप्यन्तरण के दौरान हुए स्वाभाविक भ्रम आदि का विवचेन किया गया है। पाण्डुलिपि-शास्त्र एवं भाषा के मर्मज्ञ विद्वान् डा. शशिनाथ झा ने यहाँ संगति बैठाते हुए अनेक पाठ-संशोधन कर इस मैथिली प्रबन्ध काव्य को पूर्णता प्रदान की है।

संस्कृत के मूर्द्धन्य मैथिल विद्वान्, पाण्डुलिपि-शास्त्र के ज्ञाता तथा भाषाविशेषज्ञ डा. (प्रो.) शशिनाथ झा ने सैकड़ों ग्रन्थों का सम्पादन एवं एवं लेखन कार्य किया है। साहित्य अकादमी के द्वारा भाषा-सम्मान से सम्मानित डा. झा प्रख्यात ग्रन्थ सम्पादक रहे हैं।

विशेष विवरण के लिए http://www.brahmipublication.com/dr-shashinth-jha/

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