- पुस्तकक नाम- कीर्तिलता
- (अबहट्ठ काव्य, विशुद्ध मूलपाठ, संस्कृत छायानुवाद, ‘प्रबोधिनी’-हिन्दी-मैथिली-व्याख्या एवं विस्तृत भूमिका सहित)
- रचनाकार- कवि विद्यापति ठाकुर
- सम्पादक, अनुवादक, व्याख्याकार- डॉ. शशिनाथ झा, कुलपति, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा।
- प्रकाशन वर्ष- 2020ई.
- सर्वाधिकार- सम्पादक, डा. शशिनाथ झा
- सम्पादक के आदेश से तत्काल पाठकों के हित में अव्यावसायिक उपयोग हेतु ई-बुक के रूप में https://brahmipublication.com/ पर प्रकाशित।
- प्रकाशक- ब्राह्मी प्रकाशन, द्वारा भवनाथ झा, ग्राम-पोस्ट हटाढ़ रुपौली, झंझारपुर, जिला मधुबनी। सम्पर्क
विद्यापति कृत कीर्त्तिलता अबहट्ठ भाषा में रचित गद्य-पद्यात्मक राज-चरित वर्णनात्मक प्रख्यात काव्य के आजतक दस संस्करण व्याख्यासहित प्रकाशित होने के बाद भी मूलपाठ में संशोधन की आवश्यकता बनी ही हुई है। इसकी भाषा से कम परिचय के कारण मूल पुस्तक (हस्तलेख) के प्रतिलिपिकारों ने इसे बहुत स्थलों पर विकृत कर दिया, सम्पादकों एवं व्याख्याकारों ने उन-उन अपपाठों का खींचातानी कर अर्थ बैठा दिया और मूल हस्तलेख एवं मूलभाषा (मैथिल अपभ्रंस) की सहायता लेने में शिथिलता की। प्रस्तुत संस्करण में कीर्त्तिलता के मूल हस्तलेख (काठमाण्डू में स्थित) की फोटो प्रति एवं प्रतिलिपि का उपयोग किया गया है, प्राचीन एवं नवीन मैथिली भाषा को दृष्टि में रख कर इसका निरीक्षण किया गया है, मैथिली लिपि से प्रतिलिपि करने में जो स्वाभाविक रूप से भूल होती है, उसका ध्यान रख कर अर्थ संगति के अनुसार पाठ संशोधन किया गया है, पूर्व संस्करणों के पाठभेद से पाठ निर्धारण में सहायता ली गयी है और संस्कृतच्छाया एवं हिन्दी मैथिली व्याख्या प्रस्तुत की गयी है।
संस्कृत के मूर्द्धन्य मैथिल विद्वान्, पाण्डुलिपि-शास्त्र के ज्ञाता तथा भाषाविशेषज्ञ डा. (प्रो.) शशिनाथ झा ने सैकड़ों ग्रन्थों का सम्पादन एवं एवं लेखन कार्य किया है। साहित्य अकादमी के द्वारा भाषा-सम्मान से सम्मानित डा. झा प्रख्यात ग्रन्थ सम्पादक रहे हैं। विशेष विवरण के लिए http://www.brahmipublication.com/dr-shashinth-jha/