Author: Bhavanath Jha
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जितिया जिउतिया जीमूतवाहन-व्रत में गलतफहमी कहाँ से पैदा हुई?
भ्रान्ति तब आरम्भ हुई जब इसी जिताष्टमी या जीमूताष्टमी के साथ राधाकान्त देव ने लक्ष्मीव्रत का उल्लेख कर दिया। लक्ष्मीव्रत के लिए ‘निर्णयामृतसिन्धु’ से ... -
पर्व-निर्णय, मिथिला के विद्वानों की सभा में लिया गया निर्णय, संकलनकर्ता- पं. कुशेश्वर शर्मा
दरभंगा में 1932 ई. में तत्कालीन स्थापित पण्डितों का योगदान मिथिला की धर्मशास्त्र-परम्परा में अविस्मरणीय है। उस समय के प्रख्यात ज्योतिषी पं. कुशेश्वर शर्मा, ... -
मातृनवमी के दिन क्यों कराते हैं पितराइन भोज
अन्वष्टका श्राद्ध में माताओं का स्थान प्रथम दिया गया है। यही मातृनवमी का शास्त्रीय पक्ष है। -
श्राद्ध और पितृकर्म पर एक खुली बहस- सनातन धर्म हमें जोड़कर रखता है!
एक विकल्प है- सनातन धर्म की अवधारणाएँ। वे अवधारणाएँ, जो वसुधैव कुटुम्बकम्, का उद्घोष करती हैं क्या वे क्या हमें फिर हमारे अकेलेपन को ... -
गोनू झाक खिस्सा- “सभ मधुरक जड़ि”
एक बेर गोनू झा भोज करबाक घोषणा कएलनि- ‘हम परसू भरि गामक लोककेँ अगबे मधुरक भोज खुआएब।’ गामक लोक जमानि फाँकब शुरू कए देलनि- ... -
सनातन धर्म में बहुदेववाद बनाम धार्मिक स्वतंत्रता
सनातन धर्म पर उँगली उठाकर उसे बरबाद करने का एजेंडा चलाने वाले लोगों को भड़काते रहते हैं कि सनातन धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता ... -
क्या सनातन धर्म में बदलाव सम्भव नहीं है?
सनातन धर्म में भी हर शताब्दी में समाज की आवश्यकता को देखते हुए हमारे सन्तों-महात्माओं ने परिवर्तन किया है। यहाँ उपासना-पद्धिते में आये परिवर्तन ... -
गोनू झा व्यक्तित्व आ इतिहासक स्रोतक रूपमे पंजी-विमर्श
गोनू झाक व्यक्तित्व आ ओकर स्रोत मिथिलामे पंजी अछि। एहि पंजीमे 1. अपन नाम, 2. पिताक नाम 3. मूल गामक नाम, 4. प्रव्रजित गामक ... -
धूर्तराज गोनू कर्णाट शासनक कालक ऐतिहासिक पुरुष छलाह
धूर्तराज गोनू कर्णाट शासनक कालक ऐतिहासिक पुरुष छलाह म.म. परमेश्वर झा हिनक काल देवसिंहक समयमे मानैत छथि। मिथिलातत्त्वविमर्शमे ओ लिखैत छथि जे महाराज भवसिंह ... -
भारत में सती प्रथा पर हंगामे के इतिहास की सच्चाई
हमें पढ़ाया जाता है कि भारत में सतीप्रथा थी। पति की मृत्यु होने पर विधवा पत्नी को जिन्दा जला दिया जाता था। इसे एक ...