mithila map

भाषा, लिपि, चौहद्दीक प्राचीन उल्लेख एहि तीनू कारकक संग आरो बहुत रास एहन तत्त्व सभ विवचनीय अछि जे मिथिलाक अस्मिताक निर्धारक तत्त्व थीक, जेकर विवेचन एतए अपेक्षित अछि।Continue Reading

the terrible mistake of the renaissance

बहुत दिन पहले की बात है। एक व्यक्ति को तीर्थयात्रा करने की इच्छा हुई। वह रास्ते में खर्च के लिए बहुत सारा धन जुटाकर तीर्थाटन के लिए मन बनाने लगा। सबसे पहले वह अपने गुरु के पास गया और उनसे पूछा कि गुरुजी, मुझे काशी जाने की इच्छा हो रहीContinue Reading

Hindi-urdu controversy in Darbhanga

दरभंगा का मुंसिफ कोर्ट। अंगरेजों के जमाने में भारतीय जजों के कोर्ट को मुंसिफ कहा जाता था। 1873-74 का समय था। मुंसिफ कोर्ट में एक मुसलमान जज बैठे हुए थे। इसी समय मिस उर्दू रोती-बिलखती छाती पीटती हुई आयी। उसने अपील की- ‘हुजूर, श्रीमती हिन्दी मुझे बिहार से निकालना चाह रही है। मेरी फरियाद सुन ली जाये।ʼContinue Reading

Maharaj Lakshmishwar Singh

कहा जाता है कि वे जज साहब खुद इनके पास आये। हो सकता है कि इस बात में कुछ बढ़ा-चढाकर कहा जा रहा हो! बिट्ठो गांव के स्रोत से मेरे पास तक यह कहानी आयी है तो कुछ तो काव्यात्मकता होगी ही। आजकल जिसे ‘नमक-मिर्च लगानाʼ कहते हैं, उसे शिष्ट शब्दों में काव्यात्मकता कहते हैं, अतिशयोक्ति कहते हैं जो एक अलंकार है।Continue Reading

लिंग पुराण के इसी अंश को त्रिस्थलीसेतु में नारायण भट्ट ने ज्ञानवापी माहात्म्य में उद्धृत किया है। इसका अर्थ है कि 12वीं शती से पहले से वह कूप अविमुक्तेश्वर महादेव के दक्षिण भाग में अवस्थित था जो बाद में ज्ञानवापी के नाम से विख्यात हुआ और अविमुक्त महादेव विश्वेश्वर शिव के रूप में विख्यात हुए जो बाद में विश्वनाथ कहलाये।Continue Reading

gyanvapi

भगवान् शिव ने स्वयं त्रिशूल से खोदकर ज्ञानवापी का निर्माण किया था। विश्वेश्वर शिवलिंग का अभिषेक के लिए स्वयं ईशान शिव ने अपने त्रिशूल से ज्ञानवापी का निर्माण किया था। स्कन्द पुराण में यह प्रसंग आया है कि एकबार ऋषियों ने स्कन्द से ज्ञानवापी की महिमा बतलाने के लिए कहा।Continue Reading

Civil disobedience movement in Madhubani and Rajnagar

मधुबनी सदर आ राजनगरमें कांग्रेसक मजबूतीक संकेत भेटैत अछि। 1932ई. में मधुबनीक कांग्रेसी कार्यकर्ता बर्माक किराशन तेलक बहिष्कार सेहो कएने रहथि। बर्मा-शेल वाइल स्टोरेज एंड डिस्ट्रीब्यूटिंग कम्पनी ऑफ इंडिया लिमिटेड किरासनक बिक्री करैत छल। मधुबनीमे एकर बहिष्कार भेल छल। Continue Reading

बी.एच.यू की स्थापना

वाराणसी-विद्यापरिषद् की योजनाको स्वर्गीय महाराजाधिराज रमेश्वरसिंह बहादुरने स्वयं अपने दस्तखतोंसे उपस्थित किया था। भारत-गवर्नमेन्टने इन तीनों योजनाओंके पेश होनेपर यह मत प्रकट किया कि, तीनों जबतक एकमत होकर हमारे सम्मुख नहीं आयेंगे, तबतक विश्वविद्यालयकी राजाज्ञा नहीं दी जायेगी। Continue Reading

होएत। एतए पंचमी विभक्ति मानि सीताकेँ मेनकाक पुत्री सिद्ध करबाक लेल जे कथा प्रचलनमे अछि से आदरणीय नहि। सीतायाः सदृशी भार्या त्रयमेकत्र दुर्लभम् मे सेहो सीताक समान भार्याक बात कहल गेल अछि। तें उपर्युक्त पंक्ति “प्राप्स्यस्यपत्यमस्यास्त्वं सदृशं रूपवर्चसा” मे अस्या शब्दमे पंचमी विभक्ति मानि सीताकेँ मेनकाक संतान मानब अनुचित अछि। तेँ एतए सादृश्यमे षष्ठी विभक्ति मानल जाएत। Continue Reading

Rameshvar Singh of Darbhanga

कांची के मदुरै में आयोजित सभा में त. शं. नारायण शास्त्री ने कहा था कि “आज भारतवर्ष में धार्मिक पतन को रोकने में केवल दरभंगा के राजा रमेश्वर सिंह एवं परमात्मा ईश्वर समर्थ हैं, अन्य कोई नहीं…”Continue Reading