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Home›इतिहास›मैथिली 1804 ई.मे बंगाल प्रेसिडेंसीक दोसर भाषा मानल जाइत छल

मैथिली 1804 ई.मे बंगाल प्रेसिडेंसीक दोसर भाषा मानल जाइत छल

By Bhavanath Jha
January 20, 2020
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fort william College

‘बिहारी’ नामक भाषाक कल्पनासँ पहिने मैथिली

मैथिली भाषाक सन्दर्भमे जँ देखल जाए तँ ग्रियर्सनसँ बहुत पहिने 1804 ई.मे जेम्स रोमर अपन आलेखमे एकरा महत्त्वपूर्ण स्थान देने छथि आ ओहिकालक पूरा बंगालप्रदेशमे बंगलाक बाद महत्त्व आ भाषाभाषीक संख्याक आधार पर मैथिलीकें दोसर स्थान पर रखने छथि जखनि कि उडिया तेसर स्थान पर अछि।

फोर्ट विलियम कालेजक शोधपत्रमे मैथिली पर विचार

ई एकटा शोध-प्रबन्ध थीक, जे फोर्ट विलियम कालेज, कोलकाताक हिन्दुस्तानी विभागक छात्रक द्वारा लिखल आ पढल गेल छल।

एहि शोध-प्रबन्धक सार्वजनिक वाचन गवर्नर हाउसमे तत्कालीन गवर्नर लार्ड रिचार्ड वलेस्ली, उच्चतम न्यायालयक मुख्य न्यायाधीश, अन्य न्यायाधीशगण, उच्चतम परिषदक सदस्यगण, मेजर जनरल आर्थर वेलेसली, मेजर जनरल डाउडसवेल, आ बगदादक राजदूत सोलेमन आगा, अधिकारीगण, अध्यापक आ सम्भ्रान्त नागरिक गण, सभ छात्रक समक्ष 20 सितम्बर, 1804 ई.मे भेल रहए। ई कार्यक्रम 9.30 प्रातःसँ आरम्भ भेल छल।

एहि कार्यक्रमक पहिल शोधपत्रक विषय छल- “ममालिकि हिंद की जुबानों की अस़ल बुनयाद संस्कृत है“– “The Shanscrit is the Parent Language of India” अर्थात् संस्कृत भारतक सभ भाषाक वास्तविक मूल थिक।

शोधकर्ता मिस्टर जे. रोमर छलाह, जे मूलतः मुम्बईक निवासी रहथि आ फोर्ट विलियम कालेजक छात्र रहथि। एहि शोध-प्रबन्ध पर दू टा प्रश्नकर्ता छलाह- पहिल वाकर महोदय, आ दोसर गोवान महोदय। एहि शोध-वाचनक संचालक रहथि कैप्टन मोआट।

Primitiae_Orientalis-Hindi articleDownload

ई शोधपत्र मूल रूपसँ हिन्दुस्तानी भाषामे लिखल गेल छल, मुदा ओकर अंग्रेजी अनुवाद सेहो वाचल गेल। एकर संगत मूल अंश एहि प्रकारें अछि-

“गारा या बंगला जुबान तमाम सूबऐ बंगाले में सिवाय सरहद्दी जिलओं में मुरव्वज है और लोग कहते हैं कि सिर्फ़ पूरब की त़रफ़ खूब सफाई से बोली जाती है और जिस तरह वहां के रहनेवाले उस जुबान को बोलते हैं सो इसमें बहुत कम अलफाज़ हैं कि जिनकी बुनयाद असल संस्कृत से नहीं।।

दूसरी जुबान जो इसी सिलसिले में मैथला या तिरहुत्तया है सो भी बंगले से बहुत मुशाबिः है और वे हरफ कि जिन्ह में वह लिखी जाती है उन्ह में और बंगले के हरफों में थोड़ा सा फरक है।”

एकर अंगरेजी अनुवाद एहि प्रकारें अछि-

“In all the provinces of Bengal Gara or Bungalee is still the prevailing language except perhaps some frontier districts but is said to be spoken in its greatest purity in the Eastern parts only and as there spoken contains few words which are not evidently derived from the Sunskrit.

The next in succession is the Muet,hila  or Tirhootya which is very nearly allied to the Bungalee and its written character differs little from that which is used throughout Bengal.”

ऊपर Muet,hila क वास्तविक वर्तनी थिक – Maithila जे मैथिलीक लेल आएल अछि। जेना बंगला आ बंगाली दूनू एके अर्थमे प्रयुक्त होइत अछि ओहिना मैथिला आ मैथिली दूनू एके थीक। तिरहुत्तया Tirhootya वास्तमे तिरहुतियाक पुरान वर्तनी थीक।

एतए इहो ध्यातव्य अछि जे ओहि कालमे बंगाल प्रेसिडेंसीक अंतर्गत सम्पूर्ण बंगाल, बिहार, उड़ीसा आ उत्तर प्रदेशक पूर्वी भाग सम्मिलिते छल।

एहि सम्पूर्ण शोध-पत्रमे बंगाल प्रेसिडेंसीक मात्र चारि भाषा- हिन्दी या हिन्दवी, बंगाली, मैथिली आ उड़िया-मे एक भाषाक रूपमे मैथिलीक गणना भेल अछि। मैथिलीसँ पहिने हिन्दी आ हिन्दवीक चर्चा भेल छैक जाहिमे कहल गेल छैक हिन्दी सेहो संस्कृतसँ निकलल अछि।

एतए स्पष्ट अछि जे शोधकर्ता हिन्दी अथवा हिन्दवी, हिन्दुस्तानी सँ पृथक् बंगलाक अत्यन्त निकट मैथिली भाषाक उल्लेख एतए भेल अछि।

मुदा की कारण भेल जे एहि शोधक 50-60 सालक बाद “बिहारी” नामक भाषा गढल गेल आ ओकरा अन्तर्गत मैथिलीकें राखि ग्रियर्सन साहेब ओहि पर काज कएलनि। स्पष्ट अछि जे 1858 ई.क बाद अंगरेजलोकनि भाषाक नाम पर राजनीति कएलनि।

TagsBengal PresidencymaithiliMithilaमिथिला
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Bhavanath Jha

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