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मिथिलाक्षर
Home›मिथिलाक्षर›Works to be done for development for Mithilakshar/Tirhuta

Works to be done for development for Mithilakshar/Tirhuta

By Bhavanath Jha
May 15, 2020
122
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Mithilakshar

मिथिलाक्षर के विकास के लिए सरकारी स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता

इतिहास- #मिथिलाक्षर अथवा तिरहुता बृहत्तर सांस्कृतिक मिथिला क्षेत्र की लिपि है। इसका प्राचीन नाम हम पूर्ववैदेह लिपि के रूप में ललितविस्तर में पाते हैं। ऊष्णीषविजयधारिणी नामक ग्रन्थ की 609 ई. की एक पाण्डुलिपि में जिस सिद्ध-मातृका लिपि की सम्पूर्ण वर्णमाला दी गयी है, उस लिपि से लिच्छिवि गणराज्य से पूर्व की ओर एक न्यूनकोणीय लिपि का विकास हुआ है, जिस परिवार में वर्तमान काल में मिथिलाक्षर, बंगला, असमिया, नेबारी, उड़िया, एवं तिब्बती लिपियाँ है। इस प्रकार यह अत्यन्त प्राचीन एवं पूर्वोत्तर भारतीय बृहत्तर परिवार की लिपि है।

मिथिलाक्षर का पहला ज्ञात शिलालेख
  1. ईसा की 10वीं शती में #मिथिलाक्षर वर्तमान स्वरूप में आ चुका है, जिसका प्राचीनतम स्वरूप हम अभी तक प्राप्त शिलालेखों में 950 ई. के आसपास के सहोदरा शिलालेख में पाते हैं। इसके बाद से चम्पारण से देवघर तक सम्पूर्ण मिथिला में इस लिपि का प्रयोग होता रहा है।
  2. एक अनुमान के अनुसार #मिथिलाक्षर में संस्कृत. मैथिली, हिन्दी एवं प्राकृत इत्यादि भाषाओं के तथा विभिन्न शास्त्रों की लगभग 50,000 पाण्डुलिपियाँ इस लिपि में ज्ञात हैं, जो मिथिला क्षेत्र के साथ साथ भारत के विभिन्न शहरों, जैसे जयपुर, कोलकाता, मुंबई में तथा एवं विदेशों में भी उपलब्ध हैं।
  3. विगत 100 वर्षों से #मिथिलाक्षर लिपि का प्रयोग घटता गया है, फलतः हमारी संस्कृति नष्ट हो रही है। मैथिली भाषा की अपनी लिपि का प्रयोग न होने के कारण संविधान के द्वारा मान्यता प्राप्त होने के बावजूद मैथिली भाषा का सर्वांगीण विकास नहीं हो पा रहा है।
  4. इसके अतिरिक्त, न्याय, मीमांसा, वैशेषिक आदि जिन शास्त्रों के कारण मिथिला के साथ साथ सम्पूर्ण बिहार एवं भारत देश विश्व भर में गर्वोन्नत हैं, उन शास्त्रों की #मिथिलाक्षर में लिखित अप्रकाशित पाण्डुलिपियों को पढनेवाले गिने-चुने लोग ही रह गये हैं। फलस्वरूप ज्ञान का वह भण्डार अन्धकार में पडा हुआ है। अतः इस लिपि के संरक्षण एवं संवर्द्धन की नितान्त आवश्यकता है।
  5. व्यक्तिगत संग्रह में #मिथिलाक्षर की जो पाण्डुलिपियाँ हैं, उनकी स्थिति तो सबसे दयनीय है। अधिकांश धारक  इस लिपि को नहीं जानते हैं। उन्हें यह भी पता नहीं है कि किन महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों की पाण्डुलिपियाँ उनके संग्रह में पडी हुई नष्ट हो रही हैं। आज सबसे पहले इनके सूचीकरण का कार्य अपेक्षित है, जिसके लिए पूर्णकालिक लिपिवाचकों (Decipherment Expert) की आवश्यकता है।
  6. तत्काल मैथिली भाषा एवं #मिथिलाक्षर के संरक्षण एवं विकास के लिए भारत का संविधान जो मैथिली भाषा में प्रकाशित है, उसे मिथिलाक्षर में शीघ्र प्रकाशित किया जाये। (Tag. PMO)
  7. तत्काल मैथिली भाषा एवं #मिथिलाक्षर के संरक्षण एवं विकास के लिए तकनीकी क्षेत्र में केन्द्र सरकार पूना स्थित सी-डेक को यह निर्देश दे कि मिथिलाक्षर के यूनीकोड फोंट (Unicode fonts) को यथाशीघ्र प्रकाशित करे। इस फोंट को Inscript Keyboard पर सक्षम बनाया जाये। उसे इंटरनेट ब्राउजर पर संबन्धन (Configuration on Global Browsers) कराने में भूमिका निभाये।
  8. तत्काल मैथिली भाषा एवं #मिथिलाक्षर के संरक्षण एवं विकास के लिए केन्द्रीय मन्त्रालयों के सभी वेबसाइट संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित मैथिली भाषा में तैयार करें तथा उसे मिथिलाक्षर लिपि में प्रकाशित करे।
  9. तत्काल मैथिली भाषा एवं #मिथिलाक्षर के संरक्षण एवं विकास के लिए मोबाइल पर मिथिलाक्षर को सक्षम बनाने में c-dac pune के माध्यम से Ministry of Electronics and Information Technology तथा तकनीकी स्तर पर भूमिका निभाये ताकि लोग आधुनिक मोबाइल एवं टैवलेट के द्वारा इस लिपि में विभिन्न सोसल मीडिया पर लिखने-पढने में समर्थ हो सकेंगे।
  10. तत्काल मैथिली भाषा एवं #मिथिलाक्षर के संरक्षण एवं विकास के लिए केन्द्र सरकार भारत में मोबाइल एवं टैबलेट का व्यापार करनेवाली विभिन्न कम्पनियों को इस दिशा में निर्देश दे। इससे वर्तमान में इस लिपि के संवर्द्धन में सहायता मिलेगी।
  11. तत्काल मैथिली भाषा एवं #मिथिलाक्षर के संरक्षण एवं विकास के लिए केन्द्र सरकार के द्वारा दरभंगा में कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय अथवा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अधीन लिपि एवं पाण्डुलिपि अनुसंधान केन्द्र का परिचालन किया जाये यद्यपि यह श्रेयस्कर होगा कि उक्त केन्द्र को स्वायत्त शासी (Autonomous) बनाया जाये।
  12. तत्काल मैथिली भाषा एवं #मिथिलाक्षर के संरक्षण एवं विकास के लिए केन्द्र सरकार के द्वारा मिथिलाक्षर की अप्रकाशित पाण्डुलिपियों का अन्वेषण कर उसके लिप्यन्तरण का कार्य कर उसकी प्रति सम्पादन अथवा शोधकार्य के लिए उपलब्ध कराने का कार्य कराया जाये। इसके लिए कला एवं संस्कृति मन्त्रालय विभाग के अधीन राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन को भार दिया जा सकता है।
  13. तत्काल मैथिली भाषा एवं #मिथिलाक्षर के संरक्षण एवं विकास के लिए केन्द्र सरकार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को यह निर्देश दे कि मैथिली के सभी कार्यरत अध्यापकों के लिए मिथिलाक्षर में पढने-लिखने की क्षमता अनिवार्य करे।
  14. तत्काल मैथिली भाषा एवं #मिथिलाक्षर के संरक्षण एवं विकास के लिए दरभंगा स्थित कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रत्येक विभाग में शास्त्री एवं आचार्य कक्षा में एक पत्र मिथिलाक्षर का पाण्डुलिपि-विज्ञान अनिवार्य कर दिया जाये। यदि स्नातकोत्तर स्तर पर छात्र इसकी पाण्डुलिपियों का अध्ययन करने में समर्थ हो जाते हैं तो वे अपने अधीत शास्त्र की अप्रकाशित पाण्डुलिपियों पर शोधकार्य करने में समर्थ होंगे। इससे शोध के क्षेत्र में पिष्ट-पेषण से बचा जा सकेगा और नये-नये आयाम सामने आयेंगे।
  15. तत्काल मैथिली भाषा एवं #मिथिलाक्षर के संरक्षण एवं विकास के लिए उत्तर बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के संस्कृत भाषा एवं साहित्य विभाग, मैथिली भाषा एवं साहित्य विभाग तथा इतिहास तथा प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति विभाग में स्नातक प्रतिष्ठा एवं स्नातकोत्तर कक्षा में एक पत्र के रूप में मिथिलाक्षर एवं उसका पाण्डुलिपि-विज्ञान अनिवार्य कर दिया जाये।
  16. तत्काल मैथिली भाषा एवं #मिथिलाक्षर के संरक्षण एवं विकास के लिए उत्तर बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में छह महीने का एक सर्टिफिकेट कोर्स आरम्भ किया जाये, जिसमें लिपिशास्त्र की दृष्टि से मिथिलाक्षर के अध्ययन की सुविधा हो। इस कोर्स में प्रवेश लेने के लिए न्यूनतम योग्यता एवं उम्रसीमा की कोई बाध्यता न हो। अर्थात् छात्र से भिन्न व्यक्ति भी यदि इस लिपि को सीखना चाहते हों तो वे भी इस कार्य में प्रवेश ले सकेंगे।
  17. तत्काल मैथिली भाषा एवं #मिथिलाक्षर के संरक्षण एवं विकास के लिए केन्द्र सरकार साहित्य अकादमी को यह निर्देश दे कि भविष्य में मैथिली भाषा से सम्बन्धित सभी पुरस्कार हेतु पुस्तकों के चयन में मिथिलाक्षर में प्रकाशित पुस्तकों को प्राथमिकता दे। इस प्रकार की व्यवस्था वर्तमान में संथाली भाषा के पुरस्कारों में वर्तमान है, वही व्यवस्था मैथिली के लिए भी लागू करे।
  18. तत्काल मैथिली भाषा एवं #मिथिलाक्षर के संरक्षण एवं विकास के लिए केन्द्र सरकार रेल मन्त्रालय तथा अन्य ऐसे मन्त्रालयों को निर्देश दे कि वे अपने मन्त्रालयों के अधीन कर्मचारी चयन परीक्षाओं में संघ लोक सेवा आयोग की तरह मैथिली को स्थान दे।
  19. तत्काल मैथिली भाषा एवं #मिथिलाक्षर के संरक्षण एवं विकास के लिए केन्द्र सरकार सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग को निर्देश दे कि प्रकाशन विभाग के द्वारा मैथिली में पत्रिका का प्रकाशन मिथिलाक्षर लिपि में आरम्भ करे।
  20. तत्काल मैथिली भाषा एवं #मिथिलाक्षर के संरक्षण एवं विकास के लिए मिथिलाक्षर शिक्षा पर आधारित दृश्य-श्रव्य तकनीक द्वारा पाठ्य-सामग्री का निर्माण कराबे। इससे दूरस्थ व्यक्ति भी आधुनिक तकनीक द्वारा इसका लाभ उठाकर अक्षर सीख सकेंगे।
  21. तत्काल मैथिली भाषा एवं #मिथिलाक्षर के संरक्षण एवं विकास के लिए बिहार में विभिन्न शिक्षण-संस्थानों एवं पुरातत्त्व विभाग के अन्तर्गत संग्रहालयों में मिथिलाक्षर की पाण्डुलिपियाँ हैं, वहाँ यदि पाण्डुलिपि विशेषज्ञ के पद स्वीकृत हैं तो उन पदों पर मिथिलाक्षर के विशेषज्ञ की नियुक्ति की जाये। जहाँ पद स्वीकृत नहीं हैं, वहाँ पद का सर्जन कर उन पदों पर नियुक्ति की जाये।
  22. तत्काल मैथिली भाषा एवं #मिथिलाक्षर के संरक्षण एवं विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर Google के मानक के तहत Google Translation Tool का निर्माण करने की योजना बने, जिससे मैथिली को आधुनिक संचार माध्यम में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया जा सके।
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अहाँक प्रतिक्रिया

  • Paresh Saxena
    on
    October 24, 2019
    Thank you for your enlightening article. It will serve the cause of religion as many people ...

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    Dhanvantari Jayanti

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  • Raman dutt Jha
    on
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  • gajanan mishra
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    बहुत सटीक अनुवाद भाई ...

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