जॉर्नल ऑफ एसियाटिक सोसायटी ऑफ बंगालक अंक संख्या 40, वर्ष 1871 ई. मे पृष्ठ संख्या 102 पर छोटानागपुरसँ प्राप्त तीन टा शिलालेखक सूचना देल गेल अछि। एकर लेखक रखालदास हालदार सूचित करैत छथि जे तत्कालीन छोटा नागपुर जिलासँ बहुत कम संख्यामे शिलालेख भेटबाक कारणें ई जे तीन टा लेख भेटल अछि, से महत्त्वपूर्ण अछि।
- तिल्मी गामसँ भेटल इनारक निर्माणक अछि। ई शिलालेख अकबर नामक कोनो हिन्दू राजाक नामसँ अछि। लेखकक मत छनि जे एतए नागवंशी ठाकुरक शासन रहल अछि। सम्भव थीक जे एही वंशमे किनकहु नाम अकबर छल जे 1737 ई. मे ई इनार खुनओलनि। एहि लेखक भाषा संस्कृत थीक।
- एतए राँचीसँ 5 मील उत्तर-पश्चिम कोणमे स्थित बोरिआ गाममे मदनमोहन मन्दिरक निर्माणसँ सम्बन्धित एकटा छोट शिलालेख सेहो सूचित अछि, जाहिमे 1722 संवत अर्थात् 1695 मे राजा रघुनाथक शासनकालमे लक्ष्मीनारायणक द्वारा मदनमोहनक मंदिर निर्माणारम्भक सूचना देल गेल अछि। वर्तमानमे ई मन्दिर राँचीक बोरिया नामक स्थानमे राँची रेलवे स्टेशनसँ 11 कि.मी. उत्तरमे अवस्थित अछि।
ई आधुनिक भाषाक पद्यमय रचना थीक। पद्यमे रहबाक कारणें एकर भाषा अस्पष्ट अछि
1 श्रीरामसत्य
संवत सतरसई बाईस
वैशाखसुदी दशमीरजनीश
श्रीरघुनाथ नरसेवीराज
लक्ष्मीनारायण ईश्वरमठसाज
एही मन्दिर परिसरसँ दोसर शिलालेख सूचित अछि जे आधुनिक भारतीय भाषाक गद्यमे अछि। लेखक एकर भाषा हिन्दी तथा एकर लिपि देवनागरी मानैत छथि। मुदा ई भाषा निर्धारण एतए विचारणीय अछि।
एकर मूल रूप एहि प्रकारें अछि-
श्री मदन मोहन (नमस)ते
स्वस्ति श्री सम्वत 1722 समय वैशाख सुदी दशमी 10 (सोमा)रके श्री श्री मदन मोहनक मठ दावा देल। आउ सम्वत 1725 समय सावन सुदी दशमी 10 के दरवाजा ओ कोठरी ओ छारदेवाली के दावा देवल तैयार भेल सम्वत 1739 के ताकर लगीत भेल रुपैया हजार 14001 चौदह ईश्वर निमिते जे किछु लागल हय से सत्य हय ताकर हिन्दु भय मठ दरवाजा छारदेवाली ढाहाबय से गाइक रकत पीयय ब्राह्मण मारलेक हत्या गुरु मारलेक हत्या ताक हय मुसलमान भय मठ दरवाजा छारदेवाली ढहावय तो सुअर खाए आखन मारलक ओ पीरक थारा शुअरक हरा डारलक दोष तेहि मुसलमानक (हय) तेवारी लक्ष्मीनारायण भगत ई विनति लिखाय राखल हय कारीगर अनिरुद्धक विनति सांच हय।
एतए क्रियापद देल, गेल, देवल तैयार भेल, लागल, ढाहाबय, पीयय, खाए आदि स्पष्टतः मैथिली भाषाक शब्दावली थीक। हय क्रियापद होए, हुअए इत्यादि प्रचलित क्रियाक प्राचीन रूप थीक। संज्ञा शब्दमे दावा, दरवाजा, कोठरी, छारदेवाली, गाइ, हरा ( हड्डी) आदि शब्द मैथिली थीक। एतए किछु संज्ञा शब्दक विवेचन देल जा रहल अछि-
- सुदी- शुक्लपक्ष, जाहिमे चन्द्रमा बढैत रहथि।
- दावा- दिवालक कातमे ऊँच कए माँटि अथवा ईंटा-पाथरसँ भरल संरचना, जाहिसँ दिवालक कातमे पानि नहिं लागए आ दिवालकें मजबूती भेटैक।
- कोठरी- कोठली, प्रकोष्ठ
- छारदेवाली- छहरदिवाली, चारदिवारी (हिन्दी)
- ताकर- ताक, तेकर (आधुनिक मैथिली), ओकर (सम्बन्ध कारक), मिलाउ- ताक गीत जग चीत चोराओल- गोविन्ददास
- लगीत- लागत (हिन्दी), Cost,
- आखन- आखन शब्दक अर्थ अस्पष्ट अछि। लेखक एकरा आखुण्ड शब्दक तद्भव रूप मानैत छथि आ गुरु अर्थ लगबैत छथि। तदनुसार मुसलमानकें गुरुहत्याक पापक उल्लेख एतए मानैत छथि।
- थारा- थार, पैघ थारी, स्थाली (संस्कृत)
- हरा- हाड़, हाड़ा, हड्डी
एहि शिलालेखमे हिन्दू आ मुसलमान दूनूक लेल सप्पत देल गेल अछि ओ सांस्कृतिक दृष्टिसँ महत्त्वपूर्ण अछि। हिन्दूक लेल निम्नलिखित अछि-
- गाइक रकत पीयय- गाइक रक्त माने खून पीअए। हिन्दूक लेल ई सभसँ पैघ सप्पत थीक।
- ब्राह्मण मारलेक हत्या (ताक हय)- ब्रह्महत्याक पाप लागए।
- गुरु मारलेक हत्या ताक हय- गुरुहत्याक पाप लागए।
मुसलमानक लेल निम्नलिखित सप्पत देल गेल अछि-
- सुअर खाए- सुग्गर खाएब मुसलमानमे ओहिना वर्जित अछि जेना हिन्दूमे गाइक मांस खाएब।
- आखन मारलक (दोष)- गुरुहत्याक पाप
- पीरक थारा शुअरक हरा डारलक दोष- पीरक थारा माने पैघ थारी (थार) मे सुअरक हरा (हाड़, हड्डी) डारब (देब, खसाएब), तकर दोष लागए।
एतए मन्दिरक निर्माणकर्ताक रूपमे लक्ष्मीनारायणक उल्लेख अछि जिनका तेवारी (तिवारी) कहल गेल अछि।
छोटानागपुरक मैथिलीक ई प्राचीन रूप थीक। एही प्रकारक भाषाकें किछु लोक नगपुरिया बोलीक नाम दैत छथि। मुदा एहि उदाहरण सँ स्पष्ट अछि जे ई मैथिलीक दक्षिणी स्वरूपक अन्तर्गत अबैत अछि।