डा. धीरेन्द्र नारायण सिन्हा की यह पुस्तक सभी लोगों के लिए पढ़ने लायक है। इस पुस्तक को पढने के बाद हम इस पुस्तक में सुझाये गये उपायों से अपने को कैंसर रोग से बचा सकते हैं। साथ ही यह उनलोगों के लिए भी उपयोगी है, जिनके घर में किसी व्यक्ति को कैंसर रोग हो गया है। इस पुस्तक के पढने से हम हम यह जान सकेंगे कि मरीज को किस प्रकार से दवा देनी है, कैसा खाना खिलाना है, उऩकी सेवा किस प्रकार से करनी है। इस पुस्तक में लगभग उन सभी बातों का उल्लेख हुआ है, जिसे जानने के लिए मरीज अथवा उनके परिजन डाक्टर को पूछने के लिए जाते हैं। इस पुस्तक में लिखी जानकारी से कैंसर के मरीज को सबसे अधिक फायदा होगा। इससे उऩमें निराशा की भावना दूर होगी तथा उन्हें विश्वास होगा कि यह रोग ठीक हो सकता है।

इसलिए इस पुस्तक को पढें तथा कैंसर रोग से लडने की शक्ति उत्पन्न करें। आपकी आशावादी सोच आपके रोग को कम करने में काफी मदत करती है। इस पुस्तक का नारा है-

कैंसर से लड़ें, विजय संभव है!!

कैंसर का ज्ञान

लेखक डा. धीरेन्द्र नारायण सिंह

लेखक की ओर से…

कैंसर से बचा जा सकता है। कैंसर की पहचान प्रारंभिक अवस्था में हो जाने से इससे पूरी निजात मिल सकती है। आजकल कैंसर युवाओं में दिखने लगा है। समाज के लिए यह चिन्ता का विषय है।

कैंसर से कैसे बचें, कैंसर का ज्ञान, पित्ताशय का कैंसर, आँत का कैंसर आदि कई पुस्तक, पुस्तिकाओं का सृजन मैंने वर्ष 1999 में किया था। करीब दो हजार प्रतियाँ छापी गई थीं। हाथों हाथ लोगों ने ले लिया। कुछ अस्पतालों में भी इसे बाँटा गया था। चिकित्सकों ने इसे सराहा था। टाटा मेमोरियल हॉस्पीटल, मुम्बई के डॉ. एल. जे. डिसूजा, डॉ. पी. जगन्नाथ, प्रोफेसर अहमद अब्दुल हई, तत्कालिन विभागाध्यक्ष, सर्जरी विभाग, पटना मेडिकल कॉलेज ने पुस्तक में अपने संदेश भेजे थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री, बिहार ने भी अपने संदेश भेजे थे।

डॉ. विनोद कुच्चुपिल्लई, रोटरी कैंसर सेंटर, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली ने भी इसे उपयोगी पाया था तथा 200 कॉपी और भेजने की मांग की थी।

लायन्स क्लब ऑफ पटना मौर्या तथा पटना मौर्या वैभव से पुस्तक के प्रकाशन में सहयोग प्राप्त हुआ था। पुस्तक की एक-दो प्रति ही मेरे पास है। इन्हीं प्रतियों ने मुझे प्रेरणा दी कि इस पुस्तक का द्वितीय संस्करण निकाला जाय। द्वितीय संस्करण में देरी के लिए मैं लोगों से माफी चाहता हूँ।

इस पुस्तक में कुछ नये संवाद भी डाले गये हैं। आपके स्नेह एवं सुझाव का स्वागत है। यह पुस्तक जनकल्याण के लिए है एवं सबके सहयोग की जरूरत है।

धीरेन्द्र
ए/27, आनन्दपुरी, पश्चिमी बोरिंग केनाल रोड
पटना-800001
मोबाईल- 8130130095

लेखक परिचय

  • जन्म- 2 जनवरी, 1954, भीठ भगवानपुर ड्योढ़ी, जिला- मधुबनी
  • शैक्षणिक योग्यता- एम.डी., एम.एस.(सर्जरी), पी.एच.डी.(सर्जरी), एफ.आई.सी.एस.
  • पेशा- सर्जन एवं जन-स्वास्थ्य वैज्ञानिक
  • कार्यक्षेत्र- सर्जरी विभाग, पटना मेडिकल कॉलेज, पटना एवं बिहार के अन्य चिकित्सा महाविद्यालयों में (1980-2006)
  • क्षेत्रीय सलाहकार, एन. सी. डी. एवं तम्बाकू नियंत्रण विश्व स्वास्थ्य संगठन, दक्षिण पूर्व एशिया कार्यालय, नई दिल्ली। (2006-2016)
  • वरीय कंसल्टेंट WHO FCTC Global Knowledge Hub on Smokeless Tobacco, ICMR, National Institute of Cancer Prevention and Research 2016-2017
  • प्रकाशन- 150 से ज्यादा वैज्ञानिक अनुसंधान पत्र वैश्विक स्तर पर जानेमाने जरनल्स जैसे- Lancet, New England Journal of Medicine, British Medical Journal, और Nature में प्रकाशित।
  • कई वैज्ञानिक पुस्तकों का सम्पादन तथा लेखन।
  • परियोजनाएँ- World Health Organisation, CDC Atlanta, USA, NCI Bethesda, USA, National Institute of Health, USA, Waterloo University, Canada, Harvard University, USA के साथ भिन्न-भिन्न अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकी परियोजनाओं में अनुसंधानकर्ता रहे हैं ।
  • पुरस्कार- विश्व स्वास्थ्य संगठन पुरस्कार 2006
  • विशेष उपलब्धि- वैज्ञानिक क्षेत्र में कई अंतर्राष्ट्रीय कमिटी के सदस्य
  • 15 वर्षों से Harvard University, USA के Visiting Scientist
  • सम्प्रति- अध्यक्ष, स्कूल ऑफ प्रिवेंटिव ओंकोलॉजी, पटना (1998-2019)

शुभकामनाएँ

श्री मंगल पाण्डेय
माननीय स्वास्थ्यमन्त्री, बिहार

शुभकामना संदेश

यह जानकर अतिप्रसन्नता हो रही है कि स्कूल ऑफ प्रीवेंटिव ओंकोलॉजी द्वारा ‘‘कैंसर का ज्ञान’’ पत्रिका का द्वितीय संस्कारण प्रकाशित होने जा रहा है प्रकाश्य पत्रिका के लिए आपसबों को मेरा हार्दिक धन्यवाद। यह पुस्तक कैंसर मरीजों के अलावा जन समान्य के लिए भी उपयोगी एवं कारगर साबित होगी। यह पत्रिका कैंसर विशेषज्ञों के लिए न सिर्फ लाभदायी होगी बल्कि इसमें दी गई जानकारी को दूसरों के बीच साझा करने का अवसर प्राप्त होगा, इस जन उपयोगी पत्रिका से आने वाले दिनों में लोगों को कैंसर जैसी गंभीर रोग की रोकथाम में अविस्मरणीय योगदान मिलेगा। अतएव प्रकाश्य पत्रिका की उपयोगिता एवं सार्थकता हेतु मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ।

डॉ. पंकज चतुर्वेदी
प्रोफेसर एवं सर्जन, हेड एंड नेक सर्जरी विभाग, टाटा मेमोरियल सेंटर
उप-निदेशक, सेंटर फॉर कैंसर एपिडिमियोलॉजी, टाटा मेमोरियल सेंटर,
महासचिव, इंटरनेशनल फेडरेशन आफ हेड एंड नेक आन्कोलॉजिक सोसाइटीज
पता- टाटा मेमोरियल हॉस्पीटल, परेल, मुम्बई, इंडिया
टेलीफोन: +91 22 24177189, फैक्स: +91 22 24146937

कर्क रोग यानि कैंसर एक खतरनाक बीमारी है। जानलेवा होने के अतिरिक्त यह बहुत ही कष्टदायक रोग है। रोगियों को भोजन/तरल निगलने, बोलने में परेशानी व ट्यूमर से दुर्गंध व खून निकलने-जैसी कई और असहनीय पीड़ाओं को सहन करना पड़ता है। कैंसर न केवल रोगियों को कष्ट देता है, अपितु परिवारजनों के लिए भी शारीरिक, मानसिक, व आर्थिक पीड़ा देता है। तम्बाकू, गुटका,पान, पान मसाला, सुपारी आदि चबाना, बीड़ी, सिगरेट, हुक्का पीना, शराब पीना, मुँह ठीक से साफ ना करना व्यापक रूप से स्वीकार किए हुये कैंसर के कारण है। नयी तकनीकों व गहन शोधों के बाद भी कैंसर का इलाज महंगा व कष्टकारी है, इसलिए कैंसर की जानकारी/जागरूकता ही इसकी रोकथाम है। लम्बे समय तक वजन घटना, भूख कम होना, शरीर में किसी गाँठ, जख्म, छाले का रहना, आवाज में बदलाव होना, निगलने में कष्ट होना, मल-मूत्र या बलगम के रंग में बदलाव होना कैसर के लक्षण हो सकते हैं, और इसकी तुरंत डॉक्टर से जाँच करवानी चाहिए। सही इलाज व सकारात्मक विचार रोगी को पूर्ण रूप से ठीक होने में मदद करते हैं। परिवार और मित्र शारीरिक व आर्थिक मदद तो कर सकते हैं, किन्तु रोगी के अंदर ठीक होने की दृढ़ इच्छा शक्ति आवश्यक है।

डॉ. धीरेन्द्र नारायण सिन्हा को मैं पिछले 20 वर्षों से जानता हूँ। डॉ. सिन्हा, पटना के स्कूल आफ प्रिवेंटिव ऑन्कोलजी में अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं। उनका जीवन कैंसर की रोकथाम व कैंसर रोगियों के स्वास्थ्य कार्यों में संलग्न रहा है। उनका रोगियों के प्रति प्रेमभाव उनके कार्य में दृढ़ निष्ठा के रूप में दर्शाता है। उनके लिए कुछ पंक्तियाँ लिखना मैं अपना सौभाग्य समझता हूँ और आशा करता हूँ कि जिस प्रकार इनकी पिछली पुस्तक की सराहना हुई, उसी प्रकार यह पुस्तक भी सभी के मन तक पहुँचेगी। 

Dr. Prakash C. Gupta
Director, Healis – Sekhsaria Institute for Public Health

The disease cancer is increasing in the population. Partly it is due to ageing of the population and partly due to increasing exposures to cancer causing substances like tobacco and alcohol. The net result is that now almost every person has come across cancer in a family member or friend. Increase in the level of knowledge in the population about cancer has however, not kept pace with the increase in disease. As a consequence, incorrect beliefs, thoughts and ideas about cancer abound in the population. After all, everyone considers cancer as a dreaded disease. So the issue is that fear of cancer in the population becomes even more problematic than the disease cancer itself.

That is where this book by Dr. Dhirendra fulfills a huge need. It is written in Hindi, in a simple language, keeping a common man in mind. It will go a huge way in making a reader aware about cancer and alleviating the fear and wrong beliefs about this disease.

I congratulate Dr. Dhirendra and wish this book a huge success.

(Dr. Prakash C. Gupta)
Director, Healis – Sekhsaria Institute for Public Health

कैंसर का ज्ञान’ पुस्तक की द्वितीय प्रकाशन पर मुझे अत्यंत हर्ष हो रहा है। इस पुस्तक के लेखक डॉ. धीरेन्द्र नारायण सिन्हा, असंक्रामक रोगों के प्रख्यात विद्वान व पेशे से सर्जन हैं। इन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन में रीजनल एडवाइजर के रूप में अपनी बहुमूल्य सेवायें दी हैं। डॉ. सिन्हा लगभग डेढ़ वर्षों तक डब्लू.एच. ओ. गैर धूम्रपान युक्त केन्द्र (ग्लोबल नॉलेज हब ऑन स्मोकलेस टोबैको), राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम एवं अनुसंधान संस्थान, नोएडा से जुड़े रहे और अपना अभूतपूर्व योगदान दिया। डॉ. सिन्हा और मैंने पिछले कई विगत वर्षों से विभिन्न शोधों पर काम किया है। मेरा ऐसा पूर्ण विश्वास है कि इस पुस्तक के माध्यम से लोगों तक कैंसर रोग से संबंधित विभिन्न आयामों की सामान्य जानकारी बढे़गी तथा कैंसर के रोकथाम में यह अत्यंत सहायक सिद्ध होगी। मैं इस पुस्तक के प्रकाशन पर डॉ. सिन्हा को धन्यवाद देता हूँ ।

विषय-सूची

  1. कैंसर से कैसे बचें
  2. तम्बाकू छोड़े, कैंसर से बचें
  3. कैंसर के संकेत
  4. कैंसर का दर्द
  5. कैंसर सेवाश्रम
  6. कैंसर चिकित्सा में आधुनिक प्रगति
  7. कैंसर की उपचार-नीति
  8. कैंसर एवं सर्जरी
  9. बायोप्सी जाँच बहुत जरूरी है
  10. पैट स्कैन से पता लगता है कैंसर कहाँ है शरीर में 
  11. कैंसर और रेडियोथिरेपी
  12. कैंसर और किमोथिरेपी
  13. कैंसर का जैविक उपचार
  14. सबसे ज्यादा होनेवाले कैंसर
  15. एड्सजनित कैंसर
  16. पित्ताशय (गॉल ब्लॉडर) का कैंसर
  17. लीवर का कैंसर
  18. हिपेटाइटिस बी
  19. बच्चों में होनेवाले कैंसर
  20. तम्बाकू जनित कैंसर
  21. बिहार में कैंसर का प्रकोप एवं निराकरण
  22. जागरूकता से कैंसर की रोकथाम संभव
  23. चाकू लगने से नहीं फैलता कैंसर
  24. कैंसर को जानें
  25. दर्दः क्यों और कहाँ?
  26. कैंसर संबंधित विशेष जानकारियाँ
  27. कैंसर में क्या खायें?
  28. कैंसर इलाज के दौरान क्या खायें, क्या नहीं खायें?
  29. कैंसर रोगी हेतु आर्थिक सहायता
  30. कैंसर से संबंधित आम प्रश्न एवं उसके उत्तर
  31. कैंसर के उपचार हेतु अस्पताल एवं संस्थान

पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम

साहित्य सम्मेलन में डा धीरेंद्र नारायण सिंह की पुस्तक ‘कैंसर का ज्ञान’ का हुआ लोकार्पण
  • कैंसर के उपचार पर प्रतिवर्ष दस हज़ार करोड़ रूपए का व्यय,
  • २१प्रतिशत मृत्यु का कारण तम्बाकू 

साहित्य सम्मेलन में डा धीरेंद्र नारायण सिंह की पुस्तक ‘कैंसर का ज्ञान’ का हुआ लोकार्पण

पटना,२७ जुलाई। पूरी दुनिया को धीरे-धीरे लील रहा प्राण-घातक रोग कैंसर के प्रमुख कारणों में सबसे पहला स्थान ‘तम्बाकू’है। भारत में कैंसर से मरनेवालों की संख्या का २१ प्रतिशत वैसे मरीज़ होते हैं जो तम्बाकू सेवन के कारण रोग के शिकार हुए। कैंसर के उपचार पर प्रतिवर्ष भारत में लगभग दस हज़ार करोड़ रुपए ख़र्च होते हैं। जबकि सरकार को तंबाकू से कर के रूप में डेढ़ हज़ार करोड़ की राशि प्राप्त होती है। सरकार को इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना चाहिए।

यह बातें बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, कैंसर के सुप्रसिद्ध चिकित्सक डा धीरेंद्र नारायण सिंह की पुस्तक ‘कैंसर का ज्ञान’ के नवीन संस्करण के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि कैंसर के संबंध में सभी संभव ज्ञान से युक्त यह पुस्तक सभी खासो-आम के लिए अत्यंत उपयोगी है,जिससे इस घातक रोग के संबंध में व्याप्त भययुक्त धारणा से हीं मुक्ति नही मिलती,अपितु इसके रोकथाम और उपचार के संबंध में भी सरल भाषा में ज्ञान देती है। इस पुस्तक से हिन्दी साहित्य की भी बड़ी सेवा हुई है। वैज्ञानिक विषयों पर हिन्दी में बहुत काम पुस्तकें है। इस अभाव को भी लेखक ने दूर करने का प्रशंसनीय कार्य किया है।

पुस्तक का लोकार्पण करते हुए, पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा एस एन पी सिन्हा ने कहा कि कैंसर पर, सरल भाषा में इससे अच्छी पुस्तक नहीं लिखी जा सकती। इस विषय के विद्वान लेखक ने जो स्वयं कैंसर के बड़े चिकित्सक हैं,कैंसर के कारणों,रोकथाम के उपायों और उपचार के संबंध में बहुत हीं विस्तारपूर्वक चर्चा की है,जो कैंसर के चिकित्सकों और आमजन के लिए बहुत हीं उपयोगी है। इन्होंने कैंसर का ज्ञान देते हुए, यह सिद्ध किया है कि, इससे डरने की नहीं बल्कि शक्ति के साथ लड़ने की ज़रूरत है, और इस पर विजय प्राप्त किया जा सकता है। यह पुस्तक रोगों से लड़ने की असीम शक्ति प्रदान करती है। 

पुस्तक के लेखक डा धीरेंद्र नारायण सिंह ने कहा कि, कैंसर के प्रति समाज में अनेक भ्रांतिपूर्ण धारणा फैली हुई है, जिससे कैंसर का नाम सुनते हीं रोगी आधा मर जाता है। समाज में व्याप्त भय उपचार में बड़ी बाधा है। कैंसर के विषय में पर्याप्त ज्ञान, रोकथाम के उपाय, तंबाकू से पूर्ण परहेज़, समय पर चिकित्सा तथा सही उपचार से इस घातक रोग पर क़ाबू पाया जा सकता है। यह पुस्तक इस दिशा में बहुत लाभकारी हो सकती है। इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाया जाना चाहिए। चिकित्सा-विज्ञान में तेज़ी से हुई तकनीकी विकास से इस रोग के उपचार में सहुलतें बढ़ी हैं। आवश्यकता है कि इस ज्ञान को सब तक बाँटा जाए।

संस्कृत और हिन्दी के सुप्रसिद्ध विद्वान पं भवनाथ झा ने कहा कि, डॉ. सिंह की यह पुस्तक कैंसर रोग की चुनौती के रूप में पाठक समुदाय के बीच पहुँचा है। यह बहुत हीं लाभकारी तथा इस रोग से मुक्ति में बड़ी सहायक है। यह रोगियों और चिकित्सकों के लिए हीं नहीं बल्कि हर एक मनुष्य के लिए पठनीय है।

सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्रनाथ गुप्त, डा शंकर प्रसाद, डा मधुवर्मा, डा भूपेन्द्र कलसी, वैद्यनाथ प्रभाकर, पं भवनाथ झा, कुमार अनुपम, सुनील कुमार दूबे, ओम् प्रकाश पाण्डेय तथा डा विनय कुमार विष्णुपुरी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संचालन योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन सम्मेलन के प्रबंधमंत्री कृष्ण रंजन सिंह ने किया। 

इस अवसर पर, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, डा दिनेश दिवाकर, डा सुलक्ष्मी कुमारी, डा शालिनी पाण्डेय, घनश्याम,राज कुमार प्रेमी,आचार्य आनंद किशोर शास्त्री, पं गणेश झा, जय प्रकाश पुजारी,अंबरीष कांत, बच्चा ठाकुर, पंकज प्रियम, राज किशोर झा, अश्विनी कुमार आलोक, विभूति मोहन वर्मा, नम्रता कुमारी, अर्जुन प्रसाद सिंह, वीरेंद्र कुमार तथा श्री मुकेश समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

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