Maharaj Lakshmishwar Singh

कहा जाता है कि वे जज साहब खुद इनके पास आये। हो सकता है कि इस बात में कुछ बढ़ा-चढाकर कहा जा रहा हो! बिट्ठो गांव के स्रोत से मेरे पास तक यह कहानी आयी है तो कुछ तो काव्यात्मकता होगी ही। आजकल जिसे ‘नमक-मिर्च लगानाʼ कहते हैं, उसे शिष्ट शब्दों में काव्यात्मकता कहते हैं, अतिशयोक्ति कहते हैं जो एक अलंकार है।Continue Reading

Maharaj Lakshmishvara Singh

एहिमे दरभंगाक महाराज लक्ष्मीश्वर सिंहक द्वारा जनहितमे कएल गेल काजक उल्लेख भेल अछि। संगहि कहल गेल अछि जे दरभंगाक महाराजा बड़ नीक अंगरेजी बाजि लैत छथि आ अपन जनताक सुख सुविधाक ध्यान रखैत छथि।Continue Reading