पटना में मिली-जुली संस्कृति है। मिथिला की संस्कृति के लोग भी रहते है। सब मिलजुल कर दीपावली मनाते रहे हैं।

मिथिला के लोग गोधूलि वेला में पूजा करते हैं, उनकी वही परम्परा है। सन्ध्या होते ही दीप जलाते हैं, विशेष पूजा करते हैं तथा मखाना का खूब उपयोग करते हैं।

पटना में रहकर जगह की कमी तथा खढ घास की अनुपलब्धता के कारण उल्का-भ्रमण नहीं कर पाते, पर देवी-पूजा अवश्य करते हैं। मिठाइयाँ खाते और खिलाते हैं

दीपावली की रात- पटना का आकाश

इसबार निषेध के बाद भी पटाखे खूब चल रहे हैं। शाम में दीप तो कम दीखे पर 7:30 बजे के बाद खूब दीप जले, पटाखे फूटे।

मेरे आवास के सामने धुआँ के छल्ले उड़ रहे हैं।

दीपावली की अशेष शुभकामना!!

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