[एहि पद्धतिक पाण्डुलिपि मिथिलासँ भेटल अछि। एकर लिपि मिथिलाक्षर छैक, लिपिकार छथि बच्चू शर्मा, लिपिकाल- 1262 साल, चैत्रशुक्ल द्वितीया अर्थात् 1855 ई. होइत अछि। एकर सभ पृष्ठक फोटो ई थीक।]

सोना अथवा माँटिक प्रतिमा बनवा कए भोरेमे नित्यकर्म सम्पन्न कए आचमन करी। तकर बाद तामाक सराइ लए  उत्तर मुँहें ठाढ भए  सोना अथवा माँटिक प्रतिमा बनवा कए भोरेमे नित्यकर्म सम्पन्न कए आचमन करी। तकर बाद तामाक सराइ लए  उत्तर मुँहें ठाढ भए

ॐ भगवन् सूर्य्य भगवत्यो देवता यूयमत्र साक्षिण्योऽद्यादिप्रतिवत्सरं चैत्रशुक्लनवम्यां श्रीरामनवमीव्रतमहमाचरिष्यामि

ई निवेदन कए  
ॐ भगवन् सूर्य्य भगवत्यो देवता यूयमत्र साक्षिण्योऽद्यादिप्रतिवत्सरं चैत्रशुक्लनवम्यां श्रीरामनवमीव्रतमहमाचरिष्यामि

ई निवेदन कए तेकुशा तिल आ जल लए संकल्प करी-
ॐ कुलकोटिसमुद्धरणपूर्वक-विष्णुलोकमहितत्त्व-कामनया अद्यादि-प्रतिवत्सरं चैत्रशुक्लनवम्यां भगवन्तं ससीतलक्ष्मणराममहं पूजयिष्ये।
ॐ मनोजूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमन्तनोत्वरिष्टं यज्ञसमिमं दधातु।
विश्वेदेवास इह मादयन्तामों प्रतिष्ठ।। ॐ ससीतरामलक्ष्मण इह सुप्रतिष्ठितो भव।
एहि प्रकारें प्राणप्रतिष्ठा करी।

तखनि दूभिक समान हरियर कचोर, कमलक पत्ती जकाँ आँखिवला, पीयर वस्त्र पहिरने, दू बाँहिवला, धनुष आ कवच धारण केनिहार श्रीरामक ध्यान कए-

रां रामाय नमः एहि मन्त्रसँ स्नपन करी।

ॐ भूर्भुवःस्वर्भगवन् राम इहागच्छ इह तिष्ठ

एहि मन्त्रँ आवाहन कए जलसँ अभिषेक कए,

अर्घ्य-
ॐ सीतापते नमस्तुभ्यं रावणस्यान्तकारक।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं कौशल्यानन्दवर्द्धन।। एषोर्घ्यः रां रामाय नमः।

चानन-
इदमनुलेपनं रां रामाय नमः।

तिल-
एते तिलाः रां रामाय नमः।

यव-
एते यवाः रां रामाय नमः।

फूल लए
सीतापते नमस्तुभ्यं रावणस्यान्तकारक।
गृहाण कुसुमं देव कौशल्यानन्दवर्द्धन।। एतानि पुष्पाणि रां रामाय नमः।

जनेउ लए-
इमे यज्ञोपवीते बृहस्पतिदैवते रां रामाय नमः।

वस्त्र-
इदं वस्त्रं बृहस्पति दैवतं रां रामाय नमः।

नैवेद्य आदि

जल लए धूप, दीप, ताम्बूल, नैवेद्य उत्सर्ग करी-
एतानि गन्धपुष्पधूपदीपताम्बूलनैवेद्यानि रां रामाय नमः।

श्रीसीता-पूजा

ॐ सीते इहागच्छ इह तिष्ठ।

अर्घ्य देबाक मन्त्र-
ॐ सीते देवि नमस्तुभ्यं रामचन्द्रप्रिये सदा।
गृहाणार्थ्यं मया दत्तं वरदा भव शोभने।। एषोऽर्घ्यः ॐ सीतायै नमः।
एहि प्रकारें पञ्चोपचारसँ पूजा करी।

श्रीकौशल्या-पूजा-

कौशल्ये इहागच्छ इह तिष्ठ।
अर्घ्य देबाक मन्त्र-
ॐ कौशल्ये प्रणमामि त्वां राममातः सुशोभने। |
अदिते त्वं गृहाणार्थ्यं वरदा भव सर्वदा।। एषोऽर्घ्यः ॐ कौशल्यायै नमः।
एहि प्रकारें कोशल्याक पूजा करी।

कैकेयी पूजा-

ॐ कैकेयि इहागच्छ इह तिष्ठ।
अर्घ्य देबाक मन्त्र-
ॐ कैकेयि प्रणमामि त्वां रावणस्यान्तकारिणि । |
गृहाणार्थ्यं मया दत्तं वरदा भव शोभने।। एषोऽर्घ्यः ॐ कैकेय्यै नमः।
एहिना चानन इत्यादिसँ पूजा करी

सुमित्रापूजा-

ॐ सुमित्रे इहागच्छ इह तिष्ठ।
अर्घ्य देबाक मन्त्र-
ॐ सुमित्रे त्वां नमस्यामि शेषमातर्नमोऽस्तु ते।
गृहाणार्थ्यं मया दत्तं वरदा भव सुन्दरि।। एषोऽर्घ्यः ॐ सुमित्रायै नमः।
एहिना चानन इत्यादिसँ पूजा करी

दशरथ-पूजा-

ॐ दशरथ इहागच्छ इह तिष्ठ।
अर्घ्य देबाक मन्त्र-
ॐ अजपुत्र महाबाहो श्रीमद्दशरथ प्रभो।
गृहाणार्थ्यं मया दत्तं रामतात नमोऽस्तु ते।। एषोऽर्घ्यः ॐ दशरथाय नमः।
पञ्चोपचारसँ पूजा करी।

भरत-पूजा-

ॐ भरत इहागच्छ इह तिष्ठ।
अर्घ्य देबाक मन्त्र-
ॐ दाशरथे त्वां नमस्यामि रामभक्त नृपात्मज।
मया समर्पितं तुभ्यमर्पोऽयं प्रतिगृह्यताम्।। एषोऽर्घ्यः ॐ भरताय नमः।

लक्ष्मण-पूजा-

ॐ लक्ष्मण इहागच्छ इह तिष्ठ।
अर्घ्य देबाक मन्त्र-
ॐ लक्ष्मणत्वं महाबाहो इन्द्रजिह्वधकारक।
गृहाणार्थ्यं मया दत्तं सुमित्रातनय प्रभो।। एषोऽर्घ्यः ॐ लक्ष्मणाय नमः।
पञ्चोपचारसँ पूजा करी

शत्रुघ्न-पूजा-

ॐ शत्रुघ्न इहागच्छ इह तिष्ठ।
अर्घ्य देबाक मन्त्र-
ॐ शत्रुघ्न प्रणमामि त्वां लवणस्यान्तक प्रभो।
गृहाणार्थ्यं मया दत्तं रामभक्तं प्रयच्छ मे।। एषोऽर्घ्यः ॐ शत्रुघ्नाय नमः।
एतेक देवताक ऊपर लिखल विधिसँ पञ्चोपचारसँ पूजा करी।

तकर बाद आरो देवतासभक अलग अलग पूजा करी-

सुग्रीव-पूजा-

ॐ सुग्रीव इहागच्छ इह तिष्ठ।।
अर्घ्य देबाक मन्त्र-
ॐ सुग्रीवाय नमस्तुभ्यं दशग्रीवान्तकप्रिय।
गृहाणार्थ्यं महावीर किष्किन्धानायक प्रभो।। एषोर्घ्यः ॐ सुग्रीवाय नमः।
एहि प्रकारें पूजा करी।

हनुमानक पूजा-

ॐ हनुमन् इहागच्छ इह तिष्ठ।
अर्घ्य देबाक मन्त्र-
ॐ कूर्मकुम्भीरसंकीर्णस्वात्तीर्णोऽसि महार्णवम् ।
हनूमते नमस्तुभ्यं गृहाणार्थ्यं महामते।। एषोर्घ्यः ॐ हनूमते नमः।
एहि प्रकारें पूजा करी।

उपर्युक्त विधिसँ निम्नलिखित आवरणदेवताक पूजा करी-
विभीषण अंगद धृष्टि जय विजय जयन्त सुराष्ट्र राष्ट्र अशेष नल नील द्वारपाल सुमन्त एते सचिवाः पूज्याः। ततो वज्र दण्ड पाश खङ्ग शूल अम्बुज चक्र शङ्ख गदा शाङ्ग बाण वसिष्ठ वामदेव जाबालि गौतम विष्वक्सेनप्रभृतयः पूजनीयाः। एवम्।

एकर बाद कथा सुनबाक चाही। कथाक लेल एतए दबाउ>>

कथाक बाद आरती, प्रदक्षिणा आ दक्षिणा कए सामान्य पूजा-विधिक अनुसार पूजा सम्पन्न करी।

कथाक बाद इहि पाण्डुलिपिमे किछु संकेत नहिं अछि, आ पाण्डुलिपि एतहि खण्डित भए जाइत अछि। तें सामान्य नियमक अनुसार सभ कार्य करी।

इति रामनवमी पूजा।

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