एक सय मन्त्रसँ रुद्राभिषेक। रुद्र-स्नपन। मिथिलाक प्राचीन प्रचलित विधि।

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मैथिल-साम्प्रदायिक शतरुद्रियप्रयोग

मिथिलामे शतरुद्रिय मन्त्रसँ रुद्राभिषेकक प्रचलन रहल अछि। एहि मन्त्रसँ श्रद्धालुलोकनि अपन घर पर बिना कोनो ताम-झाम कएने सुविधासँ रुद्राभिषेक कए सकैत सकैत छथि।

सीतामढ़ीक शिवहर स्टेटक राजा श्रीराजदेवनन्दन सिंह बहादुर मिथिलाक श्रेष्ठ पण्डितसभ केँ अपना ओतए राखि शाक्तप्रमोद नामक ग्रन्थक सम्पादन करओलनि। ई ग्रन्थ मिथिलामे बड़ा प्रचलित भेल। एतए एही ग्रन्थसँ उद्धृत शतरुद्रिय-प्रयोग-पद्धति देल जा रहल अछि।

जँ अपन घर पर एहि पद्धतिसँ रुद्राभिषेक करैत छी पार्थिव शिवलिङ्ग बनाए एहि पर अभिषेक करी। एहि लेल निम्नलिखित सामग्री आवश्यक अछि- अढ़िया, लोटा अथवा तमघैल, शृंगी, एकटा पैघ सराई।

खाली अढ़ियाकेँ सोझाँ राखि ओहिमे जल भरि लोटा राखि लोटा पर एकटा सराई राखी। एहि सराई पर महादेवक स्थापना कए पूजा होएत। ई सराई ततेक पैघ रहबाक चाही जाहिसँ महादेवक चारूकात स्थान रहए। अभिषेक करबासँ पहिने बिल्वपत्रसँ महादेव केँ खूब नीक जकाँ झँपबाक होएत।

प्रदोषकालक कृत्य कए गणपत्यादि पंचदेवता आ विष्णुक पूजा कए कीर्तिमुखक पूजा करी। तखनि बनाओल शिवलिंगकेँ स्थापित कए पहिने आवाहन आदि पंचोपचारें पूजा करी। तकर बाद पुष्पाञ्जलि दए रुद्राभिषेकक संकल्प करी।

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