Dayananda's merits

आर्य समाज की मान्यता में दाह संस्कार के बाद श्राद्ध होता ही नहीं है। दयानंद की मान्यता है कि दाह-संस्कार से पूर्व चिता पर वैदिक मंत्रों से हवन कीजिए औऱ फिर आग में लाश को जला दीजिए फिर आपको जिन्दगी भर कुछ करने की जरूरत नहीं है। आर्य समाज का सिद्धान्त है कि जीवित अवस्था में ही माता-पिता एवं समाज के विद्वान् व्यक्ति पितर कहलाते हैं, उऩकी श्रद्धापूर्वक सेवा करना ही श्राद्ध है।Continue Reading

श्राद्ध आ एकोद्दिष्टक विषयमे कुतुप कालक विचार होइत अछि। एकोद्दिष्ट आदि पितृकर्म कोन तिथिक कोन दिन होएत आ कखनि आरम्भ करबाक चाही तकर विचार करबामे कुतुप आ रोहिण नामक दू मुहूर्तक विचार कएल जाइत अछिContinue Reading