मैथिल साम्प्रदायिक ध्यान
ॐतरुण-शकलमिन्दोर्बिभ्रती शुभ्रक्रान्तिः कुचभर-नमिताङ्गी सन्निषण्णा सिताब्जे।
निजकर-कमलोद्यल्लेखनीपुस्तकश्रीः सकलविभवसिद्ध्यै पातु वाग्देवता नः।।
दिनांक 14 फरवरी, 2024, बुध दिन
मिथिलाक पंचाङ्गक अनुसार एहि दिन 10 बाजि 41 मिनट धरि पंचमी तिथि अछि। बृहस्पति दिन हेबाक कारणें सातम आ आठम अधपहरा होएत तें प्रातःकालमे अधपहराक कोनो बाधा नहिं अछि। तखनि जहाँ धरि सम्भव हो, प्रातःकालमे पूजा करी।
एहिबेर पूब मुँहें हर ठाढ करबाक योग अछि।
मैथिल साम्प्रदायिक सरस्वतीपूजा पद्धति
सरस्वतीपूजा मिथिलामे बड प्रचलित अछि। घरे-घरे मूर्ति अथवा फोटोक पूजा होइत अछि। एहि दिन पुरोहितक सर्वथा अभाव रहैत अछि, कारण जे सभ केओ अपनहिं घरमे करए चाहैत छथि। एहि कारणें मैथिल परम्परासँ प्राप्त पूजाविधिक लोप भेल जा रहल अछि।
ध्यातव्य जे वर्तमानमे उपलब्ध रुद्रधरक वर्षकृत्यमे बहुत रास अंश एकर प्रथम संपादक गंगौलीक प्रख्यात मीमांसक म.म. जगद्धर झाक जोड़ल अछि जे महाराजाधिराज रमेश्वर सिंहक उपयोग लेल ओ तान्त्रिक परिपाटीसँ लिखने रहथि।
पं. रमाकान्त ठाकुर सेहो महाराजाधिराज रमेश्वर सिंहक आदेशसँ पौरोहित्यकर्मसार नामक ग्रन्थ लिखने रहथि। पौरोहित्यकर्मसारक सरस्वतीपूजापद्धति विस्तृत अछि। तें दूनूक बीच सामंजस्य कए एकटा पोथी एतय देल जा रहल अछि। आशा करैत छी जे सरस्वती पूजा केनिहारकें ई नीक लगतनि आ विधिवत् पूजा करबामे कोनो असुविधा नै होएतनि।
एतय वर्तमानमे उपलब्ध रुद्रधरक वर्षकृत्य आ पं. रमाकान्त ठाकुरक पौरोहित्यकर्मसारक आधार पर मैथिलीमे व्याख्या कए मैथिल साम्प्रदायिक सरस्वतीपूजापद्धति देल जा रहल अछि।