Kirtilata cover

प्रस्तुत संस्करण में कीर्त्तिलता के मूल हस्तलेख (काठमाण्डू में स्थित) की फोटो प्रति एवं प्रतिलिपि का उपयोग किया गया है, प्राचीन एवं नवीन मैथिली भाषा को दृष्टि में रख कर इसका निरीक्षण किया गया है, मैथिली लिपि से प्रतिलिपि करने में जो स्वाभाविक रूप से भूल होती है, उसका ध्यान रख कर अर्थ संगति के अनुसार पाठ संशोधन किया गया है, पूर्व संस्करणों के पाठभेद से पाठ निर्धारण में सहायता ली गयी है और संस्कृतच्छाया एवं हिन्दी मैथिली व्याख्या प्रस्तुत की गयी है।Continue Reading

अपभ्रंश काव्य में सौन्दर्य वर्णन

लेखक- डॉ. शशिनाथ झा- विस्तृत परिचय सम्मति  आदरणीय झा जी, नमस्कार ।  आपका आलेख ‘अपभ्रंशकाव्य में सौन्दर्यवर्णन’ मिला। मैं उसे पूरा पढ़ गया। अतिप्रसन्नता हुई। आप-जैसे विद्वान् से जो अपेक्षा थी उससे अधिक ही आपका आलेख प्रीतिकर हुआ। हार्दिक साधुवाद।  आपके आलेख की एक बड़ी विशेषता है कि उसमें आपनेContinue Reading

डाकवचन-संहिता

डाकक महत्ता सभ वर्गक लोकक लग समाने रहल अछि। हिनक नीति, कृषि ओ उद्योग सम्बन्धी वचन सभधर्मक लोक अपनबैत अछि। ई भ्रमणशील व्यक्ति छलाह, जतए जाथि, अपन व्यावहारिक वचनसँ सभके आकृष्ट कए लेथि। एहि क्रममे हिनक वचन बंगालसँ राजस्थान धरि पसरि गेल ओ एखनहुँ लोककण्ठमे सुरक्षित अछि, परन्तु ओहिपर स्थानीय भाषाक ततेक प्रभाव पड़ि गेल जे परस्पर भिन्न लगैत अछि। हिनका मिथिलामे डाक ओ घाघ, उत्तर प्रदेश आदिमे घाघ, बंगालमे डंक तथा राजस्थानमे टंक कहल जाइत अछि। ई अपन ‘वचन’ जनिकाँ सम्बोधित कए कहने छथि तनिकाँ मिथिला ने भाँडरि रानी, मगधमे भडुली तथा आनठाम भड्डरी कहल जाइत अछि। Continue Reading