रामनवमी-पूजा-पद्धति 01

एहि पद्धतिक दू टा पाण्डुलिपि हमरा लग उपलब्ध अछि। एकटामे कथाक संग संक्षिप्त पद्धति देल छैक आ दोसरमे कथाक संग विस्तृत पद्धति अछि।Continue Reading

मिथिलाक ज्योतिष परम्परामे नाह्निदत्त कृत पंचविंशतिका एकटा महत्तवपूर्ण ग्रन्थ अछि। एकर व्याख्या म.म. रुचिपति (15म शती) केने छथि। एकर पाण्डुलिपि एतए देखल जा सकैत अछि।Continue Reading

Mithilakshar

हमरालोकनि देखि चुकल छी जे 10म शतीसँ 19म शती क पूर्वार्द्ध धरि मिथिलाक्षरक स्वरूप अपरिवर्तित रहल अछि। केवल द अक्षरमे विशेष परिवर्तन भेल जे नागरीक समान रूप छोडि लगभग 15म शतीमे अपन वर्तमान स्वरूपमे आबि गेल।Continue Reading

अवलोकन केलाक बाद दूनू कें मिलाए पढला पर म.म. परमेश्वर झाक पाठ मे संशोधनक अवसर आएल। एकर मुख्य स्थान अछि दोसर पंक्तिक 9-12 अक्षर जतए पाठक कारणें ऐतिहासिक साक्ष्य पर असरि पडैत अछि।Continue Reading

ललितविस्तर बौद्ध महायान ग्रन्थ थिक जाहिमे बुद्धक जन्म आ हुनक लीलाक वर्णन कएल गेल अछि। एहिमे 27 अध्याय अछि आ प्रत्येक अध्यायक नाम परिवर्त थिक।Continue Reading

सरोज-सुन्दर

पाण्डुलिपियाँ हमारी धरोहर हैं। उनका सबसे बड़ा उपयोग है कि उनमें लिखित ज्ञान को सम्पादित-प्रकाशित किया जाये। वह ज्ञान का प्राचीन स्रोत है।Continue Reading