हवन 

अग्निं संस्थाप्य आज्येन जुहुयात् ।

ॐ गणाधिपतये स्वाहा। ॐ दिव्योश्चशुण्डाय स्वाहा । ॐ गजाननाय स्वाहा । ॐ लम्बोदराय स्वाहा। ॐ एकदन्तायुधाय स्वाहा । ॐ नगात्मजादेहसमुद्भवाय स्वाहा। ॐ कुठारहस्ताय स्वाहा। ॐ वराय स्वाहा। ॐ विनायकाय भूतपतये नमो विनायकाय स्वाहा । 

ॐ विनायकाय भुवनपतये नमो विनायकाय स्वाहा । ॐ विनायकाय भूतानां पतये नमो विनायकाय स्वाहा । ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि। तत्रो दन्ती प्रचोदयात्।।

कंकण बन्धन

विनायक महाबाहो विघ्नेश भवदाज्ञया । 

कामा मे साधितास्सर्वे इदं बभामि कङ्कणम् । । 

नीराजन- आरती

गाइये गनपति जगबंदन। संकर सुबन भबानी -नंदन ।

सिद्धि-सदन, गज-बदन बिनायक।

कृपा-सिन्धु, सुन्दर, सब-लायक।

मोदक-प्रिय, मुद-मंगल-दाता।

बिद्या-बारिधि, बुद्धि-बिधाता।।

माँगत तुलसिदास कर जोरे।

बसहिं रामसिय मानस मोरे।।

पुष्पाञ्जलिः

फूल अंजलि में लेकर अपनी कामना का स्मरण करते हुए अर्पित करें।

प्रदक्षिणा

भगवान् गणेश की प्रदक्षिणा 3 बार होती है। अरघा में जल लेकर घड़ी की सूई की दिशा में पूरे पूजा-स्थल की परिक्रमा करनी चाहिए। प्रत्येक बार अपने आसन पर आने पर अरघा का जल अर्पित करना चाहिए। पुनः जल लेकर अगली परिक्रमा करें

क्षमापन

(दोनों हाथ जोड़कर)

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् ।

पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां गणनायक।।

मन्त्रहीनं क्रियाहीनं विधिहीनं च यद् भवेत् ।

तत्सर्वं क्षम्यतां देव परिपूर्णं तदस्तु मे ।

विसर्जनम्

अरघा में जल लेकर-

यान्तु देगणाः सर्वे पूजामादाय मामकीम् । 

इष्टकामप्रसिद्ध्यर्थं पुनरागमनाय च ।। 

आवाहितदेवताः पूजितास्थ प्रसीदन्तु स्वस्थानं गच्छन्तु । 

दक्षिणा

यहाँ आप दक्षिणा हेतु अपनी इच्छा से रुपये रखकर; अथवा यदि ऑनलाइन भेजना हो तो; विना रुपये रखे; मन ही मन- “मैं इस पूजन कर्म के निमित्त भगवान् गणेश की प्रसन्नता हेतु इतनी राशि जिस किसी भी व्यक्ति को दक्षिणा के रूप में देने हेतु उत्सर्ग करता हूँ”; यह सोचकर भगवान् गणेश को प्रणाम कर पूजा सम्पन्न करें।

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