the festival of colors

इसी होलाक पर्व का उल्लेख जैमिनि के मीमांसा सूत्र में भी मिलता है। वहाँ पहले अध्याय के तीसरे पाद के 15वें से 23वें सूत्र तक होलाकाधिकरण के नाम से एक खण्ड है, जिसमें होलाक पर्व को गृहस्थों के द्वारा मनाया जानेवाला एक अनुष्ठान माना गया है और इससे घर की स्त्रियों के सौभाग्य में वृद्धि की बात कही गयी है। यहाँ भी रंग, अबीर से खेलने की कोई चर्चा नहीं है। केवल घर के सामने अग्नि जलाकर अग्नि की पूजा का विधान किया गया है।Continue Reading

Mithila a nation in European Record

मिथिला आ मैथिलीक लेल आइ भलें संघर्ष करबाक स्थिति आबि गेल हो, हिन्दी एकरा उदरस्थ करबाक लेल हाथ-पएर मारि रहल हो, अंगिका, बज्जिका, भोजपुरी ई सभ भिनाउज करबाक लेल उताहुल हो, मुदा इतिहास इएह कहैत अछि जे 1822 ई.मे विदेशी विद्वान सभ मिथिला कें एकटा राष्ट्र आ मैथिली भाषा कें भारतक दस भाषामे सँ एक भाषा मानने छथि।Continue Reading

Boundary of Mithila

मिथिलाक चौहद्दी आ ओकर गौरवगाथाक वर्णन अनेक स्थान पर भेटैत अछि, मुदा ई सभ आर्ष-ग्रन्थ कोन कालक थीक से निर्णीत नै अछि। Continue Reading

cover of the book Maithila-bhakti-prakash

नदी इत्यादि स्नान योग्य जलाशय जाय तर्ज्जनी मध्य चानीक अनामिका मध्य सोनक पवित्री पहैरि स्वकीय कल्पोक्त प्रकारें वैदिक स्नान कय तान्त्रिक स्नान करी।Continue Reading

एहि दिन मिथिलामे सभसँ पहिने आँगनसँ दरुखा धरि बाट निपबाक प्रथा अछि। भाव ई छैक जे भाइ बाहरसँ औताह तँ हुनका लेल बाट नीपि राखल जाए।Continue Reading

6 आंगुर पलभा गणनाक आधार पर 26.56505°N अक्षांशक थीक। 26.5952° N अक्षांश पर सीतामढीक जानकी मन्दिर अवस्थित अछि।Continue Reading

क्या वर्तमान जनकपुर मिथिला नगरी थी? इन्ही प्रश्नों पर प्रमाण के साथ एक विवेचनContinue Reading

कार्तिक शुक्ल एकादशी कें देवउठान, हरिबोधिनी, देवोत्थान, प्रबोधिनी एकादशी सेहो कहल जाइत अछि। मिथिलामे एकर बड महत्त्व अछि।Continue Reading