दुर्गापूजामे हवन केना करी?
नवमी दिन श्रीदुर्गासप्तशतीक नौ अथवा दश आवृत्ति समाप्त कए हवन करी।Continue Reading
देवोत्थान एकादशीक दृश्यमिथिला सहित बंगाल आ आसामक कर्मकाण्डक परम्परा भारतक अन्य क्षेत्रसँ पृथक् अछि। एतए वैदिक पद्धति आ आगम-पद्धति दूनूकें फराक-फराक राखल गेल अछि। पूजा-पाठक लेल आगम पद्धति अपनेबाक कारणें वैदिक मन्त्र नै पौराणिक मन्त्र आ इष्टदेवताक बीजमन्त्रक प्रयोग होइत अछि आ तें मिथिलाक परम्परामे जातिवाद नै अछि। सभ केओ मन्त्रक उच्चारण कए आगम-पद्धतिसँ पूजा कए सकैत छी। दुर्गा-पूजा आदि वार्षिक उत्सवमे सेहो शबर-नृत्यक विधान भेल अछि। सभ जातिकें अपन अपन विधान अनुरूप पूजा करबाक छैक। ई मिथिलाक उदात्त परम्परा थीक। वर्णरत्नाकर मे राजदरबार में उपस्थित जातिसभक सूची देखला पर सेहो उदारवाद सिद्ध होइत अछि।
मुदा खेदक विषय थीक जे आधुनिक कालमे प्रवासी मैथिललोकनि अपन परम्पराकें त्यागि आन ठामक परम्परा अपनाए रहल छथि। हुुनकालोकनिक समस्या छनि जे मिथिलाक परम्परासँ सम्बन्धित पुस्तक उपलब्ध नै रहैत छनि। तें एहि अन्तर्जालक द्वारा एही समस्याकें दूर करबाक प्रयास कएल गेल अछि जाहिसँ मिथिलाक ई उदार परम्परा सुरक्षित रहि सकए।
विशेष रूपसँ प्रवासी मैथिल जे अपन परम्पराक सम्बन्धमे आरो किछु जानए चाहैत छथि अथवा हुनका कोनो प्रकारक असुविधा होइत छनि ओ सोझे हमरासँ सम्पर्क कए सकैत छथि- bhavanathjha@gmail.com
नवमी दिन श्रीदुर्गासप्तशतीक नौ अथवा दश आवृत्ति समाप्त कए हवन करी।Continue Reading
मिथिलामे छठिपूजाक कथा देल गेल अछि, जे भिनुसरका अर्घ्यक काल सुनल जाइत अछि. एतए ध्वन्यंकनक संग देल जा रहल अछि।Continue Reading
भाद्र शुक्ल चतुर्थी तिथि कें व्रत-उपवास कए सन्ध्याकाल स्त्री अथवा पुरुष पूजा करथि।
तेकुशा, तिल एवं जल लए-Continue Reading
चौठचन्द्र मिथिलाक विशिष्ट पर्व थीक जे आनठाम कतहु नहिं होइत अछि। एहिमे पकमान आ दहीक विशेष महत्त्व अछि। सन्तानक उन्नतिक कामनासँ चन्द्रमाक आराधना एहि दिन कएल जाइत अछि।Continue Reading