Ramanavami Vrat-katha

सोना अथवा माँटिक प्रतिमा बनवा कए भोरेमे नित्यकर्म सम्पन्न कए आचमन करी। तकर बाद तामाक सराइ लए उत्तर मुँहें ठाढ भए सोना अथवा माँटिक प्रतिमा बनवा कए भोरेमे नित्यकर्म सम्पन्न कए आचमन करी। Continue Reading

रामनवमी-पूजा-पद्धति 01

एहि पद्धतिक दू टा पाण्डुलिपि हमरा लग उपलब्ध अछि। एकटामे कथाक संग संक्षिप्त पद्धति देल छैक आ दोसरमे कथाक संग विस्तृत पद्धति अछि।Continue Reading

Sarasvati Puja in Mithila

सरस्वतीपूजा मिथिलामे बड प्रचलित अछि। घरे-घरे मूर्ति अथवा फोटोक पूजा होइत अछि। एहि दिन पुरोहितक सर्वथा अभाव रहैत अछि, कारण जे सभ केओ अपनहिं घरमे करए चाहैत छथि। एहि कारणें मैथिल परम्परासँ प्राप्त पूजाविधिक लोप भेल जा रहल अछि।Continue Reading

kalash

पुराणों के अनुसार धनतेरस अमृत कलश के साथ भगवान् धन्वन्तरि की उत्पत्ति का दिन है। इस दिन लोग, विशेष रूप से वैद्य, भगवान् धन्वन्तरि की उपासना करते हैं और उनकी कृपा से सभी लोगों के स्वस्थ रहने की प्रार्थना करते हैं।Continue Reading

kalash

जँ व्रत अथवा उपासक संकल्प कए लेल गेल छैक तँ अशौचहुमे व्रत-उपास, पूजा-पाठ आदि करबाक विधान कएल गेल छैक।Continue Reading

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chhathi vrat

सन्ध्याकाल नदी अथवा पोखरिक कछेर पर जाए अपन नित्यकर्म कए अर्थात् सधवा महिला गौरीक पूजा कए आ विधवा विष्णुक पूजा कए पश्चिम मुँहें सूर्यक दिस देखैत कुश, तिल आ जल लए संकल्प करी-Continue Reading

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Chhatha Parva Katha in Maithili

परम्परासँ व्रतकथा संस्कृतमे होइत अछि। एखनहु अनेक ठाम पुरोहित रहैत छथि आ ओ विधानपूर्वक पूजा कराए कथा कहैत छथिन्ह। जँ सम्भव हो तँ ओकरे उपयोग करी।Continue Reading

कार्तिक शुक्ल एकादशी कें देवउठान, हरिबोधिनी, देवोत्थान, प्रबोधिनी एकादशी सेहो कहल जाइत अछि। मिथिलामे एकर बड महत्त्व अछि।Continue Reading

Kalash

आश्विन पूर्णिमा कें सन्ध्याकाल चन्द्रमाक उदय भेला पर लक्ष्मीक पूजा करी।
ब्रह्मपुराण मे कहल गेल अछि-Continue Reading