हरितालिका व्रतक मैथिली कथा
एक दिस आकक माला गूथल केश छनि आ दोसर दिस मूडीक हड्डीके माला माथ पर धारण केने छथि। एक दिस सुन्दर पटोर पहिरने आ दोसर दिस विना कपडा पहिरने छथि। एहन गौरी कें प्रणाम आ महादेव कें प्रणाम।Continue Reading
एक दिस आकक माला गूथल केश छनि आ दोसर दिस मूडीक हड्डीके माला माथ पर धारण केने छथि। एक दिस सुन्दर पटोर पहिरने आ दोसर दिस विना कपडा पहिरने छथि। एहन गौरी कें प्रणाम आ महादेव कें प्रणाम।Continue Reading
भाद्र शुक्ल तृतीयाकें प्रदोष कालमे सदा सुहागिन रहबाक कामना सँ नारी हरिताली व्रत करथि। भिनसरमे थोडबो काल जँ तृतीया अछि आ तकर बाद चतुर्थी भए जाइत छैक तैयो ओही दिन व्रत होएत। साँझमे जँ चौठ पडि जाइत छैक तँ कोनो हर्ज नै।Continue Reading
हरिसिंहदेवक पराजय आ हिमालयक जंगल दिस भागि जेबाक तिथिक सम्बन्धमे जे परम्परागत श्लोक वर्तमानमे उपलब्ध अछि से भाषाक दृष्टिसँ ततेक अशुद्ध भए गेल अछि जे ओहि पर विश्वास करब कठिनContinue Reading
तीन प्रकारक जे रात्रि कालरात्रि, महारात्रि आ मोहरात्रि कहल गेल अछि ताहि में पहिल कालरात्रि दीपावली थिक। मिथिलामे ई गृहस्थक लेल महत्त्वपूर्ण अछि।Continue Reading
कार्तिक शुक्ल एकादशी कें देवउठान, हरिबोधिनी, देवोत्थान, प्रबोधिनी एकादशी सेहो कहल जाइत अछि। मिथिलामे एकर बड महत्त्व अछि।Continue Reading
जितियाक सम्पूर्ण कथा मूल संस्कृतमे सुरक्षित अछि। एकर अनुवाद मैथिलीमे सेहो देल अछि।Continue Reading
एहि वेबसाइटक सामग्रीक सर्वाधिकार पं. भवनाथ झा लग सुरक्षित अछि। शैक्षिक उद्देश्य सँ सन्दर्भ सहित उद्धरणक अतिरिक्त एकर कोनो सामग्रीक पुनरुत्पादन नहिं करी। जँ कतहु शैक्षिक उद्देश्यसँ सामग्री लेल जाइत अछि तँ ओहि वेबपृष्ठक URL सहित देल जा सकैत अछि।