Gandhi in Mithila

मुदा गाँधीजी एहेन परिस्थितिमे उत्तर बिहारक यात्रा कएलनि। अपेक्षा छल जे एहि ठामक जनताक सहायताक लेल ओ किछु ठोस काज करितथि। मुदा स्थिति एकर विपरीत रहल।
ओ बिहारक अनेक स्थान पर घुमलाह, भाषण देलनि, चंदा एकत्र कएलनि। आरम्भमे घोषणा कएलनि जे जे किछु जमा होएत तकर आधा भूकम्प राहत कार्यक लेल लगाओल जाएत आ आधा हरिजन मदमे देल जाएत। मुदा अपन घोषणाक विपरीत जखनि 8,833 रुपया जमा भेल तँ 4,000 रुपया हरिजन फंडमे देलनि।Continue Reading

डा. बिनादोनन्द झा 'विश्वबन्धु'

हिनक रचना ‘जीवन एक प्रयोगशाला’ हिनक आत्मकथा थीक जे घोर अभावक बीचसँ उठि सफलताक शिखर पर पहुँचबाक प्रेरणा दैत अछि। लेखक मिथिलामे ध्वस्त होइत उद्योग-धंधाक असहाय दर्शक छथि। Continue Reading

mithila map

एतए स्पष्ट अछि जे एकटा मैथिलक दिससँ मैथिलीमे अनूदित करबाक लेल प्रस्ताव देल गेल मुदा जें कि एहि ठामक लोक हिन्दी सेहो बुझैत छल तें सरकारी आदेशसँ केवल हिन्दी भाषामे अनुवाद भेल।Continue Reading

Arts College Hostel

लेकिन दरभंगा के महाराज रमेश्वर सिंह का यह अनुदान इस शर्त पर दिये गया थी कि बिहार के सनातनी छात्रों को इसमें प्रवेश में प्राथमिकता दी जायेगी। यहाँ ध्यातव्य है कि उन्होंने नाम जोड़ने की कोई शर्त नहीं रखी थी।Continue Reading

घुरि आउ कमला आवरण

परेत फेर कहए लागल- “गाममे फुलिया आ हमर बात सभ केओ बूझि गेल रहए। ओकर बहिन सेहो सुनलक। गप्प चललै। फुलिया सँ हमर बियाह भए गेल। ओही साल कमला माइ सेहो किरपा कएलखिन। एही गाम देने बहए लगलीह। खूब धानो उपजै। माछ मखान भेट, सिंघार, करहर, सारूख ई सभ तँ अलेल रहै।…Continue Reading

वाल्मीकि-रामायण सबसे पुरानी प्रति

“संवत् 1076 अर्थात् 1019 ई. में आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी तिथि को महाराजाधिराज, पुण्यावलोक, चन्द्रवंशी, गरुडध्वज उपाधिधारी राजा गांगेयदेव के द्वारा शासित तिरहुत में कल्याणविजय राज्य में, नेपाल देश के पुस्तकालयाध्यक्ष श्रीआनन्द के लिए गाँव के एक टोला में रहते हुए पण्डित कायस्थ श्री श्रीकर के पुत्र श्रीगोपति ने इसे लिखा।”
यह तालपत्र में लिखित 800 पत्रों का ग्रन्थ नेवारी लिपि में है, जिसमें सातों काण्ड हैं। यह काठमाण्डू के वीर पुस्तकालय (राजकीय अभिलेखागार) में है, जिसकी फोटोप्रति बड़ौदा में ग्रन्थ सं–14156 है। इसके किष्किन्धाकाण्ड के अन्तमें एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पुष्पिका (समाप्तिसूचक लेखीय वाक्य) है।Continue Reading

जनक-याज्ञवल्क्य की धरती मिथिला एक ओर यजुर्वेद एवं शतपथ-ब्राह्मण की वैदिक परम्परा की भूमि रही है तो दूसरी ओर आगम-परम्परा में शक्ति-पूजन के लिए विख्यात रही है।Continue Reading

fort william College

मैथिली भाषाक सन्दर्भमे जँ देखल जाए तँ ग्रियर्सनसँ बहुत पहिने 1804 ई.मे जेम्स रोमर अपन आलेखमे एकरा महत्त्वपूर्ण स्थान देने छथिContinue Reading

Maharaja Rameshwar Singh

23 मई 1900 ई. कें दरभंगा महाराज रमेश्वर सिंह के केसर-ए-हिन्दक उपाधि भेटल रहए। ओहि दन ई उपाधि पओनिहार 30 व्यक्तिक सूची देल जा रहल अछि-Continue Reading

ड्यौढीक दृश्य

दरभंगा राज आ ओकर मधुबनी शाखाक द्वारा उत्सव सेहो तखनहिं मानल जाइत छल जखनि कि कोनो जनहित कार्य कएल जाए। यूरोपक रानीक जुबली मनाओल गेल तँ 14,000 रुपयाक चन्दा देनिहार राज परिवारक सदस्य सभ रहथि आ ओहिसँ कम्बल, अन्न आ खपड़ा बाँटल गेलैक। पोखरि खुनाओल गेल।Continue Reading