मिथिलाक अष्टदल अरिपन
हमरालोकनि सभ केओ जनैत छी जे कोनो पूजामे मुख्य देवताक आवाहन एसकर नै होइत छनि। हुनक आवाहन अङ्ग देवता, अस्त्र-शस्त्र, वाहन एवं परिवारक संग होइत अछि।Continue Reading
मिथिला आ मैथिलीक लेल सतत प्रयासरत
हमरालोकनि सभ केओ जनैत छी जे कोनो पूजामे मुख्य देवताक आवाहन एसकर नै होइत छनि। हुनक आवाहन अङ्ग देवता, अस्त्र-शस्त्र, वाहन एवं परिवारक संग होइत अछि।Continue Reading
बहुत कम पाठकों को यह विदित है कि गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस के प्रथम सम्पादक, हिन्दी के आदि गद्यकार, पं. सदल मिश्र थे। उनके द्वारा सम्पादित यह ग्रन्थ कलकत्ता से 1810 ई. में प्रकाशित हुआ था।Continue Reading
शूद्र और उग्र से भी शुल्क लेना धर्म-सम्मत है।’ सर्वदा शूद्रत उग्रतो वाचार्यार्थस्याहरणं धार्म्यमित्येके। (1 । 2 । 19) यानी हमेशा शूद्रों अथवा उग्रों से आचार्य के हिस्से का धन वसूलना चाहिए ऐसा कुछ आचार्य कहते हैं।Continue Reading
पूर्वाभिमुख भए कुश सहित- ओम् तर्पणीयाः देवा आगच्छन्तु। ओम् ब्रह्मादयस्तृप्यन्ताम्। उत्तराभिमुख भए- ओम् सनकादय आगच्छन्तु। ओम् सनकादयस्तृप्यन्ताम्Continue Reading
I have a manuscript dealing with the history of Mithila. I have found it in scattered position with some another old papers and a manuscript in Devanagari,Continue Reading
मिथिलाक चौहद्दी आ ओकर गौरवगाथाक वर्णन अनेक स्थान पर भेटैत अछि, मुदा ई सभ आर्ष-ग्रन्थ कोन कालक थीक से निर्णीत नै अछि। Continue Reading
“MAIT H I LA or Tirhutiya is the language used in Mithālā that is in the Sircár of Tirhát and in some adjoining districts limited Continue Reading
This district occupies the north western corner of the Bahar province and is situated principally between the 27th and 28th degrees of north latitude.Continue Reading
सनातन धर्ममे मरणोपरान्त दाह-संस्कार कएल जाइत अछि। एहि संस्कारक संकेत हमरालोकनिकें ऋग्वेदमे सेहो भेटैत अछि।Continue Reading
दीपावली सम्पूर्ण भारतवर्ष में श्रद्धा एवं विश्वास के साथ मनाया जानेवाला प्रमुख पर्व है। इस दिन के साथ कई कथाएँ एवं ऐतिहासिक घटनाएं जुडी हुई है।Continue Reading