सोतिक विवाहमे साँकरक डाला

मिथिलामे ब्राह्मणक एकटा समूह अछि जे सोति कहबैत छथि। सोतिमे विवाहक प्रक्रिया बड़ उदार अछि। एहिमे दहेज नामक कोनो वस्तु नै अछि। विवाहमे आइयो आडम्बर त्याज्य अछि।Continue Reading

तिलक आ फलदान

अनदेसी परम्पराकें जे हमरालोकनि अपनाए खर्च कें बढाबा दैत छी तँ ताहि पर ध्यान देबाक चाही। ई सभ अपव्यय अन्ततः दहेज कें बढ़ाबा दैत अछि।Continue Reading

कन्यादान

जखने विवाहकें एकटा पवित्र संस्कार मानल जाए लागत तखनहिं बेसी लम्फ-लम्फाक दिससँ लोक विरत होएताह आ दहेज बहुत कम भए जाएत। कन्याक महत्त्व बढ़त, भौतिकवादक स्थान पर एकर आध्यात्मिक महत्त्वक मानसिकता जागत आ दहेजक दिससँ मोन टुटत।Continue Reading

the festival of colors

इसी होलाक पर्व का उल्लेख जैमिनि के मीमांसा सूत्र में भी मिलता है। वहाँ पहले अध्याय के तीसरे पाद के 15वें से 23वें सूत्र तक होलाकाधिकरण के नाम से एक खण्ड है, जिसमें होलाक पर्व को गृहस्थों के द्वारा मनाया जानेवाला एक अनुष्ठान माना गया है और इससे घर की स्त्रियों के सौभाग्य में वृद्धि की बात कही गयी है। यहाँ भी रंग, अबीर से खेलने की कोई चर्चा नहीं है। केवल घर के सामने अग्नि जलाकर अग्नि की पूजा का विधान किया गया है।Continue Reading

दशमहाविद्या

मिथिलाक प्रसिद्ध पाबनि-तिहार एवं व्रत आदि स्रोत- ई सूची कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालयक पंचागक आधार पर बनाओल गेल अछि। श्रावण- साओन मासक व्रत-पर्व अशून्यशयन मौनापञ्चमी- कृष्णपक्ष, पंचमी तिथि, मनसा-देवी जागरण एवं पूजा मधुश्रावणी-पूजारम्भ- श्रावण कृष्ण पञ्चमी मधुश्रावणी व्रत एवं पूजा- श्रावण शुक्ल तृतीया नागपञ्चमी- श्रावण शुक्ल पञ्चमी शीतलापूजा- श्रावण शुक्लContinue Reading

child saver Goddess Mundeshvari

वस्तुतः छठि परमेसरीक आराधना आ कार्तिक शुक्ल सप्तमीकें सूर्यपूजा दूनू दू पाबनि थीक। छठि परमेसरीक आराधना रातिमे होइत अछि आ स्कन्दक जन्मदिनक अवसर पर हुनक पूजामे सूर्यकें सेहो अर्घ्य देबाक विधान अछि तें ई सभटा घोर-मट्ठा भए वर्तमान छठि पाबनिक स्वरूपमे आएल।Continue Reading

मिथिलाक संस्कृतिमे, प्रतिदिन, विशेष रूपसँ कार्तिक मासमे, सभठाम, विशेष रूपसँ सिमरियामे, कल्पवासक अवधिमे गोसाञिक नामक पाठ करबाक आ सुनबाक परम्परा रहलैक अछि। एहि गोसाञिक नामक अन्तर्गत तीन टा स्तोत्रक पाठ होइत छलContinue Reading

Mithila manuscript

मिथिला की गंगा के तट का माहात्म्य, चौमथ घाट एवं सिमरिया के सन्दर्भ में यह आलेख 2016 ई. में बेगूसराय, संग्रहालय के वार्षिकोत्सव के अवसर पर पढ़ा गया है)Continue Reading

हरिताली, तीज, मैथिली कथा

एक दिस आकक माला गूथल केश छनि आ दोसर दिस मूडीक हड्डीके माला माथ पर धारण केने छथि। एक दिस सुन्दर पटोर पहिरने आ दोसर दिस विना कपडा पहिरने छथि। एहन गौरी कें प्रणाम आ महादेव कें प्रणाम।Continue Reading