राजा पुछल- “केना उद्धार होएतैक से कहू।”

रानी उत्तर देलनि- “मरबाक काल एकर जे ममोला बाँचल छल होएतैक से जँ पूरा भए जाइ, तँ एकर उद्धार भए जाएत।”

दुनू गोटे परेतके अएबाक समयक प्रतीक्षा करए लगलाह। परेत आएल। फेर ओ ओहिना उलटा लटकल छल। ओतहि सँ दुनू गोटेके प्रणाम कएलक आ बाजल- “हँ, तँ सुनह हओ राजा। काल्हि राति हमरा हँसी लागि गेल रहए। तकर कारण सुनह। तोहर परदादा अपना जिबैत राज हासिल नै कए सकलखुन ओ अपने नेपालेमे जान गमओलनि। हुनकर बेटा बहुत दिन धरि लड़ाइ करैत रहलाह, तखनि जीत भेलनि। ओ पछिमाहा चण्डलबा राजा मारल गेल। ओकर लोक सभ अपन नगर भागल। नवका राजा जखनि गद्‌दी पर बैसलाह तँ एतुका अपन रोजगारकें खूब सह देलनि। गरीब-गुरबा धन्य-धन्य भए गेल। एहन रहथि ओ राजा। मुदा हुनके सन्तान भए तों अप्पन बोली-बानी, भेष-भूषा, चालि-चलनि सभटा बिसरि गेलह! हओ, देखसी पर कतेक दिन चलएबह ई राजपाट!  हओ, पछिमाहा दारू आ दछिनाहा बुलकीवालीक संग रभसैत काल कहाँ कोनो बाधक रखबार मोन पड़ैत छह! काल्हि केना मोन पड़ि गेल रहह, ई कमलाक कछेरक ई सिमरक गाछ, आ ई पाँच पुस्तक समयसँ उनटा लटकल एकटा गोंढि! तेँ हमरा हँसी लागि गेल रहए।”

रानीक आँखिसँ दहोबहो नोर बहए लागल। राजा सेहो अपनाकें सम्हारि नै सकलाह; हिचुकए लगलाह-  “हे कमला माइक सपूत, आइ अहाँ हमर आँखि खोलि देलहुँ। हम एतए बन्धनक तरमे सप्पत खाइ छी जे अप्पन बोली-बानी; चालि-चलनि, भेष-भूषा नै छोड़ब; अनकर देखसीपर नै उड़ब। हम सप्पत खाइ छी। मुदा अखनि हमर राजक प्रजाकें बचाउ। प्रजा पानि-पानि कए मरि रहल अछि। अहाँ चलू। अहाँ गोहारि लगाएब तँ कमला माइ घुरबे करतीह। हमरा सन पतितसँ कमला माइ सत्ते रूसि गेल छथि। अहाँक बात ओ नै कटतीह।”

एतबा कहि राजा उठलाह आ सोनचिड़ैक देल ठहुरीसँ ओहि परेतक ठठरीके हँसोथि देलनि। थोडबे कालमे सत्ते ओ परेत एकटा कठमस्त जुआनक बानामे उलटा झुलए लागल। राजा सिमरक गाछपर चढ़ि ओकर पयरक बन्धन खोलि देलनि। मनुक्ख बनल ओ परेत राजाक आगाँमे कल जोड़ि ठाढ़ गए गेल। राजा ओकरा भरि पाँजमे धए लेलनि।

तीनू गोटे पयरे महल घुरि अएलाह। पूब दिशा सिनुराए रहल छल। कमला माइक ओ सपूत कर जोड़ि राजा आ रानी केँ कहए लगलनि- “हे राजा, हे रानी, जहिया परेत बनि घुमैत रही तँ मोन होअए जे अइ जिनगीसँ उद्धार भए जाइत, मुदा नहि, आब नै। आब हम सभदिन परेते बनि कए रहए चाहै छी। कमला माइक अइ कोरा सँ बेसी सुख कतौ नै भेटत। हम एतहि रहब, परेते बनल रहब। जहिया-जहिया कमला माइ रूसि जएतीह, तहिया-तहिया हुनका बौंसब। हमर बात मानतीह नै ते कि? आ हमरे किए? सभक बात मानतीह। माय कतौ बेटा सभसँ रुसलै-ए। ओहू बतहियाके की बेटा सभक बिना चेन भेटतै! ओ रूसल नै अछि। हे देखू ने, हम बौसे लेल जाइ छी, मुदा हे राजा, हे रानी, सप्पत मोन राखब।”

मनुक्ख बनल ओ परेत बताह जकाँ नाचए लागल आ खुनाओल जाइत पोखरि दिस दौड़ल। पोखरिक मोहारपर पहुँचल आ चिकड़ए लागल- “घुरि आउ कमला… घुरि आउ कमला…।” आ फेर भोकाड़ि पाड़ि कानए लागल। बड़ी काल धरि कनैत रहल आ फेर एक उझुक डाकनि देलक- “नै अएबें, तँ आब हमहूँ कहियो ने बजेबौ, कहियो नै!”

मोहारपर भीड़ लागि गेल छल। लोक ओकरा निछट्ट बताह बूझि रहल छलै। मुदा थोड़बे कालमे लोक देखलक जे पोखरिक बीचमे नीचासँ पानिक बमकोला छुटलै आ देखिते-देखिते आधा पोखरि पानिसँ भरि गेल। संगहि लोक देखलक जे ओ बतहा दौड़ल-दौडल गेल आ ओहि पानिमे कूदि गेल। ओ ओतहिसँ चिचिआए लागल- “घुरि अएलीह कमला! घुरि अएलीह कमला!!”

समाप्त

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