Author: Bhavanath Jha
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मिथिलामे दीपावलीक राति ऊक फेरबाक परम्परा पितरक प्रति कर्तव्य
तीन प्रकारक जे रात्रि कालरात्रि, महारात्रि आ मोहरात्रि कहल गेल अछि ताहि में पहिल कालरात्रि दीपावली थिक। मिथिलामे ई गृहस्थक लेल महत्त्वपूर्ण ... -
रक्षाबंधन नहीं, भैया-दूज है भाई-बहन का असली पर्व…
भ्रातृ द्वितीया यानी भैयादूज भाई-बहन के लिए मुख्य पर्व है। इसमें बहन अपने भाई की लम्बी आयु के लिए प्रार्थना करती है। ... -
मिथिलाक परम्परामे देवोत्थान एकादशी- प्रबोधिनी एकादशी
कार्तिक शुक्ल एकादशी कें देवउठान, हरिबोधिनी, देवोत्थान, प्रबोधिनी एकादशी सेहो कहल जाइत अछि। मिथिलामे एकर बड महत्त्व अछि। -
मिथिला की वैदिक एवं तान्त्रिक पाण्डुलिपियों का एक संकलन
पाण्डुलिपियाँ हमारी धरोहर हैं। उनका सबसे बड़ा उपयोग है कि उनमें लिखित ज्ञान को सम्पादित-प्रकाशित किया जाये। वह ज्ञान का प्राचीन स्रोत है। -
मिथिलाक परम्परामे दूर्वाक्षतक मन्त्र
मिथिलामे दूर्वाक्षत आशीर्वादक कर्मकाण्ड थीक। दूबि जेना चतरब, उन्नति करब सभसँ पैघ आशीर्वाद भेल। वेद सेहो दूबिक चतरबाक प्रवृत्तिक प्रशंसा करैत अछि। -
दुर्गापूजामे रावण-वध किएक?
रावण सीताक अपहरण केलक, ओ अपहर्ता थीक तें ओकर कार्य निन्दनीय तें विरोध प्रदर्शित करबाक लेल रावण-वध होएबाक चाही। -
प्रामाणिक ग्रन्थों में नहीं है दुर्गापूजा में देवी के आगमन एवं प्रस्थान का फल
माना जाता है कि शारदीय नवरात्र में भगवती का आगमन और प्रस्थान के दिन के अनुसार उस वर्ष फलाफल होता है। -
मिथिलामे कोजागराक उपलक्ष्यमे लक्ष्मीपूजा
आश्विन पूर्णिमा कें सन्ध्याकाल चन्द्रमाक उदय भेला पर लक्ष्मीक पूजा करी। ब्रह्मपुराण मे कहल गेल अछि- -
गौरी-प्रस्तारसँ उद्धृत, मिथिलाक पारम्परिक जितिया व्रतकथा (मूल संस्कृतमे)
जितियाक सम्पूर्ण कथा मूल संस्कृतमे सुरक्षित अछि। एकर अनुवाद मैथिलीमे सेहो देल अछि। -
मिथिलामे प्रचलित, वर्षकृत्यमे पारम्परिक रूपसँ उद्धृत जितिया व्रतक सम्पूर्ण कथाक मैथिलीमे अनुवाद
कैलासक रमनगर चोटी पर गौरी महादेवसँ पुछलखिन जे हम सुनए चाहैत छी से की अहाँ कहि सकैत छी? पार्वती कहलथिन- कोन व्रत कोन तपस्या ...