बहुत कम पाठकों को यह विदित है कि गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस के प्रथम सम्पादक, हिन्दी के आदि गद्यकार, पं. सदल मिश्र थे। उनके द्वारा सम्पादित यह ग्रन्थ कलकत्ता से 1810 ई. में प्रकाशित हुआ था।Continue Reading

शूद्र और उग्र से भी शुल्क लेना धर्म-सम्मत है।’ सर्वदा शूद्रत उग्रतो वाचार्यार्थस्याहरणं धार्म्यमित्येके। (1 । 2 । 19) यानी हमेशा शूद्रों अथवा उग्रों से आचार्य के हिस्से का धन वसूलना चाहिए ऐसा कुछ आचार्य कहते हैं।Continue Reading

पूर्वाभिमुख भए कुश सहित- ओम् तर्पणीयाः देवा आगच्छन्तु। ओम् ब्रह्मादयस्तृप्यन्ताम्। उत्तराभिमुख भए- ओम् सनकादय आगच्छन्तु। ओम् सनकादयस्तृप्यन्ताम्Continue Reading

Boundary of Mithila

मिथिलाक चौहद्दी आ ओकर गौरवगाथाक वर्णन अनेक स्थान पर भेटैत अछि, मुदा ई सभ आर्ष-ग्रन्थ कोन कालक थीक से निर्णीत नै अछि। Continue Reading

सनातन धर्ममे मरणोपरान्त दाह-संस्कार कएल जाइत अछि। एहि संस्कारक संकेत हमरालोकनिकें ऋग्वेदमे सेहो भेटैत अछि।Continue Reading

दीपावली सम्पूर्ण भारतवर्ष में श्रद्धा एवं विश्वास के साथ मनाया जानेवाला प्रमुख पर्व है। इस दिन के साथ कई कथाएँ एवं ऐतिहासिक घटनाएं जुडी हुई है।Continue Reading

माता-पिताक मृत्युक उपरान्त सभ दिन एतेक कर्म हमरालोकनिक संस्कृतिमे अछि। श्राद्ध, प्रतिवर्ष एकोद्दिष्टश्राद्ध, पार्वण, प्रतिदिन तर्पण आ विशेष रूपसँ पितृपक्षमे तर्पण, दीपावलीक दिन उल्काभ्रमण आ ब्राह्मणभोजन, गया-श्राद्ध आ अन्य पवित्र तीर्थमे श्राद्ध।Continue Reading