Anant-vrat-katha-in HIndi

हमरालोकनि मिथिलाक छी। जतेक व्रतकथा अछि, पूजा-पद्धति अछि, पूजापद्धतिमे प्रयुक्त पौराणिक मन्त्र अछि तकर मैथिली पद्यानुवाद करू। ई समाजक सभ लोककेँ उपासनासँ जोड़बाक लेल अहाँक क्रान्तिकारी डेग होएत।Continue Reading

mithila map

भाषा, लिपि, चौहद्दीक प्राचीन उल्लेख एहि तीनू कारकक संग आरो बहुत रास एहन तत्त्व सभ विवचनीय अछि जे मिथिलाक अस्मिताक निर्धारक तत्त्व थीक, जेकर विवेचन एतए अपेक्षित अछि।Continue Reading

Parthiva Shiva

मिथिलामे शतरुद्रिय मन्त्रसँ रुद्राभिषेकक प्रचलन रहल अछि। एहि मन्त्रसँ श्रद्धालुलोकनि अपन घर पर बिना कोनो ताम-झाम कएने सुविधासँ रुद्राभिषेक कए सकैत सकैत छथि।

सीतामढ़ीक शिवहर स्टेटक राजा श्रीराजदेवनन्दन सिंह बहादुर मिथिलाक श्रेष्ठ पण्डितसभ केँ अपना ओतए राखि शाक्तप्रमोद नामक ग्रन्थक सम्पादन करओलनि। ई ग्रन्थ मिथिलामे बड़ा प्रचलित भेल। एतए एही ग्रन्थसँ उद्धृत शतरुद्रिय-प्रयोग-पद्धति देल जा रहल अछि।Continue Reading

Hindi-urdu controversy in Darbhanga

दरभंगा का मुंसिफ कोर्ट। अंगरेजों के जमाने में भारतीय जजों के कोर्ट को मुंसिफ कहा जाता था। 1873-74 का समय था। मुंसिफ कोर्ट में एक मुसलमान जज बैठे हुए थे। इसी समय मिस उर्दू रोती-बिलखती छाती पीटती हुई आयी। उसने अपील की- ‘हुजूर, श्रीमती हिन्दी मुझे बिहार से निकालना चाह रही है। मेरी फरियाद सुन ली जाये।ʼContinue Reading

Maharaj Lakshmishwar Singh

कहा जाता है कि वे जज साहब खुद इनके पास आये। हो सकता है कि इस बात में कुछ बढ़ा-चढाकर कहा जा रहा हो! बिट्ठो गांव के स्रोत से मेरे पास तक यह कहानी आयी है तो कुछ तो काव्यात्मकता होगी ही। आजकल जिसे ‘नमक-मिर्च लगानाʼ कहते हैं, उसे शिष्ट शब्दों में काव्यात्मकता कहते हैं, अतिशयोक्ति कहते हैं जो एक अलंकार है।Continue Reading

बी.एच.यू की स्थापना

वाराणसी-विद्यापरिषद् की योजनाको स्वर्गीय महाराजाधिराज रमेश्वरसिंह बहादुरने स्वयं अपने दस्तखतोंसे उपस्थित किया था। भारत-गवर्नमेन्टने इन तीनों योजनाओंके पेश होनेपर यह मत प्रकट किया कि, तीनों जबतक एकमत होकर हमारे सम्मुख नहीं आयेंगे, तबतक विश्वविद्यालयकी राजाज्ञा नहीं दी जायेगी। Continue Reading

जानकीक प्रादुर्भाव मिथिलाक भूमिसँ भेल छल। ताहि लागिसँ एतएक लोककेँ हुनका प्रति विशेष समादर भाव उचिते। खासकए जानकीनवमी दिन अनेक ठाम हिनकर पूजनोत्सव कएल जाइत अछि जे पुरान परम्परा थिक। पन्द्रहम शताब्दीमे म.म. रुद्रधर उपाध्याय वर्षकृत्यमे जानकीपूजाक विधान देने छथि। 1938 ई.मे पं. जीवानन्द ठाकुर ‘जानकीपूजापद्धति’ लिखलनि आ 1939 ई.मे अद्भुत रामायणक जानकी सहस्रनाम छपओलनि। Continue Reading

Gandhi in Mithila

मुदा गाँधीजी एहेन परिस्थितिमे उत्तर बिहारक यात्रा कएलनि। अपेक्षा छल जे एहि ठामक जनताक सहायताक लेल ओ किछु ठोस काज करितथि। मुदा स्थिति एकर विपरीत रहल।
ओ बिहारक अनेक स्थान पर घुमलाह, भाषण देलनि, चंदा एकत्र कएलनि। आरम्भमे घोषणा कएलनि जे जे किछु जमा होएत तकर आधा भूकम्प राहत कार्यक लेल लगाओल जाएत आ आधा हरिजन मदमे देल जाएत। मुदा अपन घोषणाक विपरीत जखनि 8,833 रुपया जमा भेल तँ 4,000 रुपया हरिजन फंडमे देलनि।Continue Reading

डा. बिनादोनन्द झा 'विश्वबन्धु'

हिनक रचना ‘जीवन एक प्रयोगशाला’ हिनक आत्मकथा थीक जे घोर अभावक बीचसँ उठि सफलताक शिखर पर पहुँचबाक प्रेरणा दैत अछि। लेखक मिथिलामे ध्वस्त होइत उद्योग-धंधाक असहाय दर्शक छथि। Continue Reading