मिथिलाक सोतिपूरामे वैदिक विवाहक विशिष्ट रीति-रेवाज, भाग 1
मिथिलामे ब्राह्मणक एकटा समूह अछि जे सोति कहबैत छथि। सोतिमे विवाहक प्रक्रिया बड़ उदार अछि। एहिमे दहेज नामक कोनो वस्तु नै अछि। विवाहमे आइयो आडम्बर त्याज्य अछि।Continue Reading
मिथिलामे ब्राह्मणक एकटा समूह अछि जे सोति कहबैत छथि। सोतिमे विवाहक प्रक्रिया बड़ उदार अछि। एहिमे दहेज नामक कोनो वस्तु नै अछि। विवाहमे आइयो आडम्बर त्याज्य अछि।Continue Reading
अनदेसी परम्पराकें जे हमरालोकनि अपनाए खर्च कें बढाबा दैत छी तँ ताहि पर ध्यान देबाक चाही। ई सभ अपव्यय अन्ततः दहेज कें बढ़ाबा दैत अछि।Continue Reading
राजनगर के सुप्रसिद्ध कालीमन्दिर में चार फलकों में लिखे गये कुल तीन शिलालेख हैं। इनमें से पहले शिलालेख में महाराज रमेश्वर सिंह ने महेश ठाकुर से लेकर सभी राजाओं का वर्णन करते हुए अपनी वंशपरम्परा का काव्यमय वर्णन किया है।Continue Reading
इसी होलाक पर्व का उल्लेख जैमिनि के मीमांसा सूत्र में भी मिलता है। वहाँ पहले अध्याय के तीसरे पाद के 15वें से 23वें सूत्र तक होलाकाधिकरण के नाम से एक खण्ड है, जिसमें होलाक पर्व को गृहस्थों के द्वारा मनाया जानेवाला एक अनुष्ठान माना गया है और इससे घर की स्त्रियों के सौभाग्य में वृद्धि की बात कही गयी है। यहाँ भी रंग, अबीर से खेलने की कोई चर्चा नहीं है। केवल घर के सामने अग्नि जलाकर अग्नि की पूजा का विधान किया गया है।Continue Reading
मैथिली भाषाक सन्दर्भमे जँ देखल जाए तँ ग्रियर्सनसँ बहुत पहिने 1804 ई.मे जेम्स रोमर अपन आलेखमे एकरा महत्त्वपूर्ण स्थान देने छथिContinue Reading
मिथिला आ मैथिलीक लेल आइ भलें संघर्ष करबाक स्थिति आबि गेल हो, हिन्दी एकरा उदरस्थ करबाक लेल हाथ-पएर मारि रहल हो, अंगिका, बज्जिका, भोजपुरी ई सभ भिनाउज करबाक लेल उताहुल हो, मुदा इतिहास इएह कहैत अछि जे 1822 ई.मे विदेशी विद्वान सभ मिथिला कें एकटा राष्ट्र आ मैथिली भाषा कें भारतक दस भाषामे सँ एक भाषा मानने छथि।Continue Reading
दरभंगा राज आ ओकर मधुबनी शाखाक द्वारा उत्सव सेहो तखनहिं मानल जाइत छल जखनि कि कोनो जनहित कार्य कएल जाए। यूरोपक रानीक जुबली मनाओल गेल तँ 14,000 रुपयाक चन्दा देनिहार राज परिवारक सदस्य सभ रहथि आ ओहिसँ कम्बल, अन्न आ खपड़ा बाँटल गेलैक। पोखरि खुनाओल गेल।Continue Reading
सरस्वतीरहस्योपनिषत् तन्त्रात्मक उपनिषद् थीक। एकर ऋषि आश्वलायन छथि जे मानैत छथि जे वेदमे 10 टा मन्त्रमे देवी सरस्वतीक स्तुति कएल गेल अछि। एहि दसो मन्त्रक विनियोग, ध्यान आ बीज मन्त्रक निर्देश एहि सरस्वतीरहस्योपनिषत् मे कएल गेल अछि।Continue Reading
एक दिस आकक माला गूथल केश छनि आ दोसर दिस मूडीक हड्डीके माला माथ पर धारण केने छथि। एक दिस सुन्दर पटोर पहिरने आ दोसर दिस विना कपडा पहिरने छथि। एहन गौरी कें प्रणाम आ महादेव कें प्रणाम।Continue Reading
मिथिलाक परम्परानुसार हरितालिका व्रतक कथा संस्कृतमे अछि। ई मूल कथा जे संस्कृत भाषामे अछि से ऋषि-मुनिक वाणी थीक तें ओ शब्द सुनला-पढलासँ सेहो फल भेटैत छैक…Continue Reading