व्रत-विधि आ ओहिमे प्रतिनिधिक विधान
जँ व्रत अथवा उपासक संकल्प कए लेल गेल छैक तँ अशौचहुमे व्रत-उपास, पूजा-पाठ आदि करबाक विधान कएल गेल छैक।Continue Reading
मिथिलामे बहुत रास पाबनि-तिहार एहि ठामक स्थानीय परम्परा थीक, जे भारतमे आन ठाम कतहु नै होइत अछि। चौरचन, सामा-चकेबा, घाँटो आदि पाबनि तँ केवल मिथिलेमे होइत अछि। जँ एहि नाम सँ आनठाम कतहु होइतो छैक तँ ओकर स्वरूपमे भिन्नता छैक। संगहि एकर सभटा पाबनि एकर अपन भौगौलिक आ सांस्कृतिक स्वरूपक अनुरूप विकसित भेल अछि। एहिमे सँ बहुत रास पाबनि आइ बिसरा रहल अछि मुदा दोसर दिस सिनेमा आ अन्कय संचार-माध्र्यमक प्रभावसँ करबा-चौथ सनक अनदेसी पाबनि आबि तुला रहल अछि।
मिथिलाक बहुत रास पाबनि-तिहारमे पारम्परिक कथा संस्कृतमे अछि जे मिथिलाक विभिन्न वर्षकृत्यमे देल गेल अछि। एहिमेसँ बहुत रास कथाक मैथिली अनुवादक अपेक्षा छैक, जाहिसँ संस्कृत भाषाक उच्चारण सँ अनभिज्ञ आ विशेष कए महिलालोकनि स्वयं एकरा पढि पाबनि-तिहार सम्पन्न कए सकथि। जितिया, छठि आदि पाबनिक कथा एतए मैथिलीमे सेहो भेटत। इंटरनेट पर उपलब्ध होएबाक कारणें मोबाइलो पर एकरा पढल जा सकैत अछि।
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जँ व्रत अथवा उपासक संकल्प कए लेल गेल छैक तँ अशौचहुमे व्रत-उपास, पूजा-पाठ आदि करबाक विधान कएल गेल छैक।Continue Reading
सन्ध्याकाल नदी अथवा पोखरिक कछेर पर जाए अपन नित्यकर्म कए अर्थात् सधवा महिला गौरीक पूजा कए आ विधवा विष्णुक पूजा कए पश्चिम मुँहें सूर्यक दिस देखैत कुश, तिल आ जल लए संकल्प करी-Continue Reading
परम्परासँ व्रतकथा संस्कृतमे होइत अछि। एखनहु अनेक ठाम पुरोहित रहैत छथि आ ओ विधानपूर्वक पूजा कराए कथा कहैत छथिन्ह। जँ सम्भव हो तँ ओकरे उपयोग करी।Continue Reading
तीन प्रकारक जे रात्रि कालरात्रि, महारात्रि आ मोहरात्रि कहल गेल अछि ताहि में पहिल कालरात्रि दीपावली थिक। मिथिलामे ई गृहस्थक लेल महत्त्वपूर्ण अछि।Continue Reading
भ्रातृ द्वितीया यानी भैयादूज भाई-बहन के लिए मुख्य पर्व है। इसमें बहन अपने भाई की लम्बी आयु के लिए प्रार्थना करती है। कहा गया है कि इससे बहन का भी सुहाग बढता है।Continue Reading
कार्तिक शुक्ल एकादशी कें देवउठान, हरिबोधिनी, देवोत्थान, प्रबोधिनी एकादशी सेहो कहल जाइत अछि। मिथिलामे एकर बड महत्त्व अछि।Continue Reading
रावण सीताक अपहरण केलक, ओ अपहर्ता थीक तें ओकर कार्य निन्दनीय तें विरोध प्रदर्शित करबाक लेल रावण-वध होएबाक चाही।Continue Reading
माना जाता है कि शारदीय नवरात्र में भगवती का आगमन और प्रस्थान के दिन के अनुसार उस वर्ष फलाफल होता है।Continue Reading
आश्विन पूर्णिमा कें सन्ध्याकाल चन्द्रमाक उदय भेला पर लक्ष्मीक पूजा करी।
ब्रह्मपुराण मे कहल गेल अछि-Continue Reading
जितियाक सम्पूर्ण कथा मूल संस्कृतमे सुरक्षित अछि। एकर अनुवाद मैथिलीमे सेहो देल अछि।Continue Reading