जाहि बुद्धकें सनातन धर्मक मतावलम्बी सामाजिक सद्भाव बनाकए रखबाक लेल विष्णुक अवतार मानि लेलनि आ आदि शंकराचार्यक बाद हुनका भगवान् विष्णुक नवम अवतार मानि लेलनिContinue Reading

सामिष-निरामिष

पावनि-तिहार अबैत देरी बहुतो गोटे कें ई बुझबाक इच्छा रहैत छनि जे कोन वस्तु भक्ष्य थीक आ कोन अभक्ष्य। धर्मशास्त्रमे भक्ष्याभक्ष्यनिरूपणक नामसँ प्रसंग आएल अछि।Continue Reading

तन्त्र का नाम सुनते ही आज लोग उसे घृणा की दृष्टि से देखने लगते हैं। किन्तु इनके सन्दर्भ ग्रन्थ शास्त्र की दृष्टि से कितने गम्भीर हैं और उनमें किस प्रकार से तान्त्रिकों के लिए नैतिकता और कठोर नियमों का महत्त्व दिया गया है, इसे देखने के बाद हम इस परम्परा के महत्त्व को समझ पाते हैं। Continue Reading

तीन प्रकारक जे रात्रि कालरात्रि, महारात्रि आ मोहरात्रि कहल गेल अछि ताहि में पहिल कालरात्रि दीपावली थिक। मिथिलामे ई गृहस्थक लेल महत्त्वपूर्ण अछि।Continue Reading

Bhaiya-dooj festival

भ्रातृ द्वितीया यानी भैयादूज भाई-बहन के लिए मुख्य पर्व है। इसमें बहन अपने भाई की लम्बी आयु के लिए प्रार्थना करती है। कहा गया है कि इससे बहन का भी सुहाग बढता है।Continue Reading

मिथिलामे दूर्वाक्षत आशीर्वादक कर्मकाण्ड थीक। दूबि जेना चतरब, उन्नति करब सभसँ पैघ आशीर्वाद भेल। वेद सेहो दूबिक चतरबाक प्रवृत्तिक प्रशंसा करैत अछि। Continue Reading

रावण सीताक अपहरण केलक, ओ अपहर्ता थीक तें ओकर कार्य निन्दनीय तें विरोध प्रदर्शित करबाक लेल रावण-वध होएबाक चाही।Continue Reading

दुर्गापूजा

माना जाता है कि शारदीय नवरात्र में भगवती का आगमन और प्रस्थान के दिन के अनुसार उस वर्ष फलाफल होता है।Continue Reading

Jitiya Parva in Mithila

मिथिलाक पारम्परिक जितिया व्रतकथा
(आधार ग्रन्थ- रुद्रधर कृत वर्षकृत्य, मीमांसकशिरोमणि जगद्धरशर्मपरिवर्द्धित एवं डा. पण्डित शशिनाथ झा द्वारा सम्पादित, उर्वशी प्रकाशन, पटना, 1998 ई.Continue Reading