हरितालिका व्रतक मैथिली कथा
एक दिस आकक माला गूथल केश छनि आ दोसर दिस मूडीक हड्डीके माला माथ पर धारण केने छथि। एक दिस सुन्दर पटोर पहिरने आ दोसर दिस विना कपडा पहिरने छथि। एहन गौरी कें प्रणाम आ महादेव कें प्रणाम।Continue Reading
मिथिला आ मैथिलीक लेल सतत प्रयासरत
एक दिस आकक माला गूथल केश छनि आ दोसर दिस मूडीक हड्डीके माला माथ पर धारण केने छथि। एक दिस सुन्दर पटोर पहिरने आ दोसर दिस विना कपडा पहिरने छथि। एहन गौरी कें प्रणाम आ महादेव कें प्रणाम।Continue Reading
मिथिलाक परम्परानुसार हरितालिका व्रतक कथा संस्कृतमे अछि। ई मूल कथा जे संस्कृत भाषामे अछि से ऋषि-मुनिक वाणी थीक तें ओ शब्द सुनला-पढलासँ सेहो फल भेटैत छैक…Continue Reading
भाद्र शुक्ल तृतीयाकें प्रदोष कालमे सदा सुहागिन रहबाक कामना सँ नारी हरिताली व्रत करथि। भिनसरमे थोडबो काल जँ तृतीया अछि आ तकर बाद चतुर्थी भए जाइत छैक तैयो ओही दिन व्रत होएत। साँझमे जँ चौठ पडि जाइत छैक तँ कोनो हर्ज नै।Continue Reading
हाजीपुरमे मस्जिद चौक लग लालकोठीक कातमे एकटा गौरीमुख शिवलिंग स्थापित छथि जतए किछु दशक पूर्व एकटा नव मन्दिर बनाओल गेल अछि। ई शिवलिंग अपन अनेक विशेषताक कारणें आध्यात्मिक आ ऐतिहासिक दृष्टिसँ महत्त्वपूर्ण अछि।Continue Reading
महाराज रुद्र सिंहक शासनकालमे कतेक सम्पत्ति छल आ राज दरभंगाक वार्षिक आमद कतेक छल तकर विवरण एतए भेटत। सूनिके आश्चर्य लागत जे अंगरेज सेहो ई मानैत छल जे राज दरभंगा प्रायः भारतक सभसँ धनिक राजा छथि।Continue Reading
सोमवारी अमावस्याक ई कथा स्पष्ट रूपसँ कहैत अछि जे ईश्वरक उपासना आ ओकर प्रभावक सन्दर्भमे जातिक कोनो विचार नै रहबाक चाही। ई कथा भारतीय परम्परामे जाति-निरपेक्षताक स्थिति स्पष्ट करैत अछि।Continue Reading
नशाक रूपमे अफीमक प्रयोग रोकबाक लेल 1893 मे एक समितिक गठन भेल छल, जाहिमे राज दरभंगाक महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह सेहो रहथि।Continue Reading
भागलपुरमे ई विद्यालय खोलबाक लेल कुल व्यय 1,370 रुपया आँकल गेल जाहिमे 600 रुपयाक व्यवस्था महाराज रुद्रसिंहक द्वारा देल गेल।Continue Reading
मिथिलाक प्राचीन संस्कृति, परम्परा आ इतिहास पर विचार करबाक कालमे हमरालोकनिकें एकर पुरान प्राकृतिक स्वरूप कें ध्यान राखए पड़त। आ एही क्रममे हमरालोकनि एकटा प्रमुख घटकक रूपमे नोनी कें पबैत छी।Continue Reading
तें हमरालोकनिक परम्परा पर ई आरोप
लगाएब जे एतए लिंग-भेद कएल गेल अछि, भ्रम मात्र थीक। बेटा आ बेटीक दूनूक सम्मान अपन-अपन स्थान पर देल गेल अछि।Continue Reading