1815ई. में वह अंगरेज दरभंगा पहुँचा। उसने राजा महाराजा छत्रसिंह के साथ बातचीत में कहा कि आपके राज्य में खूब “कोंआ” है, मुझे चाहिए।Continue Reading

manuscript price

प्रत्येक 32000 अक्षरों के लिए एक रुपया यानी बारह आना. इस दर से महाभारत की कीमत साठ रुपये। रामायण की कीमत चौबीस रुपये, श्रीमदभागवत की अठारह और अन्य पुस्तकों के आकार के हिसाब से कीमत चुकानी पड़ती है. जिस कागज़ से पुस्तकों की प्रति लिपियाँ तैयार की जाती हैं उन्हें तुलात कहा जाता है. कीटाणुओं से बचाव के लिए इनमें एक ख़ास रंग का उपयोग किया जाता है जो पीले रसायन और इमली के रस से तैयार किया जाता है.Continue Reading

संस्कृत पाठमाला- भवनाथ झा

संस्कृत के जिन शब्दरूपों को अभ्यास के लिए दिया जा चुका है उनमें आपने 21 या 24 शब्द देखे होंगे। वे क्रमशः संख्या में इसी प्रकार हैं। जिन शब्दों के संबोधन नहीं होते हैं उनके 21 रूप ही होते हैं। उनके अर्थ इसी प्रकार जानना चाहिए।Continue Reading

मिथिला में कृष्णाष्टमी के साथ दुर्गापूजा मनाने की भी परम्परा रही है। शुम्भ और निशुम्भ का संहार करनेवाली देवी इसी रात्रि यशोदा के गर्भ से उत्पन्न हुई थी।Continue Reading

डाकवचन-संहिता

डाकक महत्ता सभ वर्गक लोकक लग समाने रहल अछि। हिनक नीति, कृषि ओ उद्योग सम्बन्धी वचन सभधर्मक लोक अपनबैत अछि। ई भ्रमणशील व्यक्ति छलाह, जतए जाथि, अपन व्यावहारिक वचनसँ सभके आकृष्ट कए लेथि। एहि क्रममे हिनक वचन बंगालसँ राजस्थान धरि पसरि गेल ओ एखनहुँ लोककण्ठमे सुरक्षित अछि, परन्तु ओहिपर स्थानीय भाषाक ततेक प्रभाव पड़ि गेल जे परस्पर भिन्न लगैत अछि। हिनका मिथिलामे डाक ओ घाघ, उत्तर प्रदेश आदिमे घाघ, बंगालमे डंक तथा राजस्थानमे टंक कहल जाइत अछि। ई अपन ‘वचन’ जनिकाँ सम्बोधित कए कहने छथि तनिकाँ मिथिला ने भाँडरि रानी, मगधमे भडुली तथा आनठाम भड्डरी कहल जाइत अछि। Continue Reading

यह एक प्रामाणिक उल्लेख मिलता है, जिससे स्पष्ट होता है कि जन्मभूमि पर प्राचीन काल में माता कौसल्या की गोद में बैठे श्रीराम की मूर्ति वहाँ थी। आज भी यदि वैसी ही मूर्तियाँ लगे तो श्रीराम जन्मभूमि अपनी खोयी हुई गरिमा को पा जाये।Continue Reading

काले पत्थर की इस मूर्ति के पादपीठ पर एक पंक्ति का एक अभिलेख है। इस अभिलेख को महावीर मन्दिर पत्रिका “धर्मायण” के सम्पादक तथा लिपि एवं पाण्डुलिपि के ज्ञाता पं. भवनाथ झा ने पढा।Continue Reading

बिहार पर्यटन के विशेष लेखक श्री रवि संगम द्वारा लिखित हिन्दी एवं अंगरेजी में प्रामाणिक जानकारियों के साथ ये किताबें लिखी गयी हैं।Continue Reading