हरिताली, तीज, मैथिली कथा

मिथिलाक परम्परानुसार हरितालिका व्रतक कथा संस्कृतमे अछि। ई मूल कथा जे संस्कृत भाषामे अछि से ऋषि-मुनिक वाणी थीक तें ओ शब्द सुनला-पढलासँ सेहो फल भेटैत छैक…Continue Reading

हरिताली, तीज, मैथिली कथा

भाद्र शुक्ल तृतीयाकें प्रदोष कालमे सदा सुहागिन रहबाक कामना सँ नारी हरिताली व्रत करथि। भिनसरमे थोडबो काल जँ तृतीया अछि आ तकर बाद चतुर्थी भए जाइत छैक तैयो ओही दिन व्रत होएत। साँझमे जँ चौठ पडि जाइत छैक तँ कोनो हर्ज नै।Continue Reading

सोमवती अमावस्या व्रत एवं पूजा

सोमवारी अमावस्याक ई कथा स्पष्ट रूपसँ कहैत अछि जे ईश्वरक उपासना आ ओकर प्रभावक सन्दर्भमे जातिक कोनो विचार नै रहबाक चाही। ई कथा भारतीय परम्परामे जाति-निरपेक्षताक स्थिति स्पष्ट करैत अछि।Continue Reading

सिंगरहारक फूल, शेफालिका

तें हमरालोकनिक परम्परा पर ई आरोप
लगाएब जे एतए लिंग-भेद कएल गेल अछि, भ्रम मात्र थीक। बेटा आ बेटीक दूनूक सम्मान अपन-अपन स्थान पर देल गेल अछि।Continue Reading

दुर्गापूजा

शक्ति शब्द किसी कार्य को करने के सामर्थ्य भाव दर्शाता है। शक्ति चूँकि स्त्रीलिंग शब्द है, इसमें क्तिन् प्रत्यय लगा हुआ है अतः प्राचीन काल से शक्ति की उपासना देवी के रूप में की जाती रही है।Continue Reading

Ganga Mata

गंगा भारत की नदियों में श्रेष्ठ मानी गयी है। ऋग्वैदिक काल से आजतक इसकी महिमा गायी जाती रही है। यहाँ तक कहा गया है कि गंगा के जल को स्पर्श करनेवाली वायु के स्पर्श से भी सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।Continue Reading

गो-माता

जहाँ एक गाय को बचाने के लिए दिलीप-जैसे प्रतापी राजा अपना शरीर तक त्याग कर देने की बात करें, वहाँ गाय को मारकर खाने की बात करना बकबास है।Continue Reading

हमरालोकनि सभ केओ जनैत छी जे कोनो पूजामे मुख्य देवताक आवाहन एसकर नै होइत छनि। हुनक आवाहन अङ्ग देवता, अस्त्र-शस्त्र, वाहन एवं परिवारक संग होइत अछि।Continue Reading

पूर्वाभिमुख भए कुश सहित- ओम् तर्पणीयाः देवा आगच्छन्तु। ओम् ब्रह्मादयस्तृप्यन्ताम्। उत्तराभिमुख भए- ओम् सनकादय आगच्छन्तु। ओम् सनकादयस्तृप्यन्ताम्Continue Reading

सनातन धर्ममे मरणोपरान्त दाह-संस्कार कएल जाइत अछि। एहि संस्कारक संकेत हमरालोकनिकें ऋग्वेदमे सेहो भेटैत अछि।Continue Reading