मिथिलाक परम्परामे दीक्षा-विधि
एहि विधिकें मिथिलामे मन्त्र-ग्रहण सेहो कहल जाइत छैक। ई तान्त्रिक परम्परामे दीक्षा थीक। एकरे मिथिलासँ बाहर गुरुमुख होएब कहल जाइत अछि।Continue Reading
भरदुतियाक नोंत- बहिनक आध्यात्मिक शक्ति
एहि दिन मिथिलामे सभसँ पहिने आँगनसँ दरुखा धरि बाट निपबाक प्रथा अछि। भाव ई छैक जे भाइ बाहरसँ औताह तँ हुनका लेल बाट नीपि राखल जाए।Continue Reading
मिथिलाक पद्धतिक अनुसार सरस्वती पूजाक पद्धति आ विधि-विधान
सरस्वतीपूजा मिथिलामे बड प्रचलित अछि। घरे-घरे मूर्ति अथवा फोटोक पूजा होइत अछि। एहि दिन पुरोहितक सर्वथा अभाव रहैत अछि, कारण जे सभ केओ अपनहिं घरमे करए चाहैत छथि। एहि कारणें मैथिल परम्परासँ प्राप्त पूजाविधिक लोप भेल जा रहल अछि।Continue Reading
Standardization of Mithilakshar script
हमरालोकनि देखि चुकल छी जे 10म शतीसँ 19म शती क पूर्वार्द्ध धरि मिथिलाक्षरक स्वरूप अपरिवर्तित रहल अछि। केवल द अक्षरमे विशेष परिवर्तन भेल जे नागरीक समान रूप छोडि लगभग 15म शतीमे अपन वर्तमान स्वरूपमे आबि गेल।Continue Reading
History of Panji in Mithila and its relevancy
मिथिलाक पंजी एकटा आनुवंशिक विवरणी थीक, जाहिमे व्यक्तिक परिचयक लेल निम्नलिखित छह सूचना देल गेल अछि- पिता, मातामह एवं माता के मातामहक नाम आ एहि तीनूक मूल-ग्रामक नाम। Continue Reading
भूत आ प्रेत की थीक? लोक केँ किएक डर होइत छैक?
भूत आ प्रेत ई दूनू शब्द अंधविश्वास आ डरक पर्याय बनि गेल अछि। भारते नहिं, सम्पूर्ण विश्वमे अनेक खिस्सा-पिहानी गढि कए, “हॉरर” सिनेमा बनाकए खूब व्यापार कएल गेल अछि।Continue Reading
कर्णाटशासक हरिसिंह देवक पलायनक तिथि, सिमरौनगढ़सँ ओ कहिया पड़एलाह?
हरिसिंहदेवक पराजय आ हिमालयक जंगल दिस भागि जेबाक तिथिक सम्बन्धमे जे परम्परागत श्लोक वर्तमानमे उपलब्ध अछि से भाषाक दृष्टिसँ ततेक अशुद्ध भए गेल अछि जे ओहि पर विश्वास करब कठिनContinue Reading
मिथिलाक परम्परामे दाह-संस्कार विधि, मृत्युक बादक विधि-विधान
जनिक मृत्यु शहरमे होइत छनि आ कोनो नदीक कातमे अंतिम-संस्कार होइत अछि, हुनकामेसँ अधिकांश लोकक लेल अपन परम्पराक पालन चाहिओ कए कठिन भए जाइत छनि।Continue Reading
मिथिलामे विलुप्त भेल जाइत पाबनि- घाँटो-पूजा
लगभग 2010 ई. धरि ई पूजा होइत हम देखने छी। एहिमे डमरूक आकारक माँटिक पाँच आकृति, माँटिक दिबारी जकाँ एक आकृति तथा ओकर ढक्कन जकाँ दोसर आकृति एहि प्रकारें कुल सात आकृति बनाए तीन दिन पूजा कएल जाइत छल।Continue Reading
कुतुप आ रोहिण कोन समय थीक? एकर गणना कोना कएल जेबाक चाही?
श्राद्ध आ एकोद्दिष्टक विषयमे कुतुप कालक विचार होइत अछि। एकोद्दिष्ट आदि पितृकर्म कोन तिथिक कोन दिन होएत आ कखनि आरम्भ करबाक चाही तकर विचार करबामे कुतुप आ रोहिण नामक दू मुहूर्तक विचार कएल जाइत अछिContinue Reading