Tag: राज दरभंगा
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पर्व-निर्णय, मिथिला के विद्वानों की सभा में लिया गया निर्णय, संकलनकर्ता- पं. कुशेश्वर शर्मा
दरभंगा में 1932 ई. में तत्कालीन स्थापित पण्डितों का योगदान मिथिला की धर्मशास्त्र-परम्परा में अविस्मरणीय है। उस समय के प्रख्यात ज्योतिषी पं. कुशेश्वर शर्मा, जिन्होंने 1921 ई. से 1931 ई. तक मिथिलादेशीय पंचांग का भी निर्माण किया था, पर्वों के निर्णय के लिए उस समय के विख्यात धर्मशास्त्रियों का आह्वान किया और एक एक पर्व ... -
जब मिस उर्दू ने दरभंगा के मुंसिफ कोर्ट में श्रीमती हिन्दी के विरुद्ध मोकदमा दायर किया।
दरभंगा का मुंसिफ कोर्ट। अंगरेजों के जमाने में भारतीय जजों के कोर्ट को मुंसिफ कहा जाता था। 1873-74 का समय था। मुंसिफ कोर्ट में एक मुसलमान जज बैठे हुए थे। इसी समय मिस उर्दू रोती-बिलखती छाती पीटती हुई आयी। उसने अपील की- ‘हुजूर, श्रीमती हिन्दी मुझे बिहार से निकालना चाह रही है। मेरी फरियाद सुन ... -
दो कहानियाँ, महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह की
कहा जाता है कि वे जज साहब खुद इनके पास आये। हो सकता है कि इस बात में कुछ बढ़ा-चढाकर कहा जा रहा हो! बिट्ठो गांव के स्रोत से मेरे पास तक यह कहानी आयी है तो कुछ तो काव्यात्मकता होगी ही। आजकल जिसे ‘नमक-मिर्च लगानाʼ कहते हैं, उसे शिष्ट शब्दों में काव्यात्मकता कहते हैं, ... -
क्या सच में बी.एच.यू. की योजना मालवीयजी की थी?- एक रहस्य का उद्घाटन।
वाराणसी-विद्यापरिषद् की योजनाको स्वर्गीय महाराजाधिराज रमेश्वरसिंह बहादुरने स्वयं अपने दस्तखतोंसे उपस्थित किया था। भारत-गवर्नमेन्टने इन तीनों योजनाओंके पेश होनेपर यह मत प्रकट किया कि, तीनों जबतक एकमत होकर हमारे सम्मुख नहीं आयेंगे, तबतक विश्वविद्यालयकी राजाज्ञा नहीं दी जायेगी। -
दरभंगा के महाराज रमेश्वर सिंह के धार्मिक कार्यों की गूँज दक्षिण भारत तक फैली थी
कांची के मदुरै में आयोजित सभा में त. शं. नारायण शास्त्री ने कहा था कि "आज भारतवर्ष में धार्मिक पतन को रोकने में केवल दरभंगा के राजा रमेश्वर सिंह एवं परमात्मा ईश्वर समर्थ हैं, अन्य कोई नहीं..." -
मिथिलामे 1934 ई.क भूकम्पक विपत्तियो मे चंदाक वसूली आ ओकर बिलहा-बाँट
मुदा गाँधीजी एहेन परिस्थितिमे उत्तर बिहारक यात्रा कएलनि। अपेक्षा छल जे एहि ठामक जनताक सहायताक लेल ओ किछु ठोस काज करितथि। मुदा स्थिति एकर विपरीत रहल। ओ बिहारक अनेक स्थान पर घुमलाह, भाषण देलनि, चंदा एकत्र कएलनि। आरम्भमे घोषणा कएलनि जे जे किछु जमा होएत तकर आधा भूकम्प राहत कार्यक लेल लगाओल जाएत आ आधा ... -
प्रेरक व्यक्तित्वक स्वामी- डा. बिनोदानन्द झा ‘विश्वबन्धु’
हिनक रचना 'जीवन एक प्रयोगशाला' हिनक आत्मकथा थीक जे घोर अभावक बीचसँ उठि सफलताक शिखर पर पहुँचबाक प्रेरणा दैत अछि। लेखक मिथिलामे ध्वस्त होइत उद्योग-धंधाक असहाय दर्शक छथि। -
दरभंगा शासनक दिससँ मैथिलीक लेल प्रयास आ सरकारक स्थिति- 1933ई.
एतए स्पष्ट अछि जे एकटा मैथिलक दिससँ मैथिलीमे अनूदित करबाक लेल प्रस्ताव देल गेल मुदा जें कि एहि ठामक लोक हिन्दी सेहो बुझैत छल तें सरकारी आदेशसँ केवल हिन्दी भाषामे अनुवाद भेल। -
राँची में आर्ट्स कॉलेज में छात्रावास की स्थापना में महाराज रमेश्वर सिंह का योगदान एवं उनके द्वारा रखी गयी शर्तें
लेकिन दरभंगा के महाराज रमेश्वर सिंह का यह अनुदान इस शर्त पर दिये गया थी कि बिहार के सनातनी छात्रों को इसमें प्रवेश में प्राथमिकता दी जायेगी। यहाँ ध्यातव्य है कि उन्होंने नाम जोड़ने की कोई शर्त नहीं रखी थी। -
राज दरभंगा के अधीन 1815ई. में होती थी काॅफी की खेती
1815ई. में वह अंगरेज दरभंगा पहुँचा। उसने राजा महाराजा छत्रसिंह के साथ बातचीत में कहा कि आपके राज्य में खूब "कोंआ" है, मुझे चाहिए।