सांस्कृतिक ह्रासक एक विषय- श्राद्धकर्मक प्रति उदासीनताक भाव
माता-पिताक मृत्युक उपरान्त सभ दिन एतेक कर्म हमरालोकनिक संस्कृतिमे अछि। श्राद्ध, प्रतिवर्ष एकोद्दिष्टश्राद्ध, पार्वण, प्रतिदिन तर्पण आ विशेष रूपसँ पितृपक्षमे तर्पण, दीपावलीक दिन उल्काभ्रमण आ ब्राह्मणभोजन, गया-श्राद्ध आ अन्य पवित्र तीर्थमे श्राद्ध।Continue Reading
सामा-चकेबाक सम्पूर्ण कथा
सामा-चकेबाक सम्पूर्ण कथा कतहु ने तँ पुराणमे भेटैत अछि आ ने लोककथे मे। एकर मूलस्रोत भविष्य-पुराणक सूर्योपासनाक प्रसंग में अछि,Continue Reading
बाँधे मूँज जनेऊ साजे अथवा कांधे माँझ जनेऊ छाजै
हनुमानजी की स्तुतिमे हनुमानचालीसा आज सबसे प्रसिद्ध स्तोत्र है। गीताप्रेस से प्रकाशित तथा सर्वत्र प्रचलित पाठ में एक स्थान पर काँधे मूँज जनेउ छाजै पाठ है।Continue Reading
तान्त्रिक विधिसँ मैथिल साम्प्रदायिक सन्ध्यावन्दन
वैदिकी सन्ध्या तर्प्पण कय तान्त्रिकी सन्ध्या ओ तर्प्पण करी। जलमध्य सन्ध्या तर्प्पण करी तेँ जल सँ तिलक करी।Continue Reading
हनुमानजीक धुजा गाड़बाक पूजा-पाठ
मिथिलामे सेहो बहुत गाममे पीपरक गाछ तर हनुमानजीक ध्वजाक स्थापित होइत अछि। ई ध्वज यद्यपि कोनो शनि अथवा मंगल दिनकें स्थापित कएल जा सकैत अछि मुदा रामनवमी एवं हनुमान-जयन्तीकें स्थापित करब विशेष फलदायक होइत अछि।Continue Reading
अगस्त्यसंहितोक्ता रामनवमीव्रतकथा
अथ कथा प्राप्ते श्रीरामनवमीदिने मर्यो विमूढधीः। उपोषणं न कुरुते कुम्भीपाकेषु पच्यते।।।1।।Continue Reading
मिथिलामे रामनवमी-पूजाक संक्षिप्त विधि, (पाण्डुलिपि सँ सम्पादित)
सोना अथवा माँटिक प्रतिमा बनवा कए भोरेमे नित्यकर्म सम्पन्न कए आचमन करी। तकर बाद तामाक सराइ लए उत्तर मुँहें ठाढ भए सोना अथवा माँटिक प्रतिमा बनवा कए भोरेमे नित्यकर्म सम्पन्न कए आचमन करी। Continue Reading
मिथिलाक परम्परामे रामनवमी-पूजाक विस्तृत विधि, (प्राचीन पाण्डुलिपिसँ सम्पादित)
एहि पद्धतिक दू टा पाण्डुलिपि हमरा लग उपलब्ध अछि। एकटामे कथाक संग संक्षिप्त पद्धति देल छैक आ दोसरमे कथाक संग विस्तृत पद्धति अछि।Continue Reading
नाह्निदत्तकृत नाह्निदत्तपञ्चविंशतिकाक व्याख्या
मिथिलाक ज्योतिष परम्परामे नाह्निदत्त कृत पंचविंशतिका एकटा महत्तवपूर्ण ग्रन्थ अछि। एकर व्याख्या म.म. रुचिपति (15म शती) केने छथि। एकर पाण्डुलिपि एतए देखल जा सकैत अछि।Continue Reading
मिथिलामे तान्त्रिक स्नान-विधि
नदी इत्यादि स्नान योग्य जलाशय जाय तर्ज्जनी मध्य चानीक अनामिका मध्य सोनक पवित्री पहैरि स्वकीय कल्पोक्त प्रकारें वैदिक स्नान कय तान्त्रिक स्नान करी।Continue Reading