कौलोपनिषत्
तन्त्र का नाम सुनते ही आज लोग उसे घृणा की दृष्टि से देखने लगते हैं। किन्तु इनके सन्दर्भ ग्रन्थ शास्त्र की दृष्टि से कितने गम्भीर हैं और उनमें किस प्रकार से तान्त्रिकों के लिए नैतिकता और कठोर नियमों का महत्त्व दिया गया है, इसे देखने के बाद हम इस परम्परा के महत्त्व को समझ पाते हैं। Continue Reading
डा. धीरेन्द्र नारायण सिन्हा की पुस्तक “कैंसर का ज्ञान” रोगियों एवं उनके परिचारकों के लिए एक गाइड
That is where this book by Dr. Dhirendra fulfills a huge need. It is written in Hindi, in a simple language, keeping a common man in mind. Continue Reading
मिथिलामे दीपावलीक राति ऊक फेरबाक परम्परा पितरक प्रति कर्तव्य
तीन प्रकारक जे रात्रि कालरात्रि, महारात्रि आ मोहरात्रि कहल गेल अछि ताहि में पहिल कालरात्रि दीपावली थिक। मिथिलामे ई गृहस्थक लेल महत्त्वपूर्ण अछि।Continue Reading
रक्षाबंधन नहीं, भैया-दूज है भाई-बहन का असली पर्व…
भ्रातृ द्वितीया यानी भैयादूज भाई-बहन के लिए मुख्य पर्व है। इसमें बहन अपने भाई की लम्बी आयु के लिए प्रार्थना करती है। कहा गया है कि इससे बहन का भी सुहाग बढता है।Continue Reading
मिथिलाक परम्परामे देवोत्थान एकादशी- प्रबोधिनी एकादशी
कार्तिक शुक्ल एकादशी कें देवउठान, हरिबोधिनी, देवोत्थान, प्रबोधिनी एकादशी सेहो कहल जाइत अछि। मिथिलामे एकर बड महत्त्व अछि।Continue Reading
मिथिला की वैदिक एवं तान्त्रिक पाण्डुलिपियों का एक संकलन
पाण्डुलिपियाँ हमारी धरोहर हैं। उनका सबसे बड़ा उपयोग है कि उनमें लिखित ज्ञान को सम्पादित-प्रकाशित किया जाये। वह ज्ञान का प्राचीन स्रोत है।Continue Reading
मिथिलाक परम्परामे दूर्वाक्षतक मन्त्र
मिथिलामे दूर्वाक्षत आशीर्वादक कर्मकाण्ड थीक। दूबि जेना चतरब, उन्नति करब सभसँ पैघ आशीर्वाद भेल। वेद सेहो दूबिक चतरबाक प्रवृत्तिक प्रशंसा करैत अछि। Continue Reading
दुर्गापूजामे रावण-वध किएक?
रावण सीताक अपहरण केलक, ओ अपहर्ता थीक तें ओकर कार्य निन्दनीय तें विरोध प्रदर्शित करबाक लेल रावण-वध होएबाक चाही।Continue Reading
प्रामाणिक ग्रन्थों में नहीं है दुर्गापूजा में देवी के आगमन एवं प्रस्थान का फल
माना जाता है कि शारदीय नवरात्र में भगवती का आगमन और प्रस्थान के दिन के अनुसार उस वर्ष फलाफल होता है।Continue Reading
मिथिलामे कोजागराक उपलक्ष्यमे लक्ष्मीपूजा
आश्विन पूर्णिमा कें सन्ध्याकाल चन्द्रमाक उदय भेला पर लक्ष्मीक पूजा करी।
ब्रह्मपुराण मे कहल गेल अछि-Continue Reading