विश्वनाथ मन्दिर के बारे में अकबर का वह भाषण (1829 में प्रकाशित जहाँगीरनामा से), जो छुपा दिया गया
से व्यक्ति ने तुजुक ए जहाँगीरी का अनुवाद फारसी के स्रोत के आधार पर किया तथा उसे Memoirs Of The Emperor Jahangueir के नाम से 1829 ई. प्रकाशित कराया। इसका प्रकाशन ओरियंटल ट्रांसलेशन कमिटी के द्वारा कराया गया। डेविड प्राइस ने जिस संस्करण से अनुवाद किया था, वह 1040 हिजरी की लिखी हुई थी। मिस्टर मार्ले ने इसी आधार पर प्राइस वाली प्रति को प्रामाणिक माना है। उऩका मन्तव्य है कि इतनी शीघ्र प्रतिलिपि करते हुए कोई व्यक्ति अपने मन से प्रक्षिप्त अंश को जोड़कर लोगों को धोखा नहीं दे सकता है। जहाँगीरनामा के हिंन्दी अनुवादक व्रजरत्नदास ने काशी नागरी प्रचारिणी सभा से प्रकाशित जहाँगीर का आत्मचरित पुस्तक की भूमिका पृष्ठ संख्या 7 पर इन तथ्यों का स्पष्टीकरण दिया है।Continue Reading
1800ई. के आसपास पुस्तकें कैसे लिखी जाती थी? पाण्डुलिपियों की कीमत क्या थीं?
प्रत्येक 32000 अक्षरों के लिए एक रुपया यानी बारह आना. इस दर से महाभारत की कीमत साठ रुपये। रामायण की कीमत चौबीस रुपये, श्रीमदभागवत की अठारह और अन्य पुस्तकों के आकार के हिसाब से कीमत चुकानी पड़ती है. जिस कागज़ से पुस्तकों की प्रति लिपियाँ तैयार की जाती हैं उन्हें तुलात कहा जाता है. कीटाणुओं से बचाव के लिए इनमें एक ख़ास रंग का उपयोग किया जाता है जो पीले रसायन और इमली के रस से तैयार किया जाता है.Continue Reading
पाठ- 6. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति) संस्कृत भाषा में विशेष्य-विशेषण भाव सम्बन्ध
पिछले 5 पृष्ठों से हम संस्कृत भाषा सीखने के लिए पाठमाला दे रहे हैं। इसके अन्तर्गत सबसे पहले शब्दरूपों को कंठस्थ करने का पाठ आरम्भ किया है। अभीतक हमने शब्दों के रूपों को कण्ठस्थ करने की अनुशंसा की है। इतने शब्दों के रूप कण्ठस्थ कर लेने के बाद अब संस्कृत वाक्य प्रयोग में सबसे पहले विशेष्य-विशेषण भाव को समझ लेना आगे के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।
हिन्दी का एक वाक्यखण्ड लें– “लाल रंग के फूल से देवी की पूजा।” यहाँ हिन्दी की वाक्य-योजना के अनुसार ‘के’ परसर्ग का प्रयोग है जो संबन्ध कारक का सूचक है। इसका अनुवाद करने में लोगों को भ्रम होता है। लोग सीधे तौर पर कह देते है- रक्तवर्णस्य पुष्पेण देव्याः पूजनम्। किन्तु संस्कृत में इसका अनुवाद होना चाहिए- रक्तवर्णेन पुष्पेण देव्याः पूजनम्। क्योंकि रक्तवर्ण पुष्प की विशेषता बतलाने के कारण विशेषण है।
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इतिहास में भी आरक्षण का बोलबाला, वह ब्राह्मणी थी इसलिए नहीं कहला सकी पहली महिला शिक्षिका
एक महिला ने काशी में जाकर 18वीं शती में स्कूल खोलकर महिलाओं और खासकर विधवाओं को पढ़ाने-लिखाने का कार्य आरम्भ किया। पर, इतिहास से उसका नाम मिटा दिया गया।Continue Reading
मानवीय संवेदनाओं को समेटती डा. धीरेन्द्र सिंह की मैथिली कविताएँ- “कदमों के निशान” का हुआ लोकार्पण
मैथिली कविता में प्रतिष्ठित कवि डॉ. धीरेन्द्र सिंह ने साझा संकलन ‘डेग’ और स्वतंत्र संकलन ‘पितामहक नाम’ के माध्यम से मैथिली कविता में अपनी उल्लेखनीय उपस्थिति दर्ज कराई थी। ‘जो गै बसंती’ कथा-संग्रह भी चर्चित रहा। बाद में डॉक्टरी पेशे में मिलती गयी दिन-ब-दिन की सफलता ने इन्हें इतना अधिक व्यस्त रखा कि साहित्य में इनकी सक्रियता घटती चली गयी। मगर अब अपने लेखन की दूसरी पारी में वे फिर से सक्रिय हैं। धीरेन्द्र सिंह की कविताएँ जीवन-मूल्य की पड़ताल करती हैं। शोषित-पीड़ित जनता के दुख-दर्द का साझीदार बनती इनकी कविताओं में आत्मा की पुकार है। भाषा बहुत ही सहज और हृदयग्राही है। इस संग्रह से हिन्दी के पाठक मैथिली कविता के एक अलग रूप से परिचित होंगे, जिसमें सादगी के साथ तीखापन है।Continue Reading
अपने घर में गणेश पूजा के लिए आवश्यक सामग्री, प्रसाद, फल, फूल तथा हवन-सामग्री के साथ
पूजा में सामग्री की व्यवस्था करने का कोई अंत नहीं है। आप अपने विभव के अनुसार धोती, साड़ी, सोना, चाँदी आदि भी अर्पित कर सकते हैं। किन्तु सनातन धर्म के अधिकतम श्रद्धालु मध्यमवर्गीय हैं। उनके लिए धन बहुत मायने रखता है। ऐसे लोगों के लिए हम पद्धति भी प्रकाशित करContinue Reading
गणेश भगवान् की पूजा स्वयं कैसे करें? विस्तार से पूजा विधि एवं स्तोत्रों का संकलन- हवन विधि के साथ
भगवान् गणेश की पूजा विधि। स्वयं इसे देखते हुे आप आसानी से मन्त्रों को पढकर विभिन्न अवसरों पर भगवान् गणेश की पूजा कर सकते हैं। साथ ही, यहाँ अनेक प्रकार के मन्त्र भी दिये गये हैं। हवन विधि के साथContinue Reading
पटना की मिट्टी में सोने की खदान, मिट्टी से सोना निकालने की घटना- रॉल्फ फिच की रिपोर्ट
रॉल्फ फिच नामक यात्री ने भारत भ्रमण के दौरान आगरा से बंगाल के सतगाँव जाने के क्रम में पटना शहर का भ्रमण किया था। उसने विवरण दिया है कि पटना के लोग मिट्टी खोदकर उसे धोते थे तो उससे सोना निकलता है। इस प्रकार मिट्टी को खोदते खोदते कुँआँ बन जाता है।Continue Reading
पाठ- 5. संस्कृत पाठमाला (प्राचीन पद्धति)
संस्कृत के जिन शब्दरूपों को अभ्यास के लिए दिया जा चुका है उनमें आपने 21 या 24 शब्द देखे होंगे। वे क्रमशः संख्या में इसी प्रकार हैं। जिन शब्दों के संबोधन नहीं होते हैं उनके 21 रूप ही होते हैं। उनके अर्थ इसी प्रकार जानना चाहिए।Continue Reading
एकटा दस्तावेज- नेपालक मकबानपुरक राजा सभ राज दरभंगाकें मालगुजारी दैत छलाह
एहि विस्तृत पत्रमे तिरहुतक राजाक संग नेपालक मकबानी शासकक संबन्ध पर प्रकाश देल गेल अछि। एहिमे कहल गेल अछि जे नेपालक मकबानी राजा दरभंगाक राजा कें कर दैत छलाह। जखनि नेपालक पृथ्वी नारायण शाह मकबानपुर पर कब्जा कए लेलनि तखनहु ओ राज दरभंगाकें साढ़े बारह ठामें कर दैत रहलाह। 1181 साल अर्थात् 1773ई. मे जखनि मिस्टर काइली राजा तिरहुतक कलक्टर रहथि तखनहुँ धरि ओ भुगतान होइत रहल अछि।Continue Reading