Summary Remarks on The Resources Of The East Indies

एहि विस्तृत पत्रमे तिरहुतक राजाक संग नेपालक मकबानी शासकक संबन्ध पर प्रकाश देल गेल अछि। एहिमे कहल गेल अछि जे नेपालक मकबानी राजा दरभंगाक राजा कें कर दैत छलाह। जखनि नेपालक पृथ्वी नारायण शाह मकबानपुर पर कब्जा कए लेलनि तखनहु ओ राज दरभंगाकें साढ़े बारह ठामें कर दैत रहलाह। 1181 साल अर्थात् 1773ई. मे जखनि मिस्टर काइली राजा तिरहुतक कलक्टर रहथि तखनहुँ धरि ओ भुगतान होइत रहल अछि।Continue Reading

संस्कृत पाठमाला- भवनाथ झा

संस्कृत में सर्वनाम संज्ञा है। इसकी सूची पाणिनि ने इस प्रकार दी है-
सर्व । विश्व । उभ । उभय। डतर । डतम । अन्य । अन्यतर। इतर। त्वत्। त्व। नेम। सम। सिम । तद् । यद् । एतद् । इदम्। अदस्। एका। Continue Reading

मिथिला में कृष्णाष्टमी के साथ दुर्गापूजा मनाने की भी परम्परा रही है। शुम्भ और निशुम्भ का संहार करनेवाली देवी इसी रात्रि यशोदा के गर्भ से उत्पन्न हुई थी।Continue Reading

Krishnasthami

मिथिला के डाक पर्वों का संकेत करते कहते हैं- सुत्ता उट्ठा पाँजर मोड़ा, ताही बीचै जनमल छोड़ा। सुत्ता यानी भगवान् के सोने का दिन हरिशयन एकादशी, उट्ठा यानी उठने का दिन देवोत्थान एकादशी, पाँजरमोड़ा- करवट बदलने का दिन पार्श्वपरिवर्तिनी एकादशी और इसी के बीच छोरा यानी बालक श्रीकृष्ण का जन्म होता है। यह मंगलमय दिन भाद्र कृष्ण अष्टमी- श्रीकृष्णाष्टमी आज उपस्थित है।Continue Reading

संस्कृत पाठमाला- भवनाथ झा

विभक्ति एवं वचन का विचार किये बिना सीधे इन शब्दों का रूप कण्ठस्थ कर लेना सबसे उपयुक्त है। ध्यातव्य है कि प्रारम्भिक पाठों में याद करने से पूर्व अन्य किसी भी बात पर ध्यान देने से बाधा उत्पन्न होती है। ये दश नपुंसक शब्द परम्परा से नायक माने गये हैं। संस्कृत शिक्षण-पद्धति में प्राचीन काल से यह श्लोक प्रचलित है:Continue Reading

संस्कृत पाठमाला- भवनाथ झा

हम संस्कृत भाषा सीखने के लिए पाठमाला दे रहे हैं। इसके अन्तर्गत सबसे पहले शब्दरूपों को कंठस्थ करने का पाठ आरम्भ किया है। पिछले पोस्ट में 10 पुल्लिंग शब्दों के रूपContinue Reading

संस्कृत पाठमाला- भवनाथ झा

अनेक पाठकों के अनुरोध पर मैंने ‘धर्मायण’ के स्थायी-स्तम्भ के अन्तर्गत संस्कृत भाषा सीखने के लिए कुछ पाठों का क्रमशः प्रकाशन अंक संख्या 86 से किया था। उद्देश्य यह था कि ऐसे व्यक्ति जो हिन्दी, अंग्रेजी आदि भाषाओं के अच्छे जानकार हैं, संस्कृत सीखने की अभिरुचि रखते हैं, जिससे वे पुराणों तथा अन्य संस्कृत-ग्रन्थों की भाषा को समझ सके, विना अनुवाद के भी मूल पढ़कर उनका अर्थ लगा सकें।Continue Reading

टुकड़े-टुकडे गैंग

मैथिलीक जाहि स्वरूपक ओ विरोध करैत छथि ओही स्वरूपक व्यवहार जखनि सम्पादक स्वयं करैत छथि तखनि ऊपरमे लिखल सभटा बात केवल आगि लगएबाक साधन थीक आ एकरे कहैत छै- अगिलेसुआक कथा।Continue Reading

जल हाथ में लेकर – ॐ तत्सत् ॐ तत्सत् ॐ तत्सत्।
पूर्वोत्तर कोण की ओर मुँह कर आचमन कर शिखा बाँधकर फिर दो बार आचमन कर वाम भाग में कुश रखें और दाहिने हाथ में तेकुशा लेकर –
अघमर्षणसूक्तस्याघमर्षण ऋषिरनुष्टुप् छन्दो भाववृतोदेवताश्वमेधावभृथे विनियोगः।।
ॐ ऋतञ्च सत्यञ्चाभीद्धात्तपसोऽध्यजायत।
ततो रात्र्यजायत ततः समुद्रो अर्णवः॥१॥
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कुलधर्म

हम इतिहास को उलट कर देखें तो पता चलेगा कि यूरोपीयन प्रभाव के कारण सबसे पहले तथा सबसे अधिक प्रभावित हमारे पारम्परिक उत्पादक वर्ग हुए,Continue Reading